Bhilai breaking update माहे रमजान में इबादत का दौर, बड़ों के साथ बच्चे भी रख रहे रोजा

Bhilai breaking update

रमेश गुप्ता

 

Bhilai breaking update सेहरी से इफ्तार तक घरों में औरतों की भी दिनचर्या बदल गई

 

Bhilai breaking update भिलाई। रमजान के इस मुबारक महीने में रोज़ा-अफ्तार के साथ इबादत का दौर जारी है। नौजवानों और बड़े-बुजुर्गों के साथ बच्चों में भी रोजा रखने का हौसला बरकरार है। इस्लाम में हर इबादत बालिग होने पर फर्ज हो जाती है जिसको पूरा करना जरूरी होता है। औरतों के लिए भी रमजान माह में दिनचर्या बदल गई है।

 

कुरान की तिलावत करना,शाम के वक्त इफ्तार तैयार करना, आधी रात पूरी होने पर सहरी बनाने की तैयारी करना फिर पांच वक्तों की नमाज़ पढ़ना होता है। जिसमें घर की औरतें मसरूफ रहती हैं।  खुर्सीपार जोन 3 की गजाला कुरैशी बताती है कि अल्लाह रोजेदार के लिए जो अर्ज रखा है उसका यकीन फर्ज को पूरा कराता है। 11 महीने खाए पिए है एक माह अल्लाह की रज़ा के लिए कुछ भूखा प्यासा रहना चाहिए।

Bhilai breaking update रूआबांधा निवासी आरिफा इकबाल कहती हैं रोजा हर बालिग मोमिन मर्द ओर औरतों पर फर्ज है। अल्लाह के नबी सल्ललाहो अलैहि वसल्लम का फरमान है जिसका खुलासा है कि रोजे का बदला अल्लाह ख़ुद अता फ़रमाता है। सेक्टर 11 खुर्सीपार निवासी नफीस असलम बताती है जितना सवाब मर्दों को मिलता है उतना ही औरतों को घर पर रहकर इबादत करने,नमाजे तरावीह पढ़ने, तिलावते कुरआन में, अल्लाह के जिक्र अजकार में और दरूद शरीफ पढ़ने में मिलता है।

जितना वक्त मिले उसको इबादत में लगाना चाहिए। जोन 2 निवासी शन्नो खालिद जमाल,नूर अस सबा, रिजवाना जुनैद, सोनी मजहर ओर इंजीनियर सबा कुरैशी बताती है दर हक़ीक़त रोजा इस्लाम के अरकान में से एक अहम अरकान फ़र्ज़ है। बिला उज्र (वास्तविक कारण) के बिना रोजा नहीं छोड़ना चाहिए।  क्योंकि रोजा नफस (इच्छा, शक्ति)को कंट्रोल करना,भूख व प्यास का अहसास दिलाता है।

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Bhilai breaking update सबसे बड़ी बात अल्लाह से कुर्ब (करीब) का जरिया है। इंजीनियर कहकशां अंजुम कहती हैं नौजवानों को भी सावधानी बरतनी चाहिए। बिना वजह घूप में घूमने या गपशप करने बिना मतलब की बातें जिसमें ना दुनिया का फायदा है ओर ना आखिरत का फायदा इससे बचना चाहिए। रोजा रखकर बुराईयों को छोड़ना ताकि आगामी 11 महीने साफ पाकदामनी की ओर अल्लाह और उसके रसूल सल्लाहु अलैहि वसल्लम को राजी करने वाली जिंदगी जिएं जिससे लोगों में मोहब्बत अमन इंसाफ ओर सच्चाई आम हो। रोेजेदार औरतें बताती हैं कि उनके घरों में बड़ों के साथ बच्चे भी रोजा रख रहे हैं और इबादत भी कर रहे हैं।

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