Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – छत्तीसगढ़ मॉडल से क्या कांग्रेसी कुछ सीख कर जाएंगे…?

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Editor-in-Chief- छत्तीसगढ़ मॉडल से क्या कांग्रेसी कुछ सीख कर जाएंगे…?

विशेष संपादकीय- सुभाष मिश्र

छत्तीसगढ़ में हो रहा कांग्रेस का महाधिवेशन ऐसे मौके पर हो रहा है जब कांग्रेस को एक नई ताकत की जरूरत है। आयोजन स्थल का रायपुर के रूप में चुने जाने का भी यही कारण रहा होगा, क्योंकि आज कांग्रेस सबसे ज्यादा मजबूती से कहीं नजर आती है तो वह छत्तीसगढ़ में है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संगठन और शासन दोनों मोर्चे पर वो कर दिखाया है जो हाल के दिनों में पार्टी में नजर नहीं आया, इसलिए हम इस अधिवेशन के बहाने इस बात की पड़ताल करते हैं कि देशभर से जुटे नेता और कार्यकर्ता छत्तीसगढ़ मॉडल से क्या कुछ सीख कर जा सकते हैं।
इस महाधिवेशन में वरिष्ठ नेताओं द्वारा बनाई गई रणनीति के साथ ही देशभर से आए कांग्रेस नेता यहां भूपेश बघेल की सरकार द्वारा चलाई जा रही कुछ योजनाओं को समझ सकते हैं और उन्हें अपने गृह राज्यों में लागू कराने पर विचार कर सकते हैं। क्योंकि भूपेश बघेल ने अपनी सरकार का फोकस मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में किया है। वे लगातार ग्रामीण इलाकों के दौरे में होते हैं, उनकी सरकार की फ्लैगशीप योजनाएं भी गांव की पगडंडियों से गुजरकर शहर की ओर आती हैं। कहीं न कहीं महात्मा गांधी की सोच भी यही थी कि वे देश के विकास के लिए ग्राम स्वराज चाहते थे। आज भूपेश बघेल ने गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक कदम तो बढ़ा दिया है। सही मायनों में इससे जहां ग्रामीण इलाकों में उनकी पैठ बेहद मजबूत हो गई है। भाजपा जैसी पार्टी के कई नेता भी कभी खुलकर तो कभी निजी चर्चाओं में मानते हैं कि ग्रामीण इलाकों में दाउजी का कोई मुकाबला नहीं।
भूपेश बघेल ने जिस खूबसूरती से ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी को मजबूती दी है, उसी बखूबी के साथ उन्होंने पार्टी को संगठनात्मक तौर पर एकजुट कर खड़ा किया है। छत्तीसगढ़ में लगातार विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत मिल रही थी। एक तरह से यह भाजपा का अभेद गढ़ बनते जा रहा था। झीरम कांड में कई बड़े नेता पार्टी खो चुकी थी, ऐसे मौके पर भूपेश बघेल ने कांग्रेस की कमान छत्तीसगढ़ में थामी और फिर कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने के साथ ही ऐसे लोगों की पहचान करने का बीड़ा उठाया जो विधानसभा चुनाव में भाजपा के जमे हुए दिग्गजों को चुनौती दे सके। फिर पूरे प्रदेश में लोगों के बीच जाकर उनकी मंशा समझने की कोशिश की गई। इस आधार पर चुनाव में वादे किए गए। इस तरह कुशल नेतृत्व से जनता के मूड को समझते हुए रणनीति भूपेश बघेल ने बनाई। शायद ये बहुत अहम पाठ होगा जो यहां से कांग्रेस कार्यकर्ता सीखकर जा सकते हैं।
विरोधियों की प्रमुख ताकत को हथियाना में भाजपा जहां देशभर में राम और गाय के मुद्दे पर राजनीति कर कट्टर हिंदुत्व की बात करती है। वहीं छत्तीसगढ़ में भूपेश दाउ गाय को ग्रामीण-अर्थशास्त्र से और राम को यहां की परंपरा से जोड़ते हैं। आज प्रदेश में राम वन गमन पथ का विकास जोर-शोर से किया जा रहा है, इसकी उपेक्षा यहां भाजपा कार्यकाल में होती रही है। आज गाय को जितना प्रासंगिक कर मानव जीवन के साथ यहां जोड़ा गया था उसका इस तरह का रूप किसी ने पहले नहीं दिखाया। आज यहां गोबर, गौमूत्र खरीदे जा रहे हैं। गाय की उपयोगिता बढ़ी है। इस तरह की बातें यहां से सीखी जा सकती है।
स्थानीय भावना को महत्व, भूपेश सरकार की ये बड़ी खासियत उनकी पहचान बनी है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद इस मुद्दे की लगातार उपेक्षा की गई। आम छत्तीसगढिय़ा को नया राज्य बनने का एक तरह एहसास ही नहीं हो पाया था, लेकिन आज दाउजी की सरकार सीएम हाउस में वे सारे त्यौहार मनाये जाते हंै जो कभी गांव तक ही सीमित थे। यहां के खेलकूद, बोरे-बासी जैसे बातों को सरकारी स्तर पर समर्थन देकर कहीं न कहीं आम लोगों के दिलों में कांग्रेस को फिर से तारने का काम भूपेश बघेल ने किया है। इस तरह छोटी लेकिन बेहद महत्वपूर्ण बातें इस अधिवेशन के बहाने छत्तीसगढ़ से राष्ट्रीय राजनीति में यहां आए कांग्रेस नेता ले जा सकते हैं। क्योंकि कहीं न कहीं इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारत गांवों में बसता है और गांवों से विकास की कड़ी जोड़ी जाएगी तो पूरे देश का भला होगा। कांग्रेस महाधिवेशन में राजनीति, अर्थव्यवस्था समेत कई विषयों पर प्रस्ताव पारित करने और कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के गठन के साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव में व्यापक विपक्षी एकजुटता के संदर्भ में पार्टी अपना रुख स्पष्ट करेगी।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि अगले साल केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई में गठबंधन सरकार बनेगी। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा था कि इस महाधिवेशन में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी एकजुटता के संदर्भ में चर्चा की जाएगी एवं आगे का रुख तय किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि यह सभी जानते है कि कांग्रेस की मौजूदगी के बिना देश में विपक्षी एकता की कोई भी कवायद सफल नहीं हो सकती।
देश के मुख्य विपक्षी दल के इस अधिवेशन में राजनीति, अर्थव्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय मामले, कृषि एवं किसान, सामाजिक न्याय और युवा एवं शिक्षा से जुड़े विषयों पर प्रस्ताव पारित किए जाएंगे। जो अपने आप में महत्वपूर्ण होगें।

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