BJP election चुनाव बाद का भाजपा का रोडमैप?

BJP election

हरिशंकर व्यास

BJP election चुनाव बाद का भाजपा का रोडमैप?

BJP election भाजपा चुनाव के बाद के एलायंस का भी खांका सोचे हुए है। इसलिए क्योंकि मोदी-शाह जानते है कि 2024 का चुनाव 2019 की तरह नहीं होगा। पिछले दो चुनावों में विपक्ष बिखरा हुआ था, जिसका बड़ा फायदा भाजपा को मिला।

BJP election इस बार विपक्ष चुपचाप एकजुट होकर लड़ेगा। जनता में भाजपा को 10 साल के केंद्र सरकार के कामकाज का हिसाब भी देना होगा। भाजपा की तैयारियों से यह भी अंदाजा हो रहा है कि वह कम अंतर से जीती हुई अपनी 77 सीटों पर विपक्ष की तैयारियों को लेकर चिंता में है।

BJP election अगर इन सीटों पर कांग्रेस और अन्य प्रादेशिक पार्टियों के बीच तालमेल बनता है तो भाजपा को नुकसान होगा। पिछले चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक इनमें से 40 के करीब सीटें ऐसी हैं, जहां विपक्षी पार्टियों का वोट जोड़ दिया जाए तो भाजपा हार जाएगी। अगर सिर्फ ये 40 सीटें कम हो गईं तो भाजपा बहुमत से नीचे आ जाएगी।

BJP election यहीं बात बिहार में अलग होने के बाद से जदयू के नेता कह रहे हैं। उनका कहना है कि 40 से 50 सीटें कम कर देनी हैं। बिहार में जदयू के साथ मिल कर लडऩे पर भाजपा को 17 सीटें मिली थीं। अगले चुनाव में उसे कुछ सीटों का नुकसान हो सकता है। इस तरह का नुकसान कर्नाटक में भी संभव है, जहां पिछली बार भाजपा को छप्पर फाड़ सीटें मिली थीं। वह 28 में से 25 सीटों पर जीती थी। इस बार वहां शायद ऐसा नहीं हो सकेगा।

BJP election इसी तरह पिछले चुनाव में भाजपा को पश्चिम बंगाल में 18 और ओडिसा में आठ सीटें मिली थीं। इन दोनों राज्यों में भी तस्वीर बदल सकती है।

इसलिए मोदी-शाह यह सिनेरियो सोचे हुए होंगे कि यदि सीटों में बहुत ज्यादा कमी नहीं आए तब भी वह बहुमत से नीचे जा सकती है। तभी भाजपा ने चुनाव बाद की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। सवाल है कि चुनाव के बाद जरूरत पडऩे पर भाजपा को सरकार बनाने के लिए कौन मदद कर सकता है? देश की ज्यादातर प्रादेशिक पार्टियां कभी न कभी भाजपा के साथ रही हैं।

जेडीएस, डीएमके, जेएमएम, जेडीयू, शिव सेना जैसी पार्टियों को लेकर भाजपा नेता भरोसे में हैं कि चुनाव बाद जरूरत पडऩे पर इनका साथ मिलेगा। हालांकि तमाम क्षेत्रीय पार्टियां केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियों की अब ऐसी मारी हैं कि वे बदला ले कर रहेगी।

सभी वक्त और मौके की इंतजार में हैं। अगर उनको मौका मिला तो भाजपा की फिर से सरकार बनवाने की बजाय वे भाजपा को सत्ता से दूर रखने का फैसला करेंगे। इसलिए भाजपा के लिए चुनाव बाद की तस्वीर अच्छी नहीं है।

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