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Usury का फैला जाल, शहर में रोज करोड़ों की हुंडी, युवा से बुजुर्ग तक लूट रहे
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Usury की काली कमाई पर नियंत्रण का पुख्ता सिस्टम नहीं
Usury ब्याज पर पैसे देकर २ फीसदी की जगह २५ फीसदी वसूल रहे
विशेष संवाद्दाता
रायपुर। राजधानी में Usury का काला कारोबार बेरोक टोक जारी है।
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इसमें युवा से बुजुर्ग तक फंसकर अपनी जीवनभर की कमाई लूटा दे रहे हैं। यह पूरा खेल ब्याज पर पैसे देने का लाइसेंस लेकर खेला जाता है।
Usury ब्याज पर पैसे देने के बाद २ फीसदी ब्याज वसूलने की जगह 25 से 30 फीसदी तक ब्याज वसूलते हैं।
कई सूदखोरों का ब्याज के एवज में दुकान, मकान से लेकर गाड़ी तक लोगों से ले लेते हैं, जिसके बाद भी Usury का मूलधन बाकी रहता है, लेकिन इनकी निगरानी का प्रशासन के पास पुख्ता इंतजाम नहीं होता है,
जिससे दबंग Usury कारोबार का 80 फीसदी लेन-देन कच्चे में करते हैं।
यही नहीं, Usury ब्याज की वसूली के लिए दबंगों की टीम बना रही है, जो कर्जदारों के घर पहुंचकर उसे धमकाकर वसूली करते हैं।
जेवर, स्टैंप और बैंक पासबुक रखते हैं पास
जानकारों की मानें तो सुदखोर कर्ज देकर उनसे बाकायदा सादे स्टाम्प पर हस्ताक्षर करवा लेते हैं। साथ ही जेवर या अन्य सामान बतौर जमानत अपने पास रख लेते हैं।
यही नहीं, सरकारी नौकरी करने वालों से उनका पासबुक रख लेते हैं और कर्ज के बदले 2 से 3 प्रतिशत महीना ब्याज तय करते हैं। महीना पूरा होने के बाद 10 से 30 फीसदी तक की वसूली करते हैं।
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रोज वसूलते हैं ब्याज
जानकारों के मुताबिक फलमंडी और सब्जीमंडी में ठेले-खोमचे वालों को सूदखोर सुबह एक से दो हजार रुपए कर्ज देते हैं और शाम तक दो से चार सौ रुपए तक की वसूल करते हैं।
क्या है नियम
जानकारी के मुताबिक ब्याज पर कारोबार करने वाला लाइसेंसी कर्ज देने वाले से अधिकतम २ फीसदी ब्याज वसूल सकता है। इससे अधिक ब्याज की वसूली करने पर सुदखोर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
रोज दो करोड़ का काला कारोबार
जानकारी के मुताबिक रायपुर जिले में करीब 30 ब्याज कारोबारी के पास सरकारी लाइसेंस है।
लाइसेंसी धारक रोज कर्ज देकर ब्याज वसूली का कारोबार करते हैं। अधिकांश कारोबारी कच्चे में कारोबार कर रहे हैं, जिससे उनकी इनकम का अंदाजा नहीं लकता है।
हालांकि दाव किया जा रहा है, जिलेभर में रोज दो से तीन करोड़ रुपए का अवैध कारोबार होता है, लेकिन इस काले कारोबार पर पुलिस-प्रशासन शिकंजा नहीं कस पा रहा है।
रायपुर में सुदखोरी के हर साल 5 से 7 मामले
जानकारी के मुताबिक जरुरतमंदों को ब्याज पर पैसे देकर जबरन वसूली करने का रायपुर में हर साल 5 से 7 मामले पुलिस थानों तक पहुंचते हैं।
अधिकांश मामलों में पुलिस Usury को जेल भी भेजती है, लेकिन उनके लाइसेंस निरस्त नहीं हो पाता है, जिससे जेल से छूटने के बाद सुदखोर दोबारा ब्याज का कारोबार शुरु कर देते हैं।