Welfare of the whole world : संपूर्ण विश्व की कल्याण के लिए अवतार लिया करते है भगवान

Welfare of the whole world :

Welfare of the whole world  संपूर्ण विश्व की कल्याण के लिए अवतार लिया करते है भगवान

Welfare of the whole world  सक्ती। ग्राम पंचायत टेमर मे शर्मा परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन आचार्य मनोज कृष्ण शास्त्री ने कहा कि यह धरा जब पाप अधर्म और धर्म को हानि पहुंचाने वाले दुष्टों के भार से दबने लगती है तब धरती मैया गौ माता का रूप धारण कर भगवान को पुकारती है कि हे प्रभु अब आप को अवतार लेना होगा ।

Welfare of the whole world  अजन्मा कहलाने वाले भगवान तब संपूर्ण विश्व का कल्याण करने के लिए अवतार भी लिया करते हैं , संसार के समस्त प्राणियों का जन्म अपने कर्मों के कारण होता है किंतु भगवान का अवतार करुणा वश होता है । श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ है जिसके माध्यम से वैदिक और पौराणिक काल के दिव्य ज्ञान प्राप्त कर मानव जीवन कृत्य कृत्य होता है !

यह उद्गार ग्राम पंचायत टेमर में आयोजित संगीत मय श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन आचार्य मनोज कृष्ण शास्त्री ने बताया श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए व्यासपीठ से आचार्य मनोज कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने प्रकट किया ।

Welfare of the whole world  आचार्य मनोज कृष्ण शास्त्री ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला में पूतना वध , मैया यशोदा को वैष्णवी माया , वृंदावन लीला , कालिदास से कालिया नाग को रमणक द्वीप भेजना , गोवर्धन लीला चीरहरण एवं महाराज की कथा का सरस वर्णन कर बताया गया कि श्रीकृष्ण की लीलाओं में माधुर्यता और विचित्रता दोनों ही है ।

इन लीलाओं के माध्यम से श्री कृष्ण ने मनुष्यों को प्रेरित करते हुए अपने सारे कर्म को सत्कर्म में बदलने और मनुष्य जीवन को अति विशिष्ट था पूर्ण निर्वाह करने की प्रेरणा दिया है , कालिया नाग का मर्दन कर यमुना नदी को कालिया नाग के विष से मुक्त किया है । गोवर्धन लीला करते हुए इंद्र का अभिमान तोड़कर संसार के मनुष्य को प्रकृति की पूजा करने की प्रेरणा दी है क्योंकि जब तक धरती में हरियाली रहेगी तब तक ही मनुष्य और उसकी भावी पीढ़ी तथा समस्त प्राणी अपना जीवन यापन कर सकेंगे ।

जब तक इस धरती में गौ माता , गंगा मैया , गायत्री और हमारी गौरी अर्थात कन्या सुरक्षित रहेंगे तब तक ही हमारा अस्तित्व बचा रहेगा l आचार्य द्वारा पूतना प्रसंग में कन्या शिक्षा तथा सुरक्षा पर विशेष आग्रह किया गया कि बेटी के जन्म लेने पर माता-पिता के मुख से आह न निकले और बेटे के जन्म लेने पर वाह ना हो । बेटे और बेटियां दोनों ही बराबर है , दोनों को ही समान शिक्षा और सम्मान देने की आवश्यकता है ।

चीर हरण लीला का अर्थ समझाते हुए उन्होंने बताया कि जो भगवान द्रोपदी की लाज बचाने के लिए स्वयं वस्त्र बन जाते हैं वे भला गोपियों का वस्त्र हरण कैसे कर सकेंगे ।

चीर हरण लीला तो गोपियों को नियम पालन करने की शिक्षा की दिव्य लीला है , श्री कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए जो गोपिया कात्यायनी की पूजा और व्रत रखती हैं , वह बिना वस्त्र के ही यमुना में स्नान करती है , जो जल देवता का अपमान है , श्री कृष्ण ने गोपियों को कहा की व्रत के नियम तोड़कर सिद्धि प्राप्त नहीं की जा सकती , इसलिए नियमों का पालन सभी के लिए अनिवार्य है ।

चीर हरण लीला का भाव यह है कि स्त्रियां अपना आंचल संभाल कर चले और पुरुष अपना आचरण , क्योंकि आंचल के गिर जाने पर मर्यादा गिरती है और आचरण के गिर जाने पर सब कुछ गिर जाता है ।

पांचवें दिन की कथा में जिला पंचायत सदस्य टिकेश्वर गबेल प्रीतम गबेल बी एल चन्द्रा हुलेश राठौर रमेश तिवारी सहित सैकड़ों की संख्या मे दूरदराज से आए हैं भक्तगण ग्रामीण श्रोता उपस्थित थे ।

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