Poetry: हंसी ठिठोली के माहौल में विनोद जी ने सुनाई डॉक्टर को डॉक्टर की कविता  

 

ज्ञानपीठ से सम्मानित होने पर विनोद कुमार शुक्ल के पुराने डॉक्टर ए के फ़रिश्ता मंगलवार शाम अपने मित्र सुभाष मिश्र के साथ विनोदजी के घर पहुंचे.उन्होंने विनोदजी को बधाई दी और उनका कुशलक्षेम पूछा. विनोदजी की पत्नी श्रीमती सुधा शुक्ला ने बहुत सारी पुरानी स्मृतियाँ साझा की.

 

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मित्रता से भरे इस स्नेहपूर्ण वार्तालाप में राजधानी रायपुर के फरिस्ता नर्सिंग होम के डायरेक्टर सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ ए. फरिश्ता के आग्रह पर विनोद कुमार शुक्ल ने अपनी कविता सबसे ग़रीब आदमी और हताशा कविता सुनाया.

सबसे ग़रीब आदमी की

सबसे कठिन बीमारी के लिए

 

सबसे बड़ा विशेषज्ञ डॉक्टर आए

जिसकी सबसे ज़्यादा फ़ीस हो

 

सबसे बड़ा विशेषज्ञ डॉक्टर

उस ग़रीब की झोंपड़ी में आकर

 

झाड़ू लगा दे

जिससे कुछ गंदगी दूर हो।

 

सामने की बदबूदार नाली को

साफ़ कर दे

 

जिससे बदबू कुछ कम हो।

उस ग़रीब बीमार के घड़े में

 

शुद्ध जल दूर म्युनिसिपल की

नल से भरकर लाए।

 

बीमार के चीथड़ों को

पास के हरे गंदे पानी के डबरे

 

से न धोए।

कहीं और धोए।

 

बीमार को सरकारी अस्पताल

जाने की सलाह न दे।

 

कृतज्ञ होकर

सबसे बड़ा डॉक्टर सबसे ग़रीब आदमी का इलाज करे

 

और फ़ीस माँगने से डरे।

सबसे ग़रीब बीमार आदमी के लिए

 

सबसे सस्ता डॉक्टर भी

बहुत महँगा है।

 

 

 

हताश

 

हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था

व्यक्ति को मैं नहीं जानता था

 

हताशा को जानता था

इसलिए मैं उस व्यक्ति के पास गया

 

मैंने हाथ बढ़ाया

मेरा हाथ पकड़कर वह खड़ा हुआ

 

मुझे वह नहीं जानता था

मेरे हाथ बढ़ाने को जानता था

 

हम दोनों साथ चले

दोनों एक दूसरे को नहीं जानते थे

 

साथ चलने को जानते थे।

 

 

विनोदजी से आत्मीय बातचीत के बीच सुभाष मिश्र ने डाक्टरों से जुड़ी इस कविता पर डाक्टरों की पहली प्रतिक्रिया के बारे में बताया । उन्होंने विनोद जी की कविताओं के कुछ अंश सुनाते हुए कहा कि एक कवि , लेखक जिस तरह की बेहतर दुनिया की कामना करता है , विनोदजी की कविता में वही उम्मीद है तभी तो विनोद जी अपनी कविता में कहते है –

जाते जाते पलटकर देखना चाहिए

दूसरे देश से अपना देश

अंतरिक्ष से पृथ्वी

तब घर में बच्चे क्या करते होंगे की याद

पृथ्वी में बच्चे क्या करते होंगे की होगी घर में अन्न जल होगा कि नही की चिंता

पृथ्वी पर अन्न जल की चिंता होगी

पृथ्वी में कोई भूखा

घर में भूखा जैसा होगा

 

 

हंसी ठिठोली के माहौल के बीच विनोदजी से बहुत सी पुरानी यादों को लेकर बातचीत हुई । तो विनोद कुमार शुक्ल की पत्नी श्रीमती सुधा शुक्ला ने भी रोचक संस्मरण सुनाया.

 

विनोद वर्सेस विनोद

विनोद कुमार शुक्ल और विनोद शंकर शुक्ल में लोगों को बहुत कन्फूजन होता था । विनोद शंकर शुक्ल व्यंग्यकार थे और छत्तीसगढ़ कॉलेज में हिंदी पत्रकारिता पढ़ाते थे और विनोद कुमार शुक्ल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में थे । बहुत बार विनोद शंकर शुक्ल को पुरस्कार मिलता तो बधाई विनोद कुमार शुक्ल को मिलती तो वे कहते मुझे तो नहीं मिला । जब विनोद शंकर शुक्ल का निधन हुआ तो कुछ लोगों ने विनोद कुमार शुक्ल के घर फ़ोन करके अप्रत्यक्ष रूप से उनके बारे में पूछा ।

 

 

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