Education department is a bastion of corruption मोदी सरकार के नीतियों को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा रहे शिक्षा विभाग

Education department is a bastion of corruption

Education department is a bastion of corruption बीजेपी सरकार की दोहरी नीति, भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की बात करने वाले भ्रष्टाचारियों को दिया जा रहा संरक्षण

 

 

Education department is a bastion of corruption गरियाबंद ! जिले का शिक्षा विभाग भ्रष्टाचार का गढ़ है इनके नीति नए कारनामे सामने आते रहते हैं इन्हीं कारनामों में शुमार एक और नया कारनामा या कहें बेशर्मी की हद पार हो गई है उच्च अधिकारियों के आदेश को अधीनस्थ अधिकारी धता बता रहे हैं और अपने मन माफी आदेश जारी कर रहे हैं !

इस बात से बेखबर की इससे प्रशासन व शासन की छवि लोगों के बीच कैसी बनेगी मामला है जिले के हाईप्रोफाइल खेलगढ़िया घोटाले में संलिप्त पूर्व डीएमसी श्याम चंद्राकर का जिनको सरकार ने कुछ माह पूर्व  निलंबित किया था। इनको निलंबन से बहाल कर संचालक लोक शिक्षण ने पुनः जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सहायक संचालक के पद पर संलग्न करते हूये बहाल किया।

 

 

Education department is a bastion of corruption जब पता चला कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय गरियाबंद में सहायक संचालक का पद रिक्त नहीं है, तो उसके बाद आनन फानन फिर आदेश में संशोधन कर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सांख्यिकीय अधिकारी के पद पर संलग्न कर दिया गया। इसके बावजूद की सरकार के शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव के आदेश अनुसार जिले के समस्त शिक्षकों को जो की अटैचमेंट के तहत कार्य कर रहे थे उनको उनके मूल साल में भेज दिया गया है शिक्षा सचिव के इस आदेश को भी पलीता लगाते हुए सहायक संचालक ने उक्त शिक्षक को स्कुल भेजने के बजाय फिर से गैर शिक्षक की कार्य कराते हुए जिला शिक्षा कार्यालय में कार्य करने के आदेश दिए जो की उच्च अधिकारियों के आदेश की कैसे ठेंगा दिखाया जाता है यह दर्शाता है ।

आखिर क्या है शिक्षा विभाग का आदेश

 

Education department is a bastion of corruption छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय समस्त संभागायुक्त छत्तीसगढ़, समस्त कलेक्टर छत्तीसगढ़, समस्त जिला शिक्षा अधिकारी, छत्तीसगढ़ को पुलक भट्टाचार्य अवर सचिव स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेशित किया की गैर शैक्षणिक कार्यों में संलग्न शिक्षक संवर्ग के कर्मचारियों को उनके मूल पदस्थापना हेतु कार्यमुक्त किया जाय। शिक्षक संवर्ग के कर्मचारियों का संलग्नीकरण तत्काल समाप्त किया जाकर, उन्हें उनके मूल पदस्थापना शाला में अध्यापन कार्य हेतु कार्यमुक्त किया जाये। संलग्नीकरण समाप्त किये जाने संबंधी प्रमाण पत्र 07 दिवस के भीतर संचालक, लोक शिक्षण को अनिवार्यतः प्रेषित करें।साथ ही यह भी कहा गया की इस निर्देश तत्काल प्रभावशील होगा। इसका कड़ाई से पालन किया जाना सुनिश्चित किया जाय।

गौरतलब हो कि सरकार ने शिक्षकों के संलग्नीकरण समाप्त कर वापस स्कूल भेज रही ताकि शैक्षणिक कार्य और गुणवत्ता  बनाया जा सके। वहीं दूसरी तरफ वहीं व्याख्याता श्याम चंद्राकर को येन केन प्रकारेण जिला कार्यालय में संलग्न कर दिया गया।

 

उच्च कार्यालय द्वारा एक व्याख्याता को बेजा लाभ दिलाने अपने ही आदेश को पलट रही है वो शिक्षक जो विवादित और दागी है जिस पर भ्रष्टाचार के दाग लगे है जिस पर विभागीय जाँच अभी पूरी नहीं हुई है, उसको पुनः जिला कार्यालय में संलग्न कर दिए जाने से शासन की कथनी और करनी में अंतर नजर आ रहा।

Education department is a bastion of corruption भ्रष्ट दागी, विभागीय जांच का सामना कर रहे व्याख्याता को डीईओ कार्यालय में संलग्न करने से संचालक के उस आदेश पर सवाल उठ रहे हैं जिस आदेश के तहत पूरे राज्य में संलग्नीकरण समाप्त करने का आदेश जारी किया गया है। यदि इसी तरह से संलग्नीकरण समाप्ति के आदेश की धज्जियां उच्च कार्यालय से ही उड़ती रहेंगी तो फिर निचले स्तर पर उस आदेश का पालन कराना और कठिन हो जायेगा इसलिये इस आदेश का विरोध में स्वर उठने लगे हैं।
क्या जांच प्रभावित नहीं होगी ?

