Chhath Puja, the great festival of sun worship : पुत्र मनोकामना के लिए सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा

Chhath Puja, the great festival of sun worship :

Chhath Puja, the great festival of sun worship : पुत्र मनोकामना के लिए सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा

Chhath Puja, the great festival of sun worship :  प्रयागराज ! पुत्र मनोकामना और उसके दीर्घायु तथा कुशलता के लिए चार दिवसीय लोक आस्था का पर्व छठ पूजा (सूर्याेपासाना) 17 नवंबर से शुरू कर 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्ध्य देकर समापन होगा।

सूर्योपासना के इस पवित्र चार दिवसीय पर्व के पहले दिन परवातिन (व्रत करने वाले) श्रद्धालु अंतःकरण की शुद्धि के लिए कल नहाय-खाय के संकल्प के साथ नदियों-तालाबों के स्वच्छ जल में स्नान करने के बाद अरवा भोजन ग्रहण कर व्रत को शुरू करेंगे। उसके बाद और चौथे दिन उगते सूर्य को गंगा में खड़े होकर अर्ध्य देकर व्रत समाप्त किया जाता है। यही एक ऐसा पर्व है जिसमें मूर्ति की पूजा नहीं होती और अस्ताचलगामी सूर्य का अर्ध्य दिया जाता है अन्यथा उगते सूर्य को ही अर्ध्य देकर उन्हें प्रणाम किया जाता है।

Chhath Puja, the great festival of sun worship : छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना के रूप में जाना जाता है। हालांकि इसी दिन से छठ व्रती का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। शाम के वक्त अरवा चावल, दूध, गुड़, खीर इत्यादि का प्रसाद बनता है तथा भगवान भास्कर को चढ़ाने के बाद व्रती अल्प प्रसाद ग्रहण करती हैं. इस दिन निर्जला उपवास की शुरुआत हो जाती है।

छठ पूजा में तीसरे दिन को सबसे प्रमुख माना जाता है। इस मौके पर शाम के समय नदी या तालाब में खड़े होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है।
चौथे दिन सुबह भगवान भास्कर के उदीयमान स्वरूप को अर्घ्य दिया जाता है। सुबह श्रद्धालु छठ घाट पहुंचते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इसके बाद परवातिन द्वारा पारण किया जाता है तथा छठ का व्रत खोल दिया जाता है, इसी के साथ छठ पर्व का समापन भी हो जाता है।

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Chhath Puja, the great festival of sun worship : छठ पर्व मुख्य रूप से बिहार में बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। धीरे-धीरे इसका स्वरूप बढ़ता गया। यह पर्व अब पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों के साथ सात समुंदर पार जहां भी सनातनी है वहां भी मनाया जाता है। यह पर्व मैथिल, मगध और भोजपुरी लोगों का सबसे बड़ा पर्व है।

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