Dantewada latest news : आदिवासी मूल निवासी किसान मतदाताओं को राजनीति पार्टियों वोट बैंक मशीन समझना बंद करें : संजय पंत
Dantewada latest news : दंतेवाड़ा ! आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता एवं भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष संजय पंत ने प्रेस नोट जारी कर बस्तर संभाग में हो रहे भ्रष्टाचार अत्याचार अन्याय के बारे एवं चुनाव के बारे में समीक्षात्मक टिप्पणी की है।
छत्तीसगढ़ बस्तर क्षेत्र के अंतर्गत 12 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है। राजनीति पार्टी का नेता पांच सालों तक सरकारी बंगलों, बुलेट प्रूफ गाड़ियों एवं एयर कंडीशनर मीटिंगों में व्यस्त रहने वाले राजनीतिक दलों के नेताओं को बस्तर की जनता की याद आ रही है।
Dantewada latest news : अपने ही समाज के भोले-भाले आदिवासी जनता को शोषण, गरीबी, पिछड़ेपन और हिंसा के दलदल में धकेलने वाले आरक्षित सीटों से चुने जाने वाले नेताओं से जनता अब सवाल पूछेगी।
जिस प्रकार साल भर पढ़ाई करने वाले छात्र का मूल्यांकन शिक्षक द्वारा परीक्षा के माध्यम से किया जाता है ठीक उसी प्रकार पांच सालों तक जनता की सेवा की कसमें खाने वाले राजनीतिक दलों के नेताओं का मूल्यांकन जनता रूपी शिक्षक के द्वारा चुनाव के माध्यम से किया जाता है।
आज बस्तर की मूलनिवासी आदिवासी जनता के पास कीमती वोटों का प्रयोग करके अपने एवं अपने आने वाली पीढि़यों के भविष्य का फैसला कर सके। किसी भी प्रकार के लालच, दबाव, भय, प्रलोभन में आकर अयोग्य उम्मीदवार को जीताने का मतलब होगा कि बस्तर की जनता अपने आने वाली पीढियों के भविष्य को गलत हाथों में सौंप रही है?
Dantewada latest news : मूल निवासी एवं आदिवासी हितों की कसमें खाने वाले सभी राजनीतिक दलों का सुनहरा अवसर है कि वे आदिवासियों को उनके संवैधानिक अधिकार दिलाकर संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा कर सके। चुनाव प्रचार के लिए आने वाले सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से जनता को उनके द्वारा पिछले पांच सालों में किये गए कार्यों का हिसाब मांगना चाहिए।
भ्रष्टाचार की राजधानी बन चुके बस्तर क्षेत्र को भ्रष्टाचार की समस्या से इस क्षेत्र की जनता ही मुक्ति दिला सकती है।
नक्सली नामक हिंसा की आग में जल रहे बस्तर क्षेत्र की इस दुर्दशा का मुख्य कारण यहां के आदिवासी नेता है फिर चाहे वह किसी भी राजनीतिक पार्टी के हों। बस्तर के जल, जंगल और जमीन में जन्म लेकर इसी आदिवासी समाज से धोखा देकर राजनीतिक पार्टियों की चापलूसी करने वाले नेताओं को यह जवाब देना चाहिए कि वे क्या मुंह लेकर जनता से वोट मांगने जाएंगे।
चुनाव के समय में राजनीतिक पार्टियों के मोहरे बननेे वाले मूल निवासी आदिवासी सामाज संगठन के तथाकथित नेताओं को जनता को यह बताना चाहिए कि उन्होंने किस स्वार्थ की पूर्ति के लिए अपने ही समाज को राजनीतिक पार्टियों के हाथों बेच दिया। काजू, किशमिश और बादाम खाने वाले सभी पार्टियों के विधायकों एवं मंत्रियों से जनता को यह सवाल करना चाहिए कि वे कौन से कारण हैं जिनके कारण दक्षिण बस्तर की 90% मूलनिवासी आदिवासी महिलाएं एनीमिया रोग से पीड़ित है।
Dantewada latest news : लोगों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए हजारों करोड़ रूपया खर्च करने वाली राज्य एवं केंद्र सरकारों को भी यह जवाब देना चाहिए कि क्यों नहीं चुनाव रूपी इस परीक्षा में उन्हें शून्य अंक देकर फेल कर दिया जाए। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, मुख्यमंत्री सहित सभी पार्टियों के नेताओं का चुनाव प्रचार के लिए बार-बार आगमन बस्तर क्षेत्र में हो रहा है। क्या किसी भी पार्टी के किसी भी नेता ने अपने कार्यक्रम स्थल से कुछ कदमों की दूरी पर स्थित जिला अस्पतालों, स्कूलों, आंगनबाड़ियों, बस स्टैंडों का दौरा किया? यदि इन नेताओं के पास जनता की मूलभूत जरूरतों को देखने एवं सुनने का समय नहीं है तो जनता के पास भी इनके सड़़ चुके भाषणों को सुनने के लिए समय नहीं है।
