Vice president : जगदीप धनखड़ का उप राष्ट्रपति बनना…..

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Vice president : जगदीप धनखड़ का उप राष्ट्रपति बनना…..

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Vice president : जगदीप धनखड़ का उप राष्ट्रपति बनना…..

Vice president : किसान पुत्र बताते हुये जेपी नड्डा ने जब जगदीप धनखड़ का नाम लिया तो एक और चेहरा समानांतर नजर आ रहा था – सत्यपाल मलिक का । तब भी जबकि कयासों में शुमार मुख्तार अब्बास नकवी से लेकर रंजन गोगोई तक सारे चेहरे ओझल और नाम अपने आप अप्रासंगिक हो गये थे । जो पैमाने जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति (चुनाव) में भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुने जाने में महत्वपूर्ण रहे, सत्यपाल मलिक की जड़ें भी तो वहीं जाकर जुड़ती हैं ।

Vice president : फर्क वस यह रहा कि जिस तरीके से जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ अलख जगाये रहे, मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने अपनी पूरी ऊर्जा मोदी विरोध में जाया कर डाली थी । हो सकता है, सत्यपाल मलिक को संतोष इस बात का हो कि तीनों कृषि कानूनों के वापस लिये जाने में थोड़ी बहुत भूमिका उनकी भी तो रही ही होगी ।

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Vice president : अरसे से जगदीप धनखड़ को हटाये जाने की मांग करती आ रहीं ममता बनर्जी की भूमिका तो महत्वपूर्ण लगती ही है। भाजपा नेतृत्व ने जगदीप धनखड़ की तरफ से दिए जाने वाले टेंशन से ममता बनर्जी को राहत तो दी है, लेकिन जो तरीका अपनाया है यो चिढ़ाने वाला ही है और राष्ट्रपति चुनाव की ही तरह उपराष्ट्रपति चुनाव में भी ममता बनर्जी की उलझनें बढ़ाने वाला भी समझा जाना चाहिए।

Vice president : राष्ट्रपति चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मू की तो थोड़ी बहुत चर्चा भी रही, लेकिन जगदीप धनखड़ का नाम तो सबके लिए सरप्राइज ही रहा। यह बात अलग है कि तृणमूल कांग्रेस नेता ऐसा मानने से इनकार कर रहे हैं। टीएमसी के एक सीनियर नेता ने नाम न छापने की शर्त पर एक मीडिया एजेंसी से कहते हैं, इसमें कुछ भी अप्रत्याशित नहीं है ।

Vice president : धनखड़ जिस तरह भाजपा के नेता के तौर पर काम कर रहे थे, उसे ध्यान में रखते हुए पार्टी के शीर्ष नेता ने उनको ईनाम के तौर पर उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है । शुरू के कुछ दिनों को छोड़ दें तो शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरा होगा जब जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी सरकार और उनके पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश न किए हों ।

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Vice president : मुद्दा चाहे कोविड 19 गाइडलाइन का रहा हो, या चुनाव के बाद हुई हिंसा का तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ राज्यपाल का रुख हमेशा आक्रामक ही देखा गया और ममता बनर्जी जैसी फाइटर पॉलिटिशियन के लिये दो-दो हाथ करना तो जैसे रूटीन का हिस्सा रहता है हां, ममता बनर्जी दो कदम आगे तब देखी गई जब गवर्नर जगदीप धनखड़ को ट्विटर पर ब्लॉक कर दिया।

Vice president :  भाजपा नेतृत्व के इस कदम से ममता बनर्जी को जगदीप धनखड़ से आमने सामने की लड़ाई से तो मुक्ति मिल गयी है, लेकिन अब ये तो सोचना ही होगा कि राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा के आदिवासी उम्मीदवार की वजह से मैदान करीब करीब छोड़ देने वाली ममता बनर्जी एक किसान पुत्र के विरोध के लिए क्या रणनीति अपनाती हैं?

