Cooperative election : सहकारिता चुनाव में कांग्रेस का हो सकता है सुपड़ा साफ
Cooperative election : राजनांदगांव । किसानों से भूपेश बघेल सरकार डरी हुई है, सहकारिता चुनाव कराने से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो सकता है। जिसके वजह से अब सहकारिता चुनाव नहीं होगा बल्कि कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को मनोनयन के आधार पर बैठाया जाएगा।
Cooperative election : जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 08 के जिला पंचायत सदस्य व संचार सकर्म विभाग के सभापति अशोक देवांगन ने कहा कि भूपेश बघेल सरकार द्वारा किसानों के हित में काम नहीं करने के कारण डरी हुई है !
Cooperative election : राज्य सरकार डरी हुई होने कारण से सहकारिता चुनाव नहीं कराना चाहती है क्योंकि राज्य सरकार के द्वारा किसानों को पर्याप्त मात्रा में ना तो बीज मिला रहा और ना ही खाद मिल रहा है और किसान कांग्रेस पार्टी से नाराज है इस कारण भूपेश बघेल सरकार सहकारिता चुनाव नहीं करना चाहती है।
Cooperative election : क्योंकि सहकारिता विभाग से सभी किसानों का पंजीयन होता है किसान भाई खाद बीज लेते हैं और पूरा किसान सहकारिता से जुड़ा हुआ है और आज वर्तमान में सहकारिता चुनाव होगी तो कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो जाएगा इसलिए भूपेश बघेल सरकार द्वारा विधानसभा में सत्र लाकर यह तय किया है कि सहकारिता चुनाव नहीं कराएंगे अपने कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता को मनोनीत करके सहकारिता में बढ़ाएंगे।
Cooperative election : देवांगन ने आगे कहा कि भूपेश बघेल सरकार के द्वारा लगातार अपनी नाकामी को छुपाने की वजह से चाहे वह नगरी निकाय चुनाव हो या उपचुनाव सभी नियमों को ताक पर रखकर छत्तीसगढ़ की जनता को धोखा दे रहा है।
इसी प्रकार सहकारिता चुनाव में अपने हार के डर से सहकारिता चुनाव नहीं होना इस बात को दर्शाता है कि भूपेश बघेल सरकार किसानों से डरी हुई है अगर सहकारिता चुनाव होता है तो भूपेश बघेल सरकार को हार का सामना करना पड़ सकता है जबकि सहकारी समितियों का कार्यकाल खत्म होने के बाद चुनाव की आस लगाए सहकारी नेताओं एवं कृषक प्रतिनिधियों को जोर का झटका लगा है।
संशोधित विधेयक पारित होने के बाद यह तय हो गया है कि सरकार चुनाव नहीं कराएगी बल्कि सभी सोसायटियों में कांग्रेस नेताओं कार्यकर्ताओं को मनोनीत करेगी।
सरकार के इस फैसले से विपक्ष के अलावा सोसायटियों की मौजूदा टीम नाराज है सहकारी केन्द्रीय बैंक के अधीन कई सहकारी समितियां है। इन समितियों में अध्यक्ष सहित अन्य मेम्बरों का चुनाव होता है। कार्यकाल खत्म होने के छह माह पहले प्रस्ताव निर्वाचन आयोग को भेजना होता है लेकिन अभी तक प्रस्ताव ही नहीं भेजा गया है।
कार्यकाल खत्म होने के बाद चुनाव को लेकर सस्पेंस बना हुआ था लेकिन विधानसभा में अब स्पष्ट कर दिया गया है कि समितियों में चुनाव नहीं होगा । छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी संशोधन विधेयक सदन में पारित हो गया है। संशोधन विधेयक पारित कर भोले-भाले किसानों के साथ छल किया जा रहा है।
अब छत्तीसगढ़ का किसान भूपेश बघेल के बहकावे में नहीं आएंगे। किसान जान गए हैं कि कांग्रेस के राज में किसानों का हित नहीं हो सकता। केवल बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज में ही किसानों के हित व भला हो सकता है।