World Theater Raipur रंगमंच और मनुष्य के विकास की कहानी है एक जैसा : राजकमल नायक

World Theater Raipur

मो. इम्तियाज़ अंसारी

 

World Theater Raipur रियल दुनिया को छोड़कर रील दुनिया में व्यस्त हैं आज के युवा

 विश्व रंगमंच दिवस पर विशेष

बदलते दौर में रंगमंच ” विषय पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन

 

World Theater Raipur रायपुर । विश्व रंगमंच एक समृद्ध रंगमंच है व्यक्ति के विकास यात्रा के साथ ही राममंच की विकास यात्रा माना जाता है। रंगमंच को अभिनय कला का रीढ़ माना जाता है जो भी इस दुनिया में कदम रखता है रंगमंच उसकी रूह में उतर जाता है फिर वो चाहकर भी रंगमंच की दीवानगी से खुद को अलग नहीं कर पाता है साफ शब्दों में कहें तो रंगमंच इश्क का वो दरिया है जिसकी गहराइयों में जिंदगी बसती है बता दें रंगमंच को सम्मान देने के लिए हर साल 27 मार्च को दुनियाभर में रंगमंच दिवस मनाया जात है और इसकी शुरुआत 1961 में अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान ने की थीइसका मकसद रंगमंच प्रेमियों को जोड़कर रखना है विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ फिल्म एण्ड विजुअल आर्ट सोसाइटी और जनधारा मीडिया समूह के संयुक्त तत्वावधान में ” बदलते दौर में रंगमंच ” विषय पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।


World Theater Raipur इस अवसर पर विश्व रंगमंच और क्षेत्रीय रंगमंच पर विस्तार से चर्चा हुई। इस अवसर पर बतौर वक्ता वरिष्ठ रंगकर्मी, निर्देशक, लेखक और अभिनेता राजकमल नायक, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ नाट्य विभाग के विभागाध्यक्ष एवं लेखक और निर्देशक डॉ योगेंद्र चौबे, नाट्य निर्देशक और अभिनेता अभिषेक चौधरी, महिला पत्रकार और रंगकर्मी सुमेधाअग्रश्री शामिल हुई और प्रमुखता से अपनी बात रखी। इस मौके पर छत्तीसगढ़ फिल्म एंड विजुअल आर्ट सोसायटी के अध्यक्ष और जनधारा मल्टीमीडिया ग्रुप के प्रधान संपादक सुभाष मिश्रा ने कहा कि रंगमंच का दायरा बढ़ा है लेकिन इस दौर में क्या रंगमंच की ओर युवाओं की रुझान कितना है?

” बदलते दौर में रंगमंच ” विषय को ही क्यों चुना? क्योंकि जमाना बदल गया है आज का दौर मोबाइल और रील का है, जब लोग रियाल दुनिया को छोड़कर रील दुनिया में व्यस्त हो गए हों तो ऐसे में रंगमंच की क्या स्थिति है। इसी पर चर्चा करने के लिए इस विषय को चुना गया। उन्होंने कहा कि रंगमंच एक ऐसा प्लेट फार्म है जहां सभी भूमिका बराबर होती है यहां न कोई छोटा और न कोई बड़ा है सभी एक समान हैं जनधारा मीडिया ग्रुप के सीनियर एच आर शकील साजिद ने कहा रंगमंच की दुनिया रंगों से भरा है इसमें जो कदम रखता है वह इसी का हो जाता है। उन्होंने आए सभी मेहमानों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर कार्यक्रम प्रस्तुतकर्ता अजीज कदीर मौजूद रहे।

World Theater Raipur  इस अवसर पर राजकमल नायक ने कहा रंगमंच के विकास की कहानी मनुष्य के विकास की कहानी है जब हम अपने अतीत को देखते हैं तो काफी गौरवशाली लगता है। अतीत को तो यह लगभग ढाई हजार वर्षों से चला आ रहा है इसमें काफी उतार-चढ़ाव हुए हैं इसमें तमाम कई तरह के शैलियां है जिसे हमने मंचन किया पढ़ा लिखा हम जिस प्रकार से रियलिस्टिक थिएटर के कई प्रकार की शैलियों से गुजरते हुए आज का रंगमंच यहां तक पहुंचा है एक तरह का कहें तो यह एक निचोड़ की तरह है एक रहस्य है उसी में यह निबंध नाटक हो रहा है हां यह जरूर है कि इस दौर नाटक अच्छे-अच्छे हो रहें हैं लेकिन पूरी तरह से विकसित हो गया है ऐसा नहीं है उन्होंने कहा इसके विकास की जरूरत अभी बनी हुई है हम लोग समाज में आज भी गहरी पैठ नहीं पाए हैं उन्होंने कहा कि रंगमंच जिस प्रकार से होना चाहिए वह नहीं है !

