आइये जानते है मेड़ों में कैसे उगाये Vegetable

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Vegetable मेड़ों में भिंडी और बरबट्टी की खेती, लाल और पालक भाजी भी

Vegetable बिलासपुर- मेड़़ में भी की जा सकती है Vegetable की खेती। Vegetable वैज्ञानिकों के अनुसार फसल का चयन करते समय भिंडी, बरबट्टी को प्राथमिकता की सूची में पहले स्थान पर रखें। इसके अलावा भाजी में पालक और लाल भाजी की बोनी भी की जा सकती है।

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बारिश के दिनों में सब्जी बाड़ियों में जल-जमाव की वजह से Vegetable की खेती हमेशा परेशानी पैदा करती है। असर कमजोर उत्पादन और बढ़ती लागत के रूप में देखने में आता है। उपभोक्ता मांग में भी कमी की वजह बनती है यह स्थितियां क्योंकि प्रतिकूल परिस्थितियों में ली गई फसल की कीमत ज्यादा होती है। इसलिए सब्जी वैज्ञानिकों ने ऐसी विधि खोज निकाली है, जिसमें अतिरिक्त संसाधन या लागत नहीं लगता है।

आइये जानते है मेड़ों में कैसे उगाये Vegetable
आइये जानते है मेड़ों में कैसे उगाये Vegetable

इसलिए मेड़ में खेती

बारिश के दिनों में सब्जी बाड़ियों में वर्षा जल का जमाव हमेशा से परेशानी की वजह बनता रहा है। यह स्थिति बढ़़ती लागत और कमजोर उत्पादन के रूप में सामने आती है। असर बाजार तक देखा जा सकता है, जहां ऊंची कीमत पर इसकी खरीदी उपभोक्ताओं को करनी होती है। इन सभी स्थितियों को देखते हुए मेड़ों में सब्जी की खेती की सलाह दी जा रही है।

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औसत बारिश कितने दिन

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक अपने छत्तीसगढ़ में औसत बारिश 65 से 70 दिन होती है। इस अवधि में नुकसान लगभग सभी सब्जी बाड़ियों को होता है क्योंकि भूमि संरचना में सुधार को लेकर अभी भी सब्जी उत्पादक किसानों में जरूरी जागरूकता का अभाव देखा जा रहा है।


मेड़ में यह प्रजातियां

सब्जी की जिन प्रजातियों को मेड़ के लिए सही माना गया है, उसमें बरबट्टी और भिंडी मुख्य है। इसके अलावा भाजी में लाल और पालक भाजी की भी बोनी की जा सकती है। कम अवधि में परिपक्व होने वाली सब्जी की इन फसलों को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। इसलिए किसान मेड़ों में इन प्रजातियों की फसल ले सकते हैं।

वर्जन

बारिश के मौसम में मेड़ में भी सब्जी की खेती की जा सकती है। प्रजाति और बीज चयन में सतर्कता अनिवार्य होगी। भिंडी और बरबट्टी के साथ भाजियों की बोनी किसान कर सकते हैं।
– डॉ अमित दीक्षित, डीन, उद्यानिकी महाविद्यालय, पाटन

छत्तीसगढ़ में मानसूनी बारिश के औसत 65 से 70 दिन माने गए हैं। इस अवधि को ध्यान में रखते हुए बोनी के कार्य किए जाने चाहिए।
– डॉ एस आर पटेल, रिटायर्ड मौसम वैज्ञानिक, रायपुर

राजकुमार मल

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