खेलगढ़िया मामले में आरोपी विभागीय जांच का सामना कर रहे शिक्षक को बहाल कर डीईओ ऑफिस में संलग्न करने पर क्या जांच प्रभावित नहीं की जाएगी ? क्या जांच में गवाहों पर दबाव नहीं बनाया जाएगा क्या दस्तावेज को सुरक्षित रखा जा सकेगा? ऐसे कई सवाल है जो की जांच का सामना कर रहे उक्त व्याख्याता को मदद पहुंचते हुए भ्रष्टाचार को संरक्षण देने संचालक लोक शिक्षण के आदेशों पर उंगली उठाई जा रही है और उनकी मंशा पर भी सवालिया निशान खड़ा करता है बहाल करने के पश्चात उक्त शिक्षक को उसके शिक्षक के कार्य हेतु स्कूल के लिए आवेशित किया जाना चाहिए था । कल को खेलगढ़िया मामले मे आरोप पत्र जारी करने के निर्देश है, युक्त व्याख्याता को दो बार पहले भी जाँच के दौरान दोषी पाया गया था, रिकवरी होनी है, एफ आई आर भी होनी है, उसके बाद बहाल करना अतिशोक्ति है। कल आरोप पत्र दाखिल करने के बाद क्या होगा ?

मामले में राजनीतिक संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता 

 

राजनीतिक संरक्षण प्राप्त उक्त अधिकारी द्वारा कांग्रेस शासन काल में भी खेल गढ़िया जैसे मामले में भारी भ्रष्टाचार करने के बाद भी अधिकारियों नेताओं से गठजोड़ कर जांच प्रभावित करने की कोशिश की गई आखिरकार भाजपा शासन आते ही उनके विरुद्ध सस्पेंशन जैसे कार्यवाही की गई किंतु कुछ छुटभैया व चाटुकार नेताओं के संरक्षण में भाजपा में भी इस अधिकारी ने सेंध लगा ही डाली और सुचिता की बात करने वाली इस पार्टी के आचरण पर भी सवाल खड़ा कर दिया। लोगों ने दबी जुबान यह कहना भी शुरू कर दिया है कि इस मामले में भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं पार कर दी है और अच्छा खासा लेनदेन कर मामला सेटल किया गया है ।

ऐसे मे केंद्र की मोदी सरकार सहित प्रदेश के साय सरकार के क्रिया कलपो पर भी सवालिया निसान उठ रहे है ऐसे अधिकारी और नेता जनता पर विश्वास बना पाएंगे या नहीं लग पा रहा है । अधिकारी अपना खेल खेल रहे हैं और नेता अपने में मस्त है ।

खेलगढ़िया में भ्रष्टाचार कि जांच का क्या होगा ?

जानकारों ने बताया कि किस नियम के तहत है बहाली कि गयी है? यह भी एक जांच का विषय है, श्याम चंद्राकर का निलंबन स्कूल शिक्षा विभाग ने किया है तो उनका बहाल भी मंत्रालय से होना है या मंत्रालय की अनुशंसा पर संचालक द्वारा किया जाता, परंतु निलंबित सचिवालय ने किया बहाल संचनालय से हो गया। संचालक का अधिकार ही नही की वह बहाल करे।

खेलगढ़िया में भ्रष्टाचार कि जांच मे भी विभाग कर रहा लीपापोती

बताते चले की खेलगढ़िया मामले में तात्कालिक डीएमसी रहे श्याम चंद्राकर को भ्रष्टाचार के मामले में मंत्रालय द्वारा निलंबित किया गया था इस मामले में आरोप पत्र जारी किया गया जिसमें भारी त्रुटि है आरोपी को बचाने का भरपूर प्रयास करते हुए गवाहों की सूची ही बदल दी गई इस मामले में आरोप पत्र अनुसार कलेक्टर को गवाह बनाया गया है जिसमें कोई नाम नहीं है केवल पदनाम को गवाह बनाया गया है जबकि कार्यवाही के दौरान जितने भी बी आर सी सी सहित जांच में संलग्न अधिकारियों को गवाही के रूप में शामिल किया जाना था किंतु ऐसा नहीं किया गया प्राय कलेक्टरों को पुराने मामलों के बारे में जानकारी नहीं होती है तो उन्हें गवाह बनाकर विभाग ने आरोपी को बचाने का पूरा प्रयास किया है।

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इस मामले को संज्ञान में लेकर शिक्षा विभाग की छवि धूमिल करने वाले भ्रष्ट दागी, विभागीय जांच का सामना कर रहे व्याख्याता का संलग्नीकरण समाप्त कर संदेश दिया जाना चाहिए कि, यह सरकार जीरो टॉलरेंस के सिद्धांत पर चलते हुए संलग्नीकरण समाप्त करने के अपने आदेश पर कायम रहेगी । या राज्य कि जनता से भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का वादा करने वाले बीजेपी के कटनी और करनी में फर्क है । क्या प्रशासनिक भ्रष्टाचार यूं ही जारी रहेगा ।

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