चंद मिनट में निपटारा
नई दिल्ली। जजों की नियुक्ति को लेकर सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच लगभग दो महीने से खींचतान चल रही थी। इस बीच विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाई कोर्ट का जज नियुक्त करने को लेकर सरकार और कोर्ट के बीच मामला गरम हो गया। हालांकि विक्टोरिया ने मंगलवार सुबह हाई कोर्ट की जज के रूप में शपथ ले ली। उनकी नियुक्ति का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था। याचिका में कहा गया था कि उनका भाजपा से कनेक्शन रहा है और उन्होंने अल्पसंख्यकों के खिलफ बयान दिए हैं। सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट में जमकर ड्रामा हुआ।
याचिकाकर्ता ने मद्रास हाई कोर्ट में शपथग्रहण को देखते हुए मामले की जल्द सुनवाई करने की मांग की थी। सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर शपथ ग्रहण का कार्यक्रम होना था। वहीं सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश के सामने 38 नंबर पर याचिका को लिस्ट किया गया था। पहले वकीलों को बताया गया कि केस की सुनवाई पहले सीजेआई बेंच के सामने सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर होगी। सारे वकील वहां इकट्ठा हो गए। बेंच के लिए तीन कुर्सियां लगाई गईं। पता चला कि तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।
आधा घंटा के इंतजार के बाद पता चला कि मामले की सुनवाई कोर्ट नंबर 7 में संजीव खन्ना और बीआर गवाई की बेंच के सामने होगी। जस्टिस सुंदरेश ने खुद को इस सुनवाई से अलग कर लिया था। इसकी वजह यह थी कि वह तमिलनाडु से हैं और गौरी की नियुक्ति से पहले उनसे मशविरा किया गया था। अब सुनवाई के समय को लेकर किसी को सही जानकारी ही नहीं थी। थोड़ी देर बाद पता चला कि स्पेशल बेंच ममले की सुनवाई साढ़े 10 बजे करेगी। बेंच ने सुनवाई 10 बजकर 25 मिनट पर ही शुरू कर दी।
सुनवाई के दौरान ही हो गया शपथग्रहण
उधर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी और इधर गौरी का शपथ ग्रहण हो गया। कुछ ही मिनटों के बाद डिविजन बेंच ने विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति के खिलाफ याचिका खारिज कर दी। सुनवाई के दौरान प्रमुखता से तीन कारण बताए गए। एक तो यह कि कोलेजियम को गौरी के पहले के राजनीतिक कनेक्शन के बारे में पता था। कोलेजियम को उनके विवादास्पद बयानों के बारे में भी पता था। दूसरा यह कि इससे किसी के जज बनने की योग्यता पर सवाल नहीं उठाए जा सकते।