White papers : श्वेत पत्र जारी हो

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White papers : अब खुद प्रधानमंत्री ने उठाया ये मुद्दा

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White papers : श्वेत पत्र जारी हो

White papers :  केंद्र पूरी वित्तीय और राजकोषीय स्थिति पर श्वेत पत्र जारी करे, तो समाधान की संभावना बेहतर होगी। वरना, बात केंद्र बनाम राज्य के विवाद में उलझ कर रह जाएगी।

White papers :  बिजली वितरण और उत्पादन कंपनियों के राज्यों पर बढ़ते बकाये का मुद्दा अब खुद प्रधानमंत्री ने उठाया है। नरेंद्र मोदी ने राज्यों से जल्द से जल्द इस बकाये का भुगतान करने को कहा है। उनकी यह बात उचित है कि बकाये का भुगतान ना होने से कंपनियां उत्पादन बढ़ाने या वितरण के ढांचे में सुधार के लिए निवेश नहीं कर पातीं। नतीजा होता है कि वितरण में बिजली के नुकसान को रोकना संभव नहीं हुआ है।

White papers : बताया जाता है कि भारत में कुल जितनी बिजली उत्पादित होती है, उसका लगभग 20 फीसदी हिस्सा वितरण के दौरान बर्बाद हो जाता है। जबकि विकसित देशों में यह औसत लगभग सात प्रतिशत है। इसलिए बिजली उत्पादन और वितरण कंपनियों का लगभग एक लाख 30 हजार करोड़ रुपये बकाया रहना सचमुच एक बड़ी समस्या है। इस समस्या का सीधा संबंध देश की वित्तीय स्थिति से जुड़ता है। इसलिए इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बहरहाल, ये सवाल अहम है कि राज्य सरकारें आखिर ये रकम क्यों नहीं चुका रही हैं। ऐसी खबरें आती रही हैं कि राज्यों की माली हालत खस्ता है।

White papers : कोरोना महामारी के दौर में ये स्थिति और बिगड़ गई। जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों के पास संसाधन जुटाने के स्रोत सीमित हो गए हैं, इसलिए राज्य सरकारें बकाये और कर्ज में डूबती जा रही हैं। स्पष्टत: यह एक राष्ट्रीय समस्या है। लेकिन समस्या सिर्फ यही नहीं है। बल्कि आरोप यह भी है कि खुद केंद्र अपने आज के खर्च को बॉन्ड से जुटा कर देश के भविष्य पर बोझ बढ़ा रहा है। मसलन, अब डूबे कर्ज की समस्या से जूझ रहे बैंकों की रिफाइनेंशिंग (धन देने) का यही रास्ता अख्तियार किया गया है।

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White papers : खुद केंद्र पर भी कर्ज बढ़ा है। सवाल है कि केंद्र और राज्यों का राजकोषीय संकट क्यों गहरा रहा है? इस बारे में अगर पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाए, तो समाधान की दिशा में बढऩे की गुंजाइश बन सकती है। इसलिए अपेक्षा यह है कि चूंकि प्रधानमंत्री ने एक अहम मसला उठाया है, तो ऐसे तमाम मसलों पर पूरी बात हो। अगर केंद्र देश की पूरी वित्तीय और राजकोषीय स्थिति पर श्वेत पत्र जारी करे, तो ऐसा होने की संभावना बेहतर होगी। वरना, बात केंद्र बनाम राज्य के विवाद में उलझ कर रह जाएगी।

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