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Tree-Man : एक पुलिस कांस्टेबल बन गया ट्री-मैन, पूरे राज्य को हरा करने का उठाया जिम्मा

Tree-Man : 1 पुलिस कांस्टेबल बन गया ट्री-मैन, पूरे राज्य को हरा करने का उठाया जिम्मा

  1. Tree-Man : एक पुलिस कांस्टेबल बन गया ट्री-मैन, पूरे राज्य को हरा करने का उठाया जिम्मा

  2. Tree-Man ग्लोबल वार्मिंग को लेकर पूरी दुनिया में बात हो रही है.

चंडीगढ़

Tree-Man ग्लोबल वार्मिंग को लेकर पूरी दुनिया में बात हो रही है. एक्सपर्ट्स लगातार चेतावनी दे रहे हैं. कई देश इस पर गंभीरता से काम कर रहे हैं. भारत ने भी वैश्विक पटल पर इस मुद्दे को उठाया और जमीन पर इसके लिए लगातार काम हो रहे हैं. इन सबके बीच चंडीगढ़ में तैनात एक कांस्टेबल मिसाल के रूप में सामने आए हैं.

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Tree-Man उन्होंने दिखाया कि कैसे हर एक इंसान पर्यावरण के लिए बेहतर कर सकता है. उन्होंने चंडीगढ़ जैसी हरियाली अपने गांव में लाने की ठानी और अपनी मेहनत से हरियाणा के चार जिलों में लगभग डेढ़ लाख पौधे लगा दिए. खास बात है कि इसके लिए उन्होंने किसी से आर्थिक मदद नहीं ली.

काम हो रहे हैं. इन सबके बीच चंडीगढ़ में तैनात एक कांस्टेबल मिसाल के रूप में सामने आए हैं.

Tree-Man : एक पुलिस कांस्टेबल बन गया ट्री-मैन, पूरे राज्य को हरा करने का उठाया जिम्मा
Tree-Man : एक पुलिस कांस्टेबल बन गया ट्री-मैन, पूरे राज्य को हरा करने का उठाया जिम्मा

Tree-Manदेवेंद्र सूरा, हरियाणा के सोनीपत की ग्राम पंचायत जागसी के निवासी हैं. 2011 में उनका चयन चंडीगढ़ पुलिस में हुआ. चंडीगढ़ में उनकी पोस्टिंग एक टर्निग-पॉइंट साबित हुई.

काम हो रहे हैं. इन सबके बीच चंडीगढ़ में तैनात एक कांस्टेबल मिसाल के रूप में सामने आए हैं.

Tree-Manचंडीगढ़ की हरियाली और खूबसूरती उनके जीवन में एक अलग बदलाव लायी. उन्होंने अपने गांव और जिले को हरित प्रदेश बनाने का प्रण कर लिया. इसकी शुरुआत उन्होंने 2012 में की.

शुरुआत में राहें उनके लिए इतनी आसान नहीं थीं. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लायी और उनके साथ गांव के युवा भी शामिल होने लगे. नए शामिल युवा श्रमदान करने लगे जिससे उनकी मुहिम को नई उम्मीद और रास्ता मिला.

“पर्यावरण और पेड़-पौधों के महत्व का एहसास कोविड काल में ऑक्सीजन की कमी से देश में लोगों की मृत्यु के बाद हुआ.आज हम भौतिक सुख-सुविधाओं के जाल में फंसते जा रहे, जिसका पूरा दबाव पर्यावरण पर पड़ रहा है. धीरे-धीरे पक्षियों की बहुत-सी प्रजातियां ख़त्म हो गयी हैं. या ख़त्म होने के कगार पर हैं.

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जिसके कारण पर्यावरण में बहुत असंतुलन पैदा हो गया है. पर्यावरण और मानव प्रजाति को बचाने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने की आवश्यकता है. बस इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने ऑक्सीजन बाग की मुहिम चलाई.”

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