World Theater Raipur  डॉ योगेंद्र चौबे ने कहा अभिव्यक्ति व्यक्त करने का सबसे अच्छा माध्यम रंगमंच है बदलते इस दौर में रंगमंच में युवा की बात न हो ऐसा हो नहीं सकता। वर्तमान में युवा रंगमंच को कर रहे हैं और जी रहे हैं। इसमें लगातार युवा वर्ग आ रहे हैं और इससे जुड़कर पढ़ाई रिसर्च के साथ काम भी कर रहे हैं।

तो इस समय रंगमंच में अगर युवा की बात न करें तो शायद बेईमानी होगा उन्होंने कहा रंगमंच बोलने और अभिव्यक्ति व्यक्त करने का सबसे अच्छा माध्यम रंगमंच है बदलते दौर में रंगमंच की चमक को थोड़ा फीका जरूर कर दिया पहले फिल्म, फिर टेलीविजन और अब ओटीटी के दौर में रंगमंच थोड़ा कम जरूर हो गया है लेकिन मराठी, बंगाली, इंग्लिश और गुजराती समेत कई भाषाओं में रंगमंच के दीवानों की कोई कमी नहीं है हिंदी में जरूर रंगमंच पनप नहीं पाया पर इसने ओम पूरी, नसीरुद्दीन शाह, नाना पाटेकर और स्मिता पाटिल जैसे कुछ सितारे जरूर दिए…जिनका अभिनय करियर बेमिसाल रहा। प्रसिद्ध रूसी-अमेरिकी नाट्यकर्मी माइकल चेखव ने रंगमंच को एक जीवंत कला कहा था। यह समाज की सच्चाई को सहजता से रूबरू कराता है और यह दर्शकों को जोड़कर रखता है !

World Theater Raipur  सुमेधा अग्रश्री ने कहा रंगमंच जीवन का ऐसा किस्सा है जो समाज की दकियानूसी परम्पराओं पर भी सवाल खड़े करता है इसलिए कहा जा सकता है कि रंगमंच जीवन को दिशा भी देता है ये समाज की बुराइयों से रूबरू कराता है, तभी तो इसे दिल का सुकून देने वाला माध्यम भी कहा गय इसमें प्रेम का राग है, तो जुदाई का दर्द भी, रंगमंच जिंदगी की हर अच्छी बुरी घटना का जीवंत रूप भी है यह समाज के अंदर घटने वाली बातों को दर्शकों के माध्यम से जनता तक पहुँचाने की कड़ी है आज भले ही मनोरंजन के साधनों की भरमार हो गई हो। इंटरनेट की स्पीड ने मनोरंजन को 2-जी से बाहर निकालकर 4जी और 5जी की गति दे दी। फिर भी इसे चाहने वाले दर्शकों से इसे दूर नहीं कर सके

अभिषेक चौधरी ने कहा रंगमंच एक कलाकार को तैयार करता है। आज ज्यादातर वही कलाकार सफल हैं जो रंगमंच की दुनिया से होते हुए फिल्म, टीवी और ओटीटी प्लेटफॉर्म तक पहुंचे हैं उनकी अदाकारी में एक अलग ही जीवंतता देखने को मिलती है। रंगमंच को जीवन का राग कहा गया ओम पूरी ने एक बार कहा था कि रंगमंच पर गलती के लिए कोई जगह नहीं इसलिए अभिनय का सबसे कठिन माध्यम कोई है तो वो रंगमंच है इसलिए रंगमंच के जीवित रहने से न सिर्फ कुछ घरों का रोजगार जिंदा रहेगा। बल्कि हमारी एक पुरातन संस्कृति भी संरक्षित रहेगी।

-आर्टिस्ट का सबसे बढ़िया साथी है रंगमंच

राजकमल नायक ने कहा कि एक आर्टिस्ट का सबसे बढ़िया साथी रंगमंच है। यहां आर्टिस्ट्स खुलकर अपनी बातें रख सकते हैं जिससे लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। रंगमंच अपनी अभिव्यक्ति करने का सबसे बेहतर माध्यम है यहां समूह के साथ एक मंच पर अपनी बातों को रख सकते हैं

बनना चाहिए थिएटर का बाजार

राजकमल नायक ने कहा कि थिएटर का बाजार बनना चाहिए इसका मतलब यह नहीं है कि आम बाजार की तरह यह हो, लेकिन थिएटर का भी बाजार होनी चाहिए जहां थिएटर के अपनाने वाले लोग हो और थिएटर को आगे ले जाने वाले लोग मिले उन्होंने कहा कि आर्थिक चुनौती बड़ी चुनौती है क्योंकि एक रंगकर्मी को आर्थिक चुनौती सबसे बड़ा रोड़ा होता है जिसके चलते वह आगे नहीं बढ़ पाता है

कितना बदला है रंगमांच

रंगमंच में बहुत तरह के बदलाव हो गए हैं अगर हम 60 या 70 दशक के रंगमंच को देखें काफी बदलाव हो गए हैं हमलोग कई तरह से सजग हो गए हैं हम वेशभूषा से लेकर तकनीक, सेटअप आदि कई तरह से बदलाव हुए जिस प्रकार से अभी के कलाकार मजबूत और अच्छे ढंग से काम कर रहे हैं पहले ऐसा नहीं था

