But what is the solution लेकिन समाधान क्या है?

But what is the solution

But what is the solution लेकिन समाधान क्या है?

But what is the solution अगर ये धारणा बन गई हो कि ये सारा प्रोजेक्ट सत्ता के संरक्षण में चलाया जा रहा है, तो फिर इसका क्या समाधान होगा, इसे सोच पाना आसान नहीं है। बहरहाल, खास घटनाओं में अवश्य ही न्यायपालिका जल्द सुनवाई कर और उचित सजा देकर मिसाल कायम कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने सटीक बात कही है।

अदालत ने कहा कि देश का माहौल हेट स्पीच (नफरत भरी बातों) के कारण खराब हो रहा है। ऐसी भडक़ाऊ बयानबाजी पर अंकुश लगाने की जरूरत है। यह टिप्पणी भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अल्पसंख्यकों का नरसंहार करने और भारत को 2024 के चुनाव के पहले हिंदू राष्ट्र बनाने जैसे नफरत भरे भाषण दिए जा रहे हैं।

इस आरोप से जस्टिस ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट की बेंच सहमति जताई। कहा- नफरत भरे भाषणों के कारण पूरा माहौल खराब हो रहा है। याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि कुछ राजनीतिक दलों द्वारा नफरती भरे भाषणों को लाभदायक व्यवसाय में बदल दिया गया है और सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। पीठ ने कहा कि नफरत भरे भाषणों के 58 मामले उसके सामने आए हैं।

इसलिए अदालत को एक अस्पष्ट विचार देने के बजाय, याचिकाकर्ता इनकी ठोस स्थिति की जानकारी कोर्ट के सामने रखनी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे मामलों में संज्ञान लेने के लिए अदालत को तथ्यों की जरूरत है।

कानून के अपने तकाजे होते हैं, इसलिए मुख्य न्यायाधीश की बातों से सहमति जताई जा सकती है। मगर ऐसे भाषण आज इतने आम और रोजमर्रा की बात हो गए हैं कि उनके बारे में तथ्य जुटाना कोई मुश्किल काम नहीं है।

सवाल यह है कि ऐसे मामलों में न्यायपालिका किस हद तक जा सकती है। अगर ये धारणा बन गई हो कि ये सारा प्रोजेक्ट सत्ता के संरक्षण में चलाया जा रहा है, तो फिर इसका क्या समाधान होगा, इसे सोच पाना आसान नहीं है। बहरहाल, खास घटनाओं में अवश्य ही न्यायपालिका जल्द सुनवाई कर और उचित सजा देकर मिसाल कायम कर सकती है।

इस लिहाज से यह स्वागतयोग्य है कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और उत्तराखंड की सरकारों को दो अलग-अलग विवादित धार्मिक आयोजनों के मामले में उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। आरोप है कि इन आयोजनों में कथित रूप से नफरत भरे भाषण दिए गए थे।

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