Bharatiya Janata Party हिमाचल प्रदेश में चुनावी शंखनाद के साथ ही जिताऊ उम्मीदवारों की नब्ज टटोलेंगे नड्डा

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Bharatiya Janata Party चुनावी शंखनाद के साथ जिताऊ उम्मीदवारों की नब्ज टटोलेंगेः नड्डा

 

Bharatiya Janata Party शिमला !   भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा हिमाचल प्रदेश में चुनावी शंखनाद के साथ ही जिताऊ उम्मीदवारों की नब्ज टटोल सकते हैं।


वर्ष 2014 के बाद वायु वेग से भाग रही भाजपा की आंधी में इंडी महागठबंधन जहां उड़ता नजर आ रहा है, वहीं भाजपा का संगठन जीत की पटरी को और मजबूती देने में जुटा हुआ है।


Bharatiya Janata Party   नड्डा अपने गृह प्रदेश में चारों सीटों पर क्लीन स्वीप देने को लेकर पूरी तैयारी में भी हैं। आज यानी शनिवार को श्री नड्डा धर्मशाला पहुंच रहे हैं।


उनके स्वागत को लेकर प्रदेश भाजपा ने पूरी तैयारी कर ली है। यही नहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष की प्रश्नावलियों को लेकर प्रभारी व प्रदेश अध्यक्ष सहित तमाम रणपतियों ने हर तरह की समीक्षा के लिए खुद को तैयार कर लिया है।

बावजूद इसके नड्डा विधानसभा चुनाव से सबक लेते हुए खुद अपने ही बूते पर प्रदेश में जीताऊ उम्मीदवारों की नब्ज भी टटोल सकते हैं।


Bharatiya Janata Party  अब यदि प्रदेश के हालातो की बात की जाए तो अयोध्या जी के शंख की आवाज देवभूमि में लगातार गूंज रही है। जाहिर है 500 सालों के विश्व के सबसे लंबे युद्ध की जीत और हाल ही में प्रस्तुत किए गए अंतरिम बजट में जो भविष्य के भारत की तस्वीर केंद्र ने दिखाने की कोशिश की है, उसकी कांग्रेस के पास कोई काट नजर नहीं आती है।


ऐसे में एक बार फिर मोदी लहर किसी भी चेहरे को जीताने में कामयाब हो सकती है। बावजूद इसके संगठनात्मक तौर पर नड्डा बाल बराबर भी कमी नहीं छोड़ना चाहेंगे। अब यदि बात की जाए सबसे हॉट सीट मंडी की तो सरकार में नेता प्रतिपक्ष के ना चाहते हुए भी उन्हें मैदान में उतारा जा सकता है।


इसकी बड़ी वजह उनकी स्वच्छ छवि और बतौर नेता प्रतिपक्ष उनकी सक्रियता इस संसदीय क्षेत्र को ईएफ एंड बट का मौका नहीं देती है। अब यदि भविष्य की राजनीति को लेकर के कूटनीतिक स्तर पर देखा जाए तो लंबे समय से नाराज चल रहे ब्राह्मण वर्ग को भी भाजपा इस सीट पर साध सकती है। ऐसे में स्वर्गीय पंडित सुखराम शर्मा के परिवार की एंट्री से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।

SECL CMD Korba एसईसीएल मुख्यालय में सीएमडी अध्यक्षता में बैठक सम्पन्न


इसके अलावा अभिनेत्री कंगना और अन्य चर्चित नामों पर रिस्क फैक्टर कहीं ना कहीं जगह बनाता है। वहीं रिजर्व शिमला संसदीय क्षेत्र में कोली बिरादरी का वर्चस्व है। इस सीट पर भी भाजपा की ओर से कुछ नामों की चर्चा रही है जिसमें महिला सिटिंग विधायक के नाम की चर्चा ज्यादा सुनी जा रही है मगर इस नाम पर रिस्क फैक्टर काफी ज्यादा स्ट्रांग है।


मौजूदा सांसद सुरेश कश्यप एक विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर बाकी सभी में आज भी आम जनता और बिरादरी की पहली पसंद है। इसकी सबसे बड़ी वजह उनकी स्वच्छ और ईमानदार छवि और सैनिक पृष्ठभूमि प्रमुख है। हालांकि सोलन से भी एक दो नाम चर्चा में रहे हैं मगर वह नाम सिर्फ अपने ही जिला तक सीमित हैं।


वहीं श्री कश्यप लगातार सभी 17 विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय भी हैं। यही नहीं श्री कश्यप के ऊपर गुटबाजी का भी दाग नहीं है जबकि संगठन में एक प्रमुख लॉबी अपना ही चेहरा प्रदर्शित करने की कोशिश कर रही है। अब बात की जाए हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की तो यहां पर सिटिंग सांसद की जगह किसी और नाम की चर्चा भाजपा में कहीं भी नजर नहीं आ रही है।


बावजूद इसके कांग्रेस के विधायक राजेंद्र राणा अपनी ही पार्टी से नाराज चल रहे हैं। ऐसे में जहां भाजपा का सांसदों के टिकट काटने की जगह नए चेहरे उतारने के फार्मूले पर चर्चा में है। ऐसे में अनुराग की जगह यदि कोई चेहरा प्रोजेक्ट किया जाता है तो यह बड़ा चौंकाने वाला फैसला होगा। कांगड़ा सीट की बात की जाए तो किशन कपूर 72.02 फ़ीसदी यानी सबसे ज्यादा मत हासिल करने वाले सांसद बने थे।


बावजूद इसके इस संसदीय सीट पर जिन दो-तीन नाम की चर्चा चल रही है उनमें से ही कोई चेहरा हो सकता है या नहीं यह कहा नहीं जा सकता। अटकलें तो मंडी सीट पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की भी है मगर लगता नहीं कि वह ऐसे समय में चुनाव लड़ेंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह भी है कि प्रदेश में भाजपा संगठन में गुटबाजी काफी ज्यादा प्रखर नजर आती है।


इसकी बड़ी वजह पुराने चेहरों को अभी-अभी कहां जाए शांता कुमार या फिर प्रेम कुमार धूमल के समर्थकों को संगठन में अहम पद जगह न मिलाना माना जाता है। कार्यकर्ताओं का मनोबल जो 2019 के चुनाव में नजर आता था वह मौजूदा समय नजर नहीं आता है।

SECL CMD Korba एसईसीएल मुख्यालय में सीएमडी अध्यक्षता में बैठक सम्पन्न

बरहाल संगठन के नजरिए से यदि देखा जाए तो प्रदेश में भाजपा बिखरी हुई नजर आती है। बावजूद इसके मोदी लहर इन सभी विषम परिस्थितियों का डैमेज कंट्रोल करती नजर आती है।

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