Chhattisgarh Culture Council : हबीब तनवीर के जन्मशती पर “रंग हबीब” कार्यक्रम का आयोजन, देखिये VIDEO

Chhattisgarh Culture Council :

Chhattisgarh Culture Council हबीब अपने समय के नायक रंगकर्मी और निर्देशक रहे

 

हबीब ने दुनिया भर में भारतीय नाटक को दिलाया पहचान

 

हबीब के गीत प्रस्तुत करते हुए पूनम के छलके आंसू

 

दुनिया भर के रंगमंच को चुनौती देती थी हबीब के नाटक

 

 

 

Chhattisgarh Culture Council रायपुर । कला अकादमी, छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद और रजा फाउंडेशन, रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में देश के मशहूर नाटककार और रंग निर्देशक हबीब तनवीर के जन्मशती पर “रंग हबीब” कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर कई सत्रों में हबीब तनवीर के रंगमंच और उनके गीतों पर विस्तार से चर्चा हुई। इसमें कई मशहूर रंग निर्देशक और लेखकों ने हबीब के रचनाओं और उनके उपलब्धियों के बारे में बताया। वहीं इस देश में हबीब तनवीर किस प्रकार से उपेक्षित रहे हैं इसके बारे में भी चर्चा हुई।

 

 

Chhattisgarh Culture Council आज किस प्रकार से हबीब तनवीर केवल नाटक और लेखों तक सीमित होकर रह गए हैं। उनके लिए शासन प्रशासन की ओर से कुछ नहीं किया गया। पहले सत्र में अशोक वाजपेयी ने प्रस्तावना वक्तव्य दिए वहीं अरविंद गौड़ ने प्रारंभिक दौर के बारे में बताए। कार्यक्रम के शुरुआत में पूनम तिवारी ने हबीब तनवीर के गीत और रंग संगीत का जीवंत प्रस्तुति दी। पूनम तिवारी एक ऐसे आर्टिस्ट हैं जो हबीब के रंग संगीत को जिंदा रखी है !

इस अवसर पर अशोक वाजपेयी ने हबीब तनवीर के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि हबीब अपने समय के नायक रंगकर्मी और निर्देशक रहे हैं। उन्होंने पूरी दुनिया में छत्तीसगढ़ के नाचा गम्मत को पहुंचाया वही उन्होंने नाटक को एक नया आयाम दिया। आज जिस प्रकार से उनके साथ व्यवहार किया जा रहा है यह बहुत चिंता का विषय है । हबीब को जिस प्रकार से सम्मान देना चाहिए वह नहीं मिल पाया।

 

अरविंद गौड़ ने कहा कि हबीब तनवीर को जहां तक मैं याद करता हूं उनके कई संस्मरण दिमाग में कौंध जाते हैं हबीब तनवीर एक ऐसे नाटककार या निर्देशक थे जिनका आम से खास लोगों तक का नाता था उनकी नाटक एक आंचलिक स्तर से लेकर विश्व के कई बड़े मंच तक कोहराम मचाते नजर आते थे हबीब तनवीर के रंगमंच दुनिया के रंगमंच को चुनौती देती थी। उनके पास ना प्रशिक्षित कलाकार थे और ना ही रेल ट्रेन कलाकार लेकिन इसके बावजूद भी इनके कैसे कलाकार थे जो अपने नाटक में जीवंत प्रस्तुति देती थी और लोग मंत्र मुक्त हो जाते थे।

 

नुक्कड़ नाटक में दिखता है हबीब तनवीर की झलक

अरविंद गॉड ने कहा कि मैं एक शहरी नाटककार हूं ।  लेकिन मैंने हबीब तनवीर से बहुत कुछ सीखा जिसकी झलक आज मेरे नुक्कड़ नाटक में झलकती है। मैंने उनके साथ बहुत काम किया लेकिन उनके सोच और उनके काम करने की पद्धति को देख स्तभ रह जाता था। उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला।

हबीब के गीतों और रंग संगीत की प्रस्तुति

 

 

छत्तीसगढ़ के लोक गायिका पूनम तिवारी ने हबीब के गीतों और रंग संगीत की शानदार प्रस्तुति दी। उन्होंने हबीब तनवीर के नाटकों में इस्तेमाल गीतों और रंग संगीत के लाइव प्रस्तुति दें जिसमें आगरा बाजार चरण कर और कई अन्य नाटकों के गीत संगीत को प्रस्तुति दे उन्होंने जीत के प्रस्तुति करते हुए अभी तनवीर और अपने बच्चे जो भी दुनिया में नहीं है कहते हुए आंख में आंसू छलक आए और उन्होंने चोला माटी के है राम एकर क्या भरोसा …. गीत प्रस्तुत कर सभी का मनमोह लिया। वहीं इस गीत से हॉल में बैठे श्रोताओं के आंख नम हो गए….

 

दूसरे सत्र में हबीब का देश पर हुई चर्चा

 

दूसरे सत्र में कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए परवेज अहमद ने हबीब तनवीर के देश के बारे में बताया। परवेज एक वरिष्ठ पत्रकार हैं जो हबीब के काफी करीब रहे हैं।परवेज ने कहा कि यह देश हबीब का देश है। हबीब तनवीर एक ऐसे नाटककार थे जो आम लोगों के लिए नाटक करते थे उन्होंने कभी भी अपने ऊपर बाजारवाद को हावी होने नहीं दिया।

इस अवसर पर आनंद हर्षुल ने हबीब तनवीर का छत्तीसगढ़ जर्नी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि जब हबीब तनवीर रायपुर अपने परिवार से मिलने आए तो जेएन पांडेय स्कूल में नाचा गमत देखने गए और उनको पसंद आया। बाद में कई कलाकारों को वो अपने साथ ले गए। इसलिए भी हबीब पर नाचा गमत मंडली तोड़ने के आरोप लगे हैं। हालांकि बाद में वही मंडलिया देश सहित विदेशों में भी रंगमंच का परचम लहराया है ।

वहीं आशीष त्रिपाठी ने अपनी वक्तव्य देते हुए बताया कि हबीब तनवीर का देश है और हम उनको देख कर ही पले बढ़े हैं। उनके काम को पूरी दुनिया सलाम करती है। आज हबीब तनवीर के नाटक देश भर में खेला जाता है। लेकिन उनको आज देश भुला चुका है उन्होंने हबीब के नाटक और जर्नी के बारे में विस्तार से बताया।

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उन्होंने कहा कि हबीब का देश छत्तीसगढ़ है। उनका यहां गहरा नाता रहा है। हबीब तनवीर के छत्तीसगढ़ देश में किसी भाषा के साथ बैर नहीं है यहां हिंदी उर्दू और छत्तीसगढ़ी सभी साथ रहती है।

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