– शुरू से है महिला पात्र की समस्या

महिलाओं को लेकर समस्या बहुत पहले से है ये आदिम काल से है पहले भी महिला पात्र को लेकर समस्या रही है और वह अभी भी है क्योंकि जिस प्रकार से महिला पात्र की जरूरत होती है वह शायद नहीं मिलती हैं लेकिन पूरी तरीके से नहीं मिल पाते ऐसा नहीं है उन्होंने कहा थिएटर में महिला पात्र का आना जाना लगा रहता है इसमें एक जाते हैं तो नए लोग भी आते हैं उन्होंने कहा यह चुनौती है इससे निर्देशक को जूझना पड़ता है उन्होंने कहा रंगमंच रस और भाव है जिसे सभी को रखना होता है ।

महिलाओं के लिए चुनौतीपूर्ण है रंगमंच

World Theater Raipur  सुमेधा ने कहा जब हमने थिएटर शुरू की थी तब से चुनौती रही है क्योंकि इस क्षेत्र में ज्यादातर लोग पुरुष हैं इस क्षेत्र में महिला पात्र बहुत काम होते हैं। अगर आती है तो कुछ समय तक काम करती हैं और वापस चली जाती हैं महिलाओं का यहां शुरू से आना जाना लगा रहता है उन्होंने कहा कि हमारा देश पुरुष प्रधान देश यहां हम महिलाऐं क्या करें यह भी पुरुष ही तय करते हैं

रंगमंच और थिएटर में बढ़ा है युवाओं की रुझान

डॉ योगेंद्र ने कहा कि इस दौर में पढ़ने और सीखने के लिए युवा आगे आ रहे हैं थिएटर और रंगमंच में बदलाव आया है लोग एनएसडी या फिर नाटक स्कूल में इंजीनियरिंग के छात्र भी आ रहे हैं उन्होंने कहा कि खैरागढ़ विश्वविद्यालय में भी ऐसे बच्चे हैं जो इंजीनियर हैं तो यह बदलाव रंगमंच के लिए अच्छा है उन्होंने कहा विद्यार्थी आप 12वीं के बाद भी रंगमंच या थिएटर पढ़ने के लिए आ रहे हैं इससे रंगमंच और बह समृद्ध होगा।

 

क्षेत्रीयता एक रंगकर्मी को बनाता है संबल

भारतीय क्षेत्रीय रंगमंच का इतिहास काफी पुराना रहा है भारतीय क्षेत्रीय रंगमंच एक समृद्ध रंगमंच माना जाता है विश्व रंगमंच को अगर जानना है तो क्षेत्रीय रंगमंच को जानना जरूरी हो जाता है विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर हम बताएंगे कि क्षेत्रीय रंगमंच का इतिहास क्या रहा है और यह कितना समृद्ध है..

बता दें कि क्षेत्रीय रंगमंच भारत के सभी राज्यों के क्षेत्रीय संवाद को समाहित करता है। भारतीय रंगमंच के बीच, भारत के काव्य अभिव्यक्ति के बहुभाषी पहलू को देश भर के लोगों द्वारा काफी सराहा गया है। विविध संस्कृति, विविध धर्म और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय भाषा की बहुआयामी प्रकृति ने भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति को आकार देने में एक महान भूमिका निभाई है।

World Theater Raipur  वरिष्ठ रंगकर्मी राजकमल नायक ने बताया कि हबीब तनवीर की एक बात याद आती है उन्होंने कहा था कि रंगमंच करने से क्षेत्रीयता जुड़ती है क्षेत्रीयता ही एक रंगकर्मी को संबल बनाता है उन्होंने कहा क्षेत्रीय रंगमंच में कई तरह के वाद्य यंत्र या फिर कई प्रकार के शैलियों का आविष्कार हुआ है छत्तीसगढ़ के अगर बात करें तो इसमें क्षेत्रीय रंगमंच में गम्मत, नाचा और कर्मा यदि ने इसे और भी समृद्ध बनाया उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के लोक कलाकरों ने भी लोकप्रियता हासिल किए हैं जिस प्रकार से पंडवानी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना पहचान बनाया है यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरवान्वित करने की बात है !

छत्तीसगढ़ में रंगकर्म का इतिहास देश के प्राचीनतम रंगकर्म के इतिहास मिलता है बता दें की ईशा पूर्व तीसरी शताब्दी का रंगशाला जो रामगढ़ पहाड़ी की सीता बेंगरा गुफा से प्राप्त हुई है एशिया की प्राचीनतम नाट्यशाला के रूप में स्वीकार किया जाता है। वहीं भारतीय क्षेत्रीय रंगमंच को बढ़ावा देने में हबीब तनवीर का योगदान महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में रंगकर्म के विकास में दाऊ रामचंद्र देशमुख का भी योगदान उल्लेखनीय है। इन दोनों रंग कर्मियों के अलावा कई अन्य रंगकर्मी भी है जो क्षेत्रीय रंगकर्म को विश्व रंगमंच तक पहुंचाया है।

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