राजकुमार मल
Green net 40 से 90 रुपए मीटर पर स्थिर
Green net भाटापारा– कुछ जरूरत, कुछ सख्ती। ग्रीन नेट अब हर जगह अनिवार्य माना जा रहा है। भरपूर मांग के बावजूद कीमत हर उपभोक्ता वर्ग की क्रय शक्ति के भीतर ही है।
जागरूकता और नजर आते काम के बाद ग्रीन नेट का उपयोग अब लगभग हर क्षेत्र में बढ़ता नजर आ रहा है। कुछ बरस पहले कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर सब्जी बाड़ियों में ही नजर आने वाला ग्रीन नेट, जिस गति से फैलाव ले रहा है, उसके बाद अपने छत्तीसगढ़ में भी तीन इकाइयां ग्रीन नेट का निर्माण कर रहीं हैं। इसलिए गुजरात पर से निर्भरता पूरी तरह खत्म हो चुकी है।
Green net यहां अनिवार्य
भवन निर्माण क्षेत्र। प्रशासन के नियम स्पष्ट हैं कि निर्माण स्थल, न केवल ग्रीन नेट से घिरा हुआ होना चाहिए बल्कि निर्माण किया जा रहा भवन भी ग्रीन नेट से कवर्ड किया जाना अनिवार्य है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, गौण खनिज परिवहन और भंडारण में इस उपाय को अनिवार्य कर चुका है। यह इसलिए क्योंकि तेज धूप और तेज हवा में इसके कण मानव और मवेशियों के स्वास्थ्य को हानि पहुंचाते हैं।
Green net फैलाव ले रहा यहां
घरों और व्यापारिक संस्थानें। ग्रीन नेट को जिस तरह यह क्षेत्र स्वीकार्य कर रहे हैं, उसने इस उपाय को फैलाव ही दिया है। मौसम तेज धूप और गर्मी का है। ऐसे में इसे बेहद सरल उपाय माना जा रहा है बचाव के लिए। यह क्षेत्र इसलिए तेजी से बढ़ता अवसर माना जा रहा है क्योंकि यहां उपयोग के क्षेत्र कहीं ज्यादा है। इसके पहले तक यह उपभोक्ता वर्ग सामान्य तिरपाल का ही उपयोग करता था।
Green net पूरे साल मांग
सब्जी बाड़ियां, नर्सरी और कृषि अनुसंधान का क्षेत्र। यह तीन ऐसे हैं, जहां ग्रीन नेट की जरूरत पूरे साल पड़ती है। बड़ी मांग वाला यह क्षेत्र, हमेशा से इकाइयों के बीच प्राथमिकता वाला क्षेत्र रहा है। कैसा होना चाहिए ? क्या बदलाव जरूरी है ? जैसे मार्गदर्शन भी इकाइयों को यहीं से मिलते हैं। जिसके दम पर हर बरस नई सुविधा वाले ग्रीन नेट की पहुंच बाजार तक संभव हो रही है।
Green net बेहतर है मांग
प्रशासनिक सख्ती और जरूरत की वजह से ग्रीन नेट में इस बरस मांग बेहतर है। रही बात कीमत की, तो इसमें 40 से लेकर 90 रुपए मीटर तक रेंज है। इसलिए हर क्रय शक्ति वाले उपभोक्ता इसकी खरीदी कर रहे हैं।
Bhatapara Market अच्छे दिन की आस में नड्डा
-मोहन बजाज, बजाज रोप सेंटर, बिलासपुर