Bhatpara Treading बिगड़ रहा मिजाज बबूल बीज का…सेहत चरोटा की भी ठीक नहीं

Bhatpara Treading

राजकुमार मल

 

Bhatpara Treading बिगड़ रहा मिजाज बबूल बीज का…सेहत चरोटा की भी ठीक नहीं

 

 

 

Bhatpara Treading भाटापारा- नई फसल कमजोर। इस खबर ने पुराना बबूल बीज को 1500 रुपए क्विंटल पर पहुंचा दिया है। कुछ ऐसा ही हाल महुआ में भी बना हुआ है। नई फसल की आवक तो शुरू हो चुकी है लेकिन कीमत 3800 से 4000 रुपए क्विंटल बोली जा रही है। कुल मिलाकर दोनों प्रमुख वनोपज की खरीदी पर बीते साल की तुलना में दोगुनी रकम लग रही है।

हलाकान हो चुका है वनोपज का कारोबार। मौसम फिर से बिगड़ने लगा है। महुआ की फसल पहले ही तबाह हो चुकी है। अब बारी है उस बबूल की, जिसकी फलियां तेज हवा और बारिश की मार, ऐसे वक्त में झेल रही हैं, जब बढ़वार का अवसर है। कमजोर फसल के अंदेशे को देखते हुए यह, दोगुनी कीमत पर पहुंच चुका है। पुरानी फसल की यह कीमत, खरीदी के अंतिम दौर तक बनी रहने की आशंका को बढ़ाए हुए हैं।

आशंका 50 फ़ीसदी फसल की

 

संपूर्ण प्रदेश में संग्रहित होता रहा है बबूल बीज । औसत उत्पादन आता रहा है 5000 से 7000 क्विंटल का। इस बार इसमें 50 फीसदी कमी की आशंका बन रही है क्योंकि फूलों के लगने की अवधि में ही मौसम की मार पड़ी। ऐसे में प्रमुख उपभोक्ता राज्य, मध्य प्रदेश को छत्तीसगढ़ से खरीदी दोगुनी कीमत पर करनी होगी। असर उस बिहार पर भी पड़ेगा, जो पशु आहार के लिए बबूल बीज की खरीदी के लिए छत्तीसगढ़ पर निर्भर है।

संकट में है महुआ

 

महुआ पर संकट के बादल अभी भी छाए हुए हैं। ले-देकर बचे फूल टपकने के लिए तैयार हो रहे थे कि मौसम फिर से बिगड़ने लगा है। ऐसे में नॉन फूड ग्रेड माना जा रहा महुआ, पहली बार 3800 से 4000 रुपए क्विंटल पर पहुंचा हुआ है। बढ़ सकती है कीमत। यह अंदेशा इसलिए बना हुआ है क्योंकि झारखंड की खरीदी निकलने ही वाली है। इसके अलावा घरेलू मांग भी निकलने के संकेत हैं।

बिगड़ने के आसार यहां भी

 

चरोटा। छत्तीसगढ़ की पहचान, जापान, मलेशिया और ताइवान जैसे देश में बनाई है। मौसम का असर इस पर भी देखा जा रहा है। अनुपात से कम पुष्पन साफ संकेत दे रहा है कि इस वर्ष चरोटा का साथ, वनोपज बाजार को कम ही मिलेगा । नई कीमत का खुलासा इसलिए भी नहीं किया जा रहा है क्योंकि फिलहाल गुणवत्ता पर नजर रखी जा रही है। फिर भी तेजी के बीच ही खुलेगी कीमत।

बढ़ रहा नुकसान

 

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प्रतिकूल मौसम की वजह से महुआ और बबूल की फसल लगभग खत्म हो चुकी है। मांग पूर्ववत स्तर पर बनी हुई है। इसलिए कीमत दोगुनी हो चुकी है। यह ऐसा नुकसान है, जिसकी भरपाई फिलहाल नहीं की जा सकती।
-सुभाष अग्रवाल, एसपी इंडस्ट्रीज, रायपुर

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