कर्ज लेकर कर्ज माफ करने वाले एवं छत्तीसगढ़ी अस्मिता की बात करने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जनता के सामने आकर यह जवाब देना चाहिए की क्यों उन्होंने राज्य की जनता को भ्रष्टाचार, शराबखोरी और ठेकेदारों के चंगुल में फंसाया। पिछले चुनावी घोषणा पत्र में बेकसूर आदिवासियों की रिहाई के मामले में अपनी असफलता को स्वीकारते हुए राज्य सरकार को बस्तर की आदिवासी जनता से माफी मांगनी चाहिए।
केंद्र की मोदी सरकार को यह समझना चाहिए कि सिर्फ रैलियों में आदिवासी कल्याण की बातें करने से ही आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की पूर्ति नहीं होती है। चुनावी रैलियों में बार-बार प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री द्वारा नगरनार इस्पात संयंत्र को नहीं बेचने की बातें कही जा रही है। भारतीय किसान यूनियन केंद्र को यह याद दिलाना चाहता है कि नगरनार इस्पात संयंत्र की असली मालिक वहां की प्रभावित किसान मूल निवासी एवं आदिवासी जनता है। यदि मालिक अपनी संपत्ति को बेचना ही नहीं चाहता है तो केंद्र सरकार किस हक से नगरनार इस्पात संयंत्र को नहीं बेचने की बात कर रही है।
1 नवंबर सन 2000 को मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई। छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना का मुख्य उद्देश्य यहां के मूलनिवासी एवं आदिवासियों का बहुमुखी विकास करना था। राज्य बननेे के 23 वर्षों के बाद भी अभी तक राज्य को आदिवासी मुख्यमंत्री नसीब नहीं हुआ है। पंचायती राज अधिनियम, पांचवी अनुसूची, पेसा कानून, भूमि अधिग्रहण अधिनियम जैसे संवैधानिक प्रावधानों के बार-बार बस्तर क्षेत्र में हो रहे उल्लंघन को लेकर केंद्र एवं राज्य सरकार दोनों को जवाब देना चाहिए। सन 2012 में बीजापुर जिले के सारकेगुड़ा गांव में हुए फर्जी एनकाउंटर में 17 आदिवासियों को जांच कमेटी ने निर्दोष करार दिया है और उनमें से किसी के भी नक्सली से संबंध होने के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। भाजपा एवं कांग्रेस दोनों ही सरकारों को इस मामले में अपनी असफलता के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए।
भारतीय किसान यूनियन एक गैर राजनीतिक और किसानों का संगठन है किंतु किसान एवं मूल निवासी आदिवासी भाइयों के ऊपर किसी भी प्रकार के अत्याचार एवं शोषण को जड़ से खत्म करने के लिए सबसे आगे खड़े होने का आश्वासन भी देता है। 7 नवंबर को होने वाले चुनाव को ध्यान में रखते हुए बस्तर क्षेत्र के संदर्भ में भारतीय किसान यूनियन सभी राजनीतिक पार्टियों से यह मांग करता है कि छत्तीसगढ़ राज्य, बस्तर क्षेत्र एवं आदिवासी मूलनिवासी समुदाय के हित के लिए निम्नलिखित तीन मांगों को पूरा करें-
1. छत्तीसगढ़ राज्य का अगला मुख्यमंत्री बस्तर क्षेत्र से आदिवासी समुदाय का होना चाहिए फिर चाहे वह किसी भी राजनीतिक पार्टी का हो।
2. सारकेगुड़ा फर्जी एनकाउंटर (जिला बीजापुर) में मारे गए 17 आदिवासी परिवारों को एक-एक करोड़ रुपए मुआवजा एवं प्रत्येक परिवार के एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।
3. ताड़मेटला एनकाउंटर (जिला-सुकमा) की न्यायिक जांच करायी जाए।
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लोकतंत्र में चुनाव एक त्यौहार के समान होता है। भारतीय किसान यूनियन सभी मतदाताओं को शुभकामनाएं देते हुए अपील करता है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में वोट दें और अपने क्षेत्र से ऐसे प्रत्याशी को चुने जो आदिवासी मतदाताओं को सिर्फ वोट बैंक नहीं समझता हो। किसी भी प्रकार के भय, लालच, दबाव में ना आकर अपना मतदान करें क्योंकि आपका दिया गया वोट ही आपकी आने वाली पीढियों का भविष्य तय करेगा।