Vice president : जगदीप धनखड़ को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 30 जुलाई, 2019 को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र की सत्ता में वापसी कर चुके थे और भाजपा पश्चिम बंगाल में 2 से 18 सीटों पर पहुंच गई थीं। मतलब, ये भी कि भाजपा ने ममता बनर्जी को 34 से 22 सीटों पर ला दिया था। जाहिर है। भाजपा नेतृत्व को बंगाल में बहुत बड़ा स्कोप दिखा होगा और 2021 के विधानसभा चुनावों पर नजर टिक गयी होगी। और जगदीप धनखड़ भी नेतृत्व के मन की बात समझते हुए तय कर लिये थे कि राज भवन पहुंचने के बाद क्या करना है।

Vice president : वैसे तो जेपी नड्डा ने जगदीप धनखड़ को जनता का राज्यपाल भी बताया है, लेकिन नजर तो यही आया कि उनको ऐसे आरोपों की परवाह नहीं रही कि राज भवन को भाजपा दफ्तर बना दिया था । पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं । इसके अलावा उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भी वकालत की है । 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बनने के बाद से ममता बनर्जी के साथ विवादों को लेकर उनका नाम चर्चा में बना रहता है ।

Vice president : जगदीप धनखड़ का जन्म झुंझुनूं जिले के गांव किठाना में साल 1951 में साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम गोकल चंद और मां का नाम केसरी देवी है । जगदीप अपने चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर आते हैं । 1979 में उनकी शादी सुदेश धनखड़ से हुई । उन दोनों की एक बेटी कामना है, जिसकी शादी कार्तिकेय वाजपेयी से हुई है । उनकी शुरुआती पढ़ाई गांव किठाना के ही सरकारी माध्यमिक विद्यालय से हुई थी ।

Vice president : गांव से पांचवीं तक की पढ़ाई के बाद उनका दाखिला गरधाना के सरकारी मिडिल स्कूल में दाखिला लिया। इसके बाद उन्होंने चित्तौरगढ़ के सैनिक स्कूल में भी पढ़ाई की । 12वीं के बाद भौतिकी में स्नातक करने के बाद जगदीप धनखड़ ने राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की थी । धनखड़ का चयन आईआईटी, एनडीए और आईएएस के लिए भी हुआ था, लेकिन उन्होंने वकालत को चुना । उन्होंने अपनी वकालत की शुरुआत भी राजस्थान हाईकोर्ट से की थी ।

Vice president :  वे राजस्थान बार काउसिंल के चेयरमेन भी रहे थे । धनखड़ ने अपनी राजनीति की शुरुआत जनता दल से की थी । धनखड़ 1989 में झुंझनुं से सांसद बने थे । उन्हें 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी बनाया गया था । हालांकि जब 1991 में हुये लोकसभा चुनावों में जनता दल ने जगदीप धनखड़ का टिकट काट दिया तो वह पार्टी छोडकर कांग्रेस में शामिल हो गये और अजमेर के किशनगढ़ से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1993 में चुनाव लड़ा और विधायक बने ।

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Vice president : 2003 में उनका कांग्रेस से मोहभंग हुआ और वे कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हो गये । 70 साल के जगदीप धनखड़ को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 30 जुलाई 2019 को बंगाल का 28वां राज्यपाल नियुक्त किया था। साल 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के तौर पर कार्यभार संभलाने के बाद जगदीप धनखड़ ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में अब तक के कार्यकाल में उनके और सीएम ममता बनर्जी के बीच में विवाद सामने आए। पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद राज्य में राजनीतिक हिंसा के लिए धनखड़ ने सीधे तौर पर ममता सरकार को जिम्मेदार ठहराया था ।
इतना ही नहीं, दोनों के बीच टकराव इस कदर बढ़ चुका था कि टीएमसी ने राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें राज्यपाल पद से हटाने की सिफारिश भी की थी ।

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