0 रंगमंच से बढ़ेगी जागरूकता थिएटर में काम करना चुनौतीपूर्ण: राज्यपाल
मुंबई। देशभर में रंगमंच की समृद्ध परंपरा और विभिन्न राज्यों के रंगमंच कलाकारों के योगदान पर आधारित गिरिजा शंकर की पुस्तक रंगमंच में आने वाली भावी पीढिय़ों के लिए लाभकारी पुस्तक साबित होगी।
राजभवन में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान राज्यपाल रमेश बैस ने उक्त विचार व्यक्त किए। राज्यपाल ने कहा कि थिएटर में काम करना चुनौतीपूर्ण है। थिएटर निर्माताओं को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। फिर भी देश में लाखों लोग रंगमंच के माध्यम से लोगों का मनोरंजन करते हैं। रंगमंच न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि सामाजिक जागरूकता का भी साधन है।
उन्होंने कहा, इनका नाम गिरिजा है मगर इन्होंने कई लोगों को उठाया है। कोई व्यक्ति तभी महान बनता है, जब त्याग करता है। गिरिजाा ने अपना पूरा जीवन समर्पित किया है। उनकी यह पुस्तक रंगकर्मियों के लिए संग्रहणीय पुस्तक के लेखक गिरिजाशंकर की सादगी ने ही इस आयोजन को औपचारिकताओं की बाधाओं से मुक्त किया। अपने चिरपरिचित अंदाज में वे मंच पर भी स्लिपर चप्पल में ही मौजूद रहे। न कोई नया कमीज और न ही कोई दुशाला या जैकेट। बगैर शर्ट इन किए निष्कपट भाव से आए और बोले, मैं राज्यपाल का आभार तो अदा नहीं करूंगा। मगर इस बात की खुशी जाहिर करता हूं कि वे पुराने दिन नहीं भूले हैं।
नाट्य संस्था यात्री के ओम कटारे ने बताया, यह पुस्तक देशभर के रंगकर्मियों का एक दस्तावेज है। गिरिजाशंकर को पूरे देश से जहां कहीं से थिएटर की कोई खबर लगती है, वे अपनी सकारात्मक कलम से विषय को उठाते हैं। रंगकर्म पर अब तक प्रकाशित उनके लेखों को इस पुस्तक में संजोया गया है। भारत भवन न्यास के अध्यक्ष वामन केंद्रे ने आग्रह किया, जिस प्रकार लेखक ने कभी किसी नाटक की समीक्षा अपने लेखों में नहीं की, वैसे ही हमें भी इस पुस्तक की समीक्षा नहीं करना चाहिए। यह एक ऐसा संकलन है जो नाट्यकर्मियों को सीख देता है। इस सादे समारोह में जयंत देशमुख, अखिलेंद्र मिश्रा, दुर्गा जसराज समेत कई ख्यातनाम रंगकर्मी मौजूद रहे। संचालक अजित राय ने राज्यपाल से आग्रह किया कि राजभवन में नाटकों के मंचन की शुरुआत करके रंगकर्म को ताकत प्रदान करें।
बच्चों में बढ़ेगा आत्मविश्वास
राज्यपाल ने कहा कि माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों को स्कूलों में नाटकों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि इससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा, नेतृत्व के गुणों का विकास होगा और वे अच्छे नागरिक बनेंगे। अभिनेता एवं निर्देशक ओम कटारे ने कहा कि रंगमंच पुस्तक देश भर के रंगकर्मियों का लेखा-जोखा है।