Unseasonal rain बेमौसम की बारिश

Unseasonal rain

Unseasonal rain बेमौसम की बारिश

 

Unseasonal rain वैज्ञानिक दशकों से चेतावनी दे रहे हैं कि सरकारों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने रणनीति नहीं बनाई, तो ये समस्याएं बढ़ती जाएंगी। मगर आज भी ये चेतावनी राष्ट्रीय चिंता और चर्चा का हिस्सा नहीं है।

Unseasonal rain फिलहाल खबरें उत्तर प्रदेश से आई हैं कि बीते एक हफ्ते में हुई असामान्य बारिश से वहां फसलों को भारी नुकसान हुआ है।

Unseasonal rain किसानों का कहना है कि जुलाई- अगस्त में जब बारिश की जरूरत थी, तब बहुत कम या बिल्कुल ही बारिश नहीं हुई। इससे खास कर धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचा। अब जबकि बारिश की जरूरत नहीं थी, तो इतनी बारिश हुई है कि कई जगहों पर फसलें डूब गई हैं या बारिश के कारण उन्हें काफी नुकसान पहुंचा है।

Unseasonal rain इस तरह उस समय जबकि महंगाई सहित अन्य आर्थिक समस्याओं की मार वे पहले से झेल रहे हैं, उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैँ। यानी एक तरह से उनके साथ मुसीबत में आटा गीला होने की कहावत दोहराई गई है। बहरहाल, गौर करने की बात यह है कि बेतरतीब मौसम की यह कोई पहली घटना नहीं है।

बल्कि पिछले कुछ महीनों के दौरान ही भारत में और आसपास जलवायु की ऐसी मार पड़ी है। अभी ज्यादा वक्त नहीं गुजरा, जब बेंगलोर शहर परेशान हुआ था। वहां असामान्य बारिश और उससे जल-जमाव का ऐसा नजारा देखने को मिला कि भारत की ‘सिलिकॉन वैली’ की इमेज धुंधली हुई।

इसके पहले पाकिस्तान में जो अभूतपूर्व बारिश और बाढ़ से तबाही हुई, वह तो अब भी दुनिया की चिंता बनी हुई है। मौसम वैज्ञानिकों ने उचित ही इन परिघटनाओं को जलवायु परिवर्तन का परिणाम बताया है। सरकारों का बेशक यह फर्ज है कि मौसम की मार झेल रही आबादी को राहत देने के प्रयास वे करें। मगर ऐसे प्रयासों से हर वर्ष ज्यादा गंभीर हो रही जलवायु परिवर्तन की समस्या का कोई समाधान नहीं निकलेगा।

दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि चिंता और चर्चाओं में यह पहलू गायब रहता है। अगर कभी इसका जिक्र होता भी है, तो लाचारी जताने के लिए ऐसे किया जाता है। जबकि वैज्ञानिक कम से कम तीन दशकों से चेतावनी दे रहे हैं कि अगर सरकारों ने जलवायु परिवर्तन रोकने और परिवर्तन के परिणामों का मुकाबला करने की कारगर रणनीति नहीं बनाई, तो ये समस्याएं बढ़ती जाएंगी।

मगर आज भी अगर ये चेतावनी राष्ट्रीय चिंता और चर्चा का हिस्सा नहीं है, तो इसे हमारी आत्मघाती प्रवृत्ति के अलावा और क्या कहा जा सकता है?

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU