Bhanupratappur श्रीमद्भागवत के पंचम दिवस
Bhanupratappur भानुप्रतापपुर। श्रीराधा कृष्ण की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा महा महोत्सव एवं श्रीमद्भागवत भागवत कथा के पंचम दिवस सांई मंदिर सत्संग हाल में व्यासपीठ पर विराजमान पंडित अविनाश महराज ने श्रीमद्भागवत कथा में भक्त प्रहलाद, गज-ग्राहे, समुन्द्र मंथन, वामन अवतार की कथा बताई।
महराज जी ने बताया कि भगवान के भजन के लिए शरीर की आवश्यकता नही होती बल्कि मन मे भगवान के प्रति सम्पर्ण भाव होना जरूरी है। लेकिन आज ईश्वर को दुख में ही याद करते है।
त्रिकुट पर्वत में स्थित सरोवर में गज व ग्राहे मगरमच्छ की कथा बताई गई। विपत्ति के समय जब सब अपने साथ छोड़ दिये तक ईश्वर का ही सहारा मिला इसी लिए कहा जाता है कि ईश्वर को सुख में यदि कोई सुमिरन करते है तो उसके जीवन मे कभी विपत्ति नही आएगी। संतो की श्राप में भी आशीर्वाद छुपा रहता है गज व ग्राहे की कथा वर्णन करती है।
श्रीमद्भागवत में ईश्वर के प्रति समर्पण भक्ति यदि किसी ने की है तो वह मीरा बाई एवं भक्त प्रहलाद है। प्रहलाद के पिता हिरणकश्यप अधर्मी था लेकिन पुत्र ने भी अपने पिता के सदगति के लिए ईश्वर से निवेदन किया। यदि किसी कुल में प्रहलाद जैसे बालक जन्म लेते है उस कुल का 21 पीढ़ियों के उद्धार हो जाता है।
पकड़ लो हाथ बनवारी, नही तो डूब जाएंगे हम।
देव दानव के द्वारा समुन्द्र मंथ किया गया जिसमें विष, अमृत सहित 14 प्रकार के रत्न निकले। पंडित जी ने कहा कि यदि कोई मनुष्य गाय, गुरु व ब्राम्हण का सम्मान करते है उसके जीवन मे कभी विपत्ति नही आती है।
श्री साई मंदिर समिति के द्वारा माता पिता विहीन निर्धन कन्या के विवाह के लिए निर्धन कन्या विवाह सहभागिता प्रकल्प योजना के तहत शादी ब्याह की सामग्री के साथ विभिन्न राशन सामग्री प्रदान की गई। कुछ भक्तो के द्वारा चांदी के आभूषण, वस्त्र, श्रृंगार की सामग्री आदि भेंट किया गया व नगद सहयोग भी प्रदान किया गया।शिवहरे परिवार के द्वारा बीस हजार रुपये व एक पलंग भेंट स्वरूप प्रदान किया गया। यह श्री साई बाबा सेवा समिति की एक महति योजना है जिसमें प्रतिवर्ष एक निर्धन कन्या के विवाह हेतु भेंट स्वरूप सामग्री प्रदान कर मदद पहुँचायी जाती है। आकांक्षा यादव को पहुचाई गई।