Chhattisgarh Hariyali Teej 2023 : मायके में मनाया जाता है हरियाली तीज का पर्व… इस परंपरा के पीछे है रोचक कहानी..जरुर पढ़िए
Chhattisgarh Hariyali Teej 2023 : हरियाली तीज का पर्व हर महिला के लिए बेहद ही खास होता है, फिर चाहें वह शादीशुदा महिला या फिर कुंवारी कन्याएं. क्योंकि यह महिलाओं का खास दिन होता है जगह जहग मेलो का आयोजन होता है
Chhattisgarh Hariyali Teej 2023 : हालांकि, समय के साथ अब मेलों का भी स्वरूप बदल गया है और मेलों की जगह और तीज पार्टीज ने ले ली है.लेकिन हरियाली तीज से जुड़ी एक ऐसी परंपरा है जो कि आज तक नहीं बदली और इसका बखूबी पालन किया जा रहा है. आइए जानते हैं हरियाली तीज से जुड़ी इस खास परंपरा के बारे में डिटेल से.
Chhattisgarh Hariyali Teej 2023 : हिंदू धर्म में इसे बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व माना गया है. जो कि खास तौर पर छत्तीसगढ़ ,दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है.
इस दिन शादीशुदा बेटियों के घर में सिंधारा भेजने की परंपरा है जो कि सदियों से चली आ रही है. मायके से सिंधारे में कपड़े, मिठाईयां और सुहाग का सामान भेजा जाता है. इसके बाद यह मिठाईयां पड़ोस में शगुन के तौर पर बांटी जाती हैं. सिंधारे के रूप में मायके वाले अपनी बेटी को खुशहाली का आशीर्वाद भेजते हैं.
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मायके में मनाया जाता है हरियाली तीज
आमतौर पर शादीशुदा महिलाएं सभी त्योहार ससुराल में ही मनाती हैं. लेकिन हरियाली तीज का पर्व मायके में मनाया जाता है. जब मायके से सिंधारा आता है तो साथ में बेटी को ससुराल से मायके ले जाया जाता है और वहां जाकर वह अपनी सहेलियों के लिए खूब मस्ती करती है. यह परंपरा आज भी जारी है. लेकिन इसके पीछे एक बेहद ही रोचक कहानी छिपी हुई है.
प्रचलित कथा के अनुसार हरियाली तीज के दिन राधारानी अपने ससुराल से मायके यानि बरसाना आई थी. मायके आकर उन्होंने अपने सहेलियों के साथ झूला झूलते हुए मस्ती और खूब हंसी-ठिठोली भी की. कहते हैं कि तभी से यह परंपरा है कि हरियाली तीज के दिन बेटी ससुराल से मायके आती है. इसलिए यह त्योहार मायके में मनाया जाता है.