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पूर्वोत्तर भारत में ये हैं प्रसिद्ध शक्तिपीठ

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जब राजा दक्ष के यज्ञ स्थल पर महादेव शिव का अपमान हुआ तो माता पार्वती यज्ञ कुंड में प्राणों की आहुति देकर सती हो गई थीं। इससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने माता सती की शव को उठाकर भयानक तांडव करना शुरू कर दिया।

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मेघालय के जयंतिया पहाड़ी पर बसे नर्तियांग में माता सती की बाईं जंघा गिरी थी, जिससे इस शक्तिपीठ की स्थापना हुई। यहां माता के मंदिर का निर्माण आज से 600 पूर्व महाराजा धन माणिक्य ने कराया था।

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कामख्या मंदिर शक्तिपीठ, असम असम के नीलांचल पर्वत पर स्थित माता कामाख्या का मंदिर भी 108 शक्ति पीठों में से एक है। इस स्थान पर देवी सती का योनि भाग गिरा था, यहां भगवती कामख्या योनि रूप में विराजती हैं।

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दस महाविद्या के साथ विराजमान हैं मां कामाख्या - मंदिर में माता कामाख्या 64 योगिनियों और दस महाविद्याओं के साथ विराजित हैं। ये दुनिया की इकलौती शक्तिपीठ है, जहां दसों महाविद्या- भुवनेश्वरी, बगला, छिन्नमस्तिका, काली, तारा, मातंगी, कमला, सरस्वती, धूमावती और भैरवी एक ही स्थान पर विराजमान हैं।

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माताबाड़ी/त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ, त्रिपुरा त्रिपुरा के उदयपुर की पहाड़ी पर बसे राधाकिशोर गांव में माता के मंदिर का निर्माण महाराजा धन माणिक्य ने 15वीं शताब्दी में कराया था।