Illegal possession अवैध कब्जा: सक्रियता नहीं, निभाई औपचारिकता

Illegal possession


यहां कब, पूछ रहा शहर

भाटापारा। अवैध कब्जा पर प्रशासन का हंटर। दिखावा ही मान रहा है, शहर इस कार्रवाई को क्योंकि जहां पर यह सब किया गया उसके ठीक सामने भी बहुतेरे अतिक्रमण हैं। रसूख रखते हैं, कहीं इसलिए तो इन्हें छुआ तक नहीं गया?

अपनी पीठ खुद ठोक रहे प्रशासन से शहर पूछ रहा है कि दूसरे किनारे के अतिक्रमण क्यों छोड़े गए? अमला मौजूद था। संसाधन भी थे लेकिन शहर के दूसरे हिस्सों में जाने से कदम पीछे क्यों लिए गएपूरा शहर कमोबेश ऐसी ही स्थिति से सरोबार है। क्यों कांप रहे हैं हाथ?

बस स्टैंड के सामने का दूसरा किनारा। छड़ और सीमेंट की दुकानें। सॉ मिल। कुछ कदम आगे मंडी रोड में सड़क पर ही पसर आई हैं होटलें। थोड़ा आगे बढि़ए, भवन निर्माण सामग्री और उर्वरक बेचने वाली दुकानों ने जिस तरह सड़क को घेर कर रखा हुआ है, वह अतिक्रमण की सारी हद पार कर चुका है।

यहां भी एक जैसा दृश्य
लिंक रोड। बड़ी वाहनों के शो-रूम। मोटर मैकेनिकों की बेतरतीब बसाहट इस मार्ग को भी अतिक्रमण की चपेट में ले चुकी है। संबंधित विभाग की नजर से दूर है लेकिन जानकारी में यह क्षेत्र भी है। कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? पूछ रहा है शहर।

वापस लौटिए शहर
फिल्टर प्लांट से लेकर रेलवे स्टेशन मार्ग। दोनों किनारे नजर नहीं आते क्योंकि अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुके हैं यह हिस्से भी। इस मार्ग का आखिरी सिरा ही कहा जा सकता है रेलवे स्टेशन को। यहां भी बस स्टैंड जैसा ही दृश्य देखा जा रहा है। संस्थानें शेड लगाकर सुगम आवाजाही को बाधित ही कर रही है।

नालियों के ऊपर कारोबार
सदर बाजार और हटरी बाजार। नालियां दिखाई नहीं देती क्योंकि इनके उपर ही प्रदर्शन सामग्री रखने के लिए पक्के चबूतरे बना दिए गए हैं। संभल कर चलना होता है। खासकर बुधवार और रविवार को हालात काबू से बाहर ही होते हैं।

कम यह भी नहीं
घरों में पार्किंग नहीं हैं। ऐसे में दोपहिया और चार पहिया, सड़क पर खड़ी की जाती है। कार्रवाई करने वाला यातायात विभाग मौन साधे हुए हैं। जय स्तंभ चौक, आजाद चौक और मारवाड़ी कुआं मार्ग प्रत्यक्ष उदाहरण है। कार्रवाई तो दूर, समझाइश तक देने से पीछे हटता नजर आता है यह विभाग।

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