37th National Games : स्वर्ण पदक जीतने वाली मनीषा ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक को तीन बार हरा देंगी

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37th National Games :  साक्षी मलिक को हराने वाली मनीषा ने जीता दूसरा स्वर्ण

 

 37th National Games : पणजी !   गोवा में चल रहे 37वें राष्ट्रीय खेलों में 62 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने वाली मनीषा को कभी यह भी मालूम नहीं था कि अपने पिता की मौत के गम से उबरने से पहले वह ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक को तीन बार हरा देंगी।


37th National Games : उन्होंने पिछले साल मंगोलिया में एशियाई चैंपियनशिप में साक्षी को शिकस्त देकर कांस्य पदक जीता था। 17 अप्रैल 2022 की वह तारीख मनीषा कभी नहीं भूलेगी जब 62 किग्रा भार वर्ग के ट्रायल में साक्षी मलिक को 5-1 से हराने के बाद वह एशियाई चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए रवाना ही हो रही थी कि उसी दिन उनके पिता का निधन हो गया।


मनीषा गोवा में स्वर्ण पदक की प्रबल दावेदार थीं और उन्होंने कैंपल स्पोर्ट्स विलेज में 62 किग्रा फाइनल में उत्तर प्रदेश की पुष्पा यादव को 14-1 से हराकर स्वर्ण पदक जीत लिया। हालांकि मनीषा अब एक दिन ओलंपिक पदक जीतने के अपने पिता के सपने को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। लेकिन एशियाई चैंपियनशिप को याद करते हुए वह अभी भी रोती है।


37th National Games : बुधवार को स्वर्ण पदक जीतने के बाद मनीषा ने रोते हुए कहा, “ उस दिन को कभी भूल नहीं पाऊंगी, मैं हवाई अड्डे के लिए निकलने वाला था जब मेरे पिता का निधन हो गया। मैं बहुत मुश्किल स्थिति में थी। मेरे सामने एक तरफ करियर, और दूसरी तरफ एक निजी क्षति। मैंने अपने पिता को खो दिया। उन्होंने मेरे लिए बहुत कुछ त्याग किया और जब वह मुझे छोड़ रहे थे तो मैं उनके साथ नहीं रह सकी।”


उन्होंने कहा, “ अपनी भावनाओं पर काबू रखना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो गया। मैं उस टूर्नामेंट को छोड़ना चाहती थी, लेकिन मेरे कोच ने मुझे सलाह दी कि अगर मैं ऐसा करती हूं तो मेरे ऊपर बैन भी लग सकता है। इसके बाद मैं मंगोलिया के लिए रवाना हो गई। वहां पर मैं अपना गेम पर बहुत कम ध्यान दे पाई क्योंकि पिता की यादें मेरे दिमाग में घूम रहा था। मैं मंगोलिया से कांस्य पदक जीतकर लौटी और फिर इसके बाद मैंने कुछ समय घर में ही रहने का फैसला किया।”


हरियाणा के रोहतक जिले में एक किसान के घर जन्मी मनीषा ने 2016 में मैट पर कदम रखने के बाद जॉर्जिया में कैडेट विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद उन्होंने 2016 दक्षिण एशियाई खेलों में स्वर्ण और राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया।


अगले ही साल वह सीनियर सर्किट में 2017 कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में अपने पदक का रंग बदलने में सफल रही जब उन्होंने रजत पदक पर कब्जा जमाया। मनीषा को इसके बाद पैरामिलिट्री में नौकरी मिल गई। उन्होंने 2018 में चीन में आयोजित विश्व सैन्य खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया। हालांकि पैरामिलिट्री में नौकरी करने के दो साल तक मनीषा को ट्रेनिंग के लिए टाइम नहीं मिल पाता था और इसके कारण वह निराश हो गईं। बाद में उनके प्रदर्शन में भी गिरावट आने लगी और फिर काफी विचार-विमर्श के बाद, उन्होंने आखिरकार नौकरी से इस्तीफा दे दिया।


37th National Games : उन्होंने कहा, “ मैंने अपने पिता से चर्चा की, जब मेरा प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं आ रहा था। उस समय फिर कोविड-19 आ गया था और मैं दुविधा में थी कि क्या ड्यूटी के लिए ट्रेनिंग पर ध्यान केंद्रित करूं या फिर पूरी तरह से खेल की ओर अपना रुख कर लूं। उस समय, मेरे पिता ने मुझे खेल के प्रति मेरी प्राथमिकता याद दिलाई और सुझाव दिया कि मैं नौकरी छोड़ दूं क्योंकि इससे मेरे खेल करियर में मदद नहीं मिल रही थी।”

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मनीषा ने कहा, “ आखिरकार मैंने नौकरी छोड़ दी और अपना ध्यान वापस फिर से कुश्ती पर देने लगी। इसके बाद विश्व चैंपियनशिप 2022 के लिए चयन ट्रायल में मैं साक्षी मलिक को 7-4 से हराने में कामयाब रही। उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में आयोजित सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भी मैंने राष्ट्रीय शिविर में वापस आने से पहले साक्षी को एक बार फिर 9-1 के अंतर से हराया।”

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