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Women self reliant ऐसा ढाबा जिसकी बागडोर संभाल रही महिलाएं

Women self reliant ऐसा ढाबा जिसकी बागडोर संभाल रही महिलाएं

Women self reliant नवाचार के अंतर्गत गौठनों में हुई उद्यम की शुरुआत

Women self reliant दंतेवाड़ा। आज ग्रामीण अंचल की महिलाएं समूह से जुड़ कर व्यवसाय स्थापित कर रही हैं। समूह की कई महिलाएं रोजगार कर न सिर्फ अपने आपको आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि वे अपने घर का सहारा भी बनी हैं। ऐसे ही दंतेवाड़ा जिले में घरेलू काम मे व्यस्त रहने वाली महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ कर समूह की कई महिलाएं छोटे-छोटे उद्योग का सफल संचालन कर रही है।

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Women self reliant आज खुद के व्यवसाय को संचालित कर स्वावलंबन की मिसाल पेश कर रही है। जिले के गीदम विकासखंड अंतर्गत बड़े कारली पंचायत में स्थित गौठान ग्रामीण अर्थव्यवस्था के जीवंत केंद्र के रूप में उभर कर आ रहा हैं। गौठानों में विभिन्न स्व सहायता समूहों को एक ही जगह पर रोजगार का अवसर मिल रहा है गौठान में ही गोबर संग्राहकों से गोबर खरीद, वर्मी कंपोस्ट और सुपर कंपोस्ट बनाने के साथ स्व-सहायता समूहों द्वारा सामुदायिक बाड़ी इत्यादि जैसी अनेक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं।

Women self reliant जिसमें खाद से अब तक 1 लाख 25 हजार का लाभ एवं बाड़ी से एक सीजन में सब्जी बिक्री कर 12-15 हजार रुपये लाभ अर्जित कर चुके हैं। साथ ही गौठानो में ग्रामीणों और स्व सहायता समूहों को ग्रामीण परिवेश के अनुकूल छोटे-छोटे व्यवसायों से जोड़ा जा रहा है। यहां संचालित विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से ग्रामीणों को उनके गांव में ही रोजगार मिल रहा है।

कारली गौठान परिसर से लगा हुआ ऐसा ढाबा जिसकी बागडोर बॉस बोडीन स्व सहायता समूह की महिलाएं संभाल रही हैं। जिसे नाम दिया गया है मनवा ढाबा जो समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है। इस समूह से 10 महिलाएं जुड़ी हैं, कारली गौठान परिसर में रोजमर्रा के कार्यों के लिए आने-जाने वालों के लिए ढाबा खोला गया है। जहाँ नागरिकों को उचित दाम पर भोजन मिल रहा है।

इस ढाबा पर पहुंचकर जायकेदार भोजन का आनंद लिया जा सकता है। स्व सहायता समूह की दीदियां कहती है कि यहां घर के जैसा खाने का स्वाद और गुणवत्ता भोजन मिलेगा। वे कहती हैं कि ढाबे पर खाना खाने वाला व्यक्ति बार-बार यहां आएं और खाने का आनंद लें। भविष्य में जल्द ही मनवा ढाबा द्वारा टिफिन सर्विस भी आरंभ की जाएगी।

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वे कहती हैं शुरू में झिझक महसूस करती थी लेकिन इस काम को करने के बाद महिलाओं में आत्मनिर्भर बनने का साहस नजर आया। और ढाबा चलाकर अच्छा खासा मुनाफा कमाकर घर परिवार को आर्थिक रूप से योगदान दे रहीं हैं। अब तक स्व सहायता समूह की दीदियों द्वारा 8-10 लाख रुपये का व्यवसाय किया गया है।

जिसमें दीदीयों को लगभग 1 लाख 50 हज़ार रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ है। इस काम को देखने के बाद गांव की अन्य महिलाओं में भी खुद के पैरों पर खड़े होने और आत्मनिर्भर बनने की दिशा की ओर अग्रसर है।

लघु उद्योगों के माध्यम से महिलाएं आज आत्मनिर्भर बन अपना परिवार चला रही है साथ ही स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अब सामाजिक बदलाव लाने में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही है। साथ ही महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

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