नितेश मार्क
Dantewada latest news आदिवासियों के जीवन जीने का अधिकार एवं भूमकाल का विद्रोह बस्तर का सच: संजय पंत
Dantewada latest news दंतेवाड़ा -आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता एवं भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष संजय पंत ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भूमकाल विद्रोह कालखंड के परिस्थितियों की तुलना बस्तर के वर्तमान परिस्थितियों से की है। बस्तर रत्न शहीद वीर गुंडाधूर का जन्म बस्तर जिले के नेतानार नामक जगह पर हुआ था।
Dantewada latest news उनका असली नाम बागा धुरवा था तथा वह धुरवा जनजाति समुदाय से थे। अंग्रेजी शासन की शोषणकारी नीतियों के विरुद्ध तो पूरे भारत देश में आंदोलन हुए किंतु बस्तर क्षेत्र में जनजाति समुदायों के विद्रोह अभूतपूर्व थे एवं देश की आजादी में इन विद्रोहों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इतिहास गवाह है कि अपनी सामाजिक एवं आर्थिक आजादी के विरुद्ध थोपी गयी किसी भी प्रकार की नीतियों का आदिवासी समाज ने जबरदस्त विरोध किया है।
Dantewada latest news अंग्रेजी शासन द्वारा आदिवासी संस्कृति, वन अधिकारों एवं वनोपजों के लिये स्थानीय आदिवासियों की भावनाओं के विपरीत बनाई गई नीतियों का विरोध बस्तर के आदिवासियों ने गुंडाधुर के नेतृत्व में भूमकाल के विद्रोह के रूप में किया। जिस प्रकार देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की क्रांति का प्रतीक चिन्ह रोटी एवं कमल का निशान था उसी प्रकार 1910 के भूमकाल विद्रोह का प्रतीक चिन्ह लकड़ी एवं लाल मिर्च थी। वीर गुंडाधुर एक व्यक्ति मात्र नहीं बल्कि समस्त आदिवासी समाज की भावनाओं का मूर्त रूप थे। अन्याय, शोषण एवं हिंसा के विरुद्ध आदिवासी समाज की सामूहिक चेतना का प्रतिनिधित्व वीर गुंडाधुर ने किया था।
बस्तर क्षेत्र की वर्तमान स्थिति काफी पीड़ादायक है तथा प्रतिदिन किसी ना किसी क्षेत्र से फर्जी एनकाउंटर, पुलिस अत्याचार एवं सरकार की दमनकारी नीतियों की खबर आ रही है। दशकों से गरीबी, शोषण, पिछड़ेपन, कुपोषण, अशिक्षा एवं हिंसा की मार झेल रहे बस्तर क्षेत्र में सरकार की अन्यायपूर्ण एवं शोषणकारी नीतियों ने आदिवासी समुदाय पर दोहरा मार किया है। आदिवासी समुदाय का कसूर सिर्फ इतना है कि उसने जल, जंगल, जमीन और अपने संवैधानिक अधिकारों की मांग की है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार आने के बाद इन सरकारी अत्याचारों की संख्या में अभूतपूर्व रूप से वृद्धि हुई है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में नागरिकों को दिए गए जीवन जीने के अधिकार का बस्तर के आदिवासियों के परिप्रेक्ष्य में सीधा-सीधा उल्लंघन हो रहा है।
दंतेवाड़ा जिले के गीदम में 7 फरवरी को भूमकाल स्मृति दिवस एवं गुंडाधुर जयंती बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर बस्तर क्षेत्र के कोने-कोने से आए हुए आदिवासी ग्रामीणों में सरकार की जन विरोधी एवं पर्यावरण विरोधी नीतियों के विरुद्ध जबरदस्त आक्रोश देखा गया।
Dantewada latest news केंद्र एवं राज्य सरकारों को आदिवासियों के जीवन जीने के अधिकार का सम्मान करना ही पड़ेगा। सरकार द्वारा खनिज संपदा का अनुचित दोहन करने के लिए आदिवासी को आदिवासी से लड़ाई करवाने की नीति का त्याग करना ही पड़ेगा। भारतीय किसान यूनियन बस्तर क्षेत्र में आदिवासियों पर हो रहे लगातार अत्याचारों की कड़ी शब्दों में निंदा करता है।
भारतीय किसान यूनियन सरकार को यह आगाह भी करता है कि लगातार हो रहे पुलिस अत्याचार लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार एवं आदिवासी समुदाय के बीच सीधे संघर्ष को बढ़ावा देगा।
सरकार को यह समझना भी आवश्यक है कि बस्तर का वर्तमान आदिवासी समाज गुंडाधुर की ही पीढ़ी है तथा अन्याय एवं शोषण के विरुद्ध गुंडाधुर की विरासत को आगे ले जाना ही आदिवासी समाज का अंतिम लक्ष्य है।