Countdown for Cheetah’s return भारत में चीते की वापसी की उलटी गिनती शुरू

Countdown for Cheetah's return

भूपेंद्र यादव

Countdown for Cheetah’s return फिर लौटेगा चीता

Countdown for Cheetah's return
Countdown for Cheetah’s return भारत में चीते की वापसी की उलटी गिनती शुरू

Countdown for Cheetah’s return चीते की वापसी की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और भारत एक बार फिर से ज़मीन के सबसे तेज जानवर का स्वागत करने का बेताबी से इंतजार कर रहा है, जिसकी गुर्राहट कभी ऊंचे पहाड़ों और तटों के सिवाए समूचे देश के जंगलों में प्रतिध्वनित होती थी। 17 सितंबर को चीते भारत में वापस लौटेंगे। जल्दी ही चीता मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में विचरण कर रहा होगा।

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Countdown for Cheetah’s return भारत में चीतों के न रहने के लिए असंख्य कारण जिम्मेदार रहे हैं, जिनमें पथ-निर्धारण, इनाम और शिकार के खेल के लिए बड़े पैमाने पर जानवरों को पकडऩा, पर्यावास में व्यापक बदलाव और उसके परिणामस्वरूप उनके शिकार के आधार का सिकुडऩा जैसे कारण शामिल हैं।

ये सभी कारण मानव की कार्रवाइयों से प्रेरित हैं, और यह सिर्फ एक बात– प्राकृतिक दुनिया पर मनुष्य के पूर्ण प्रभुत्व-का प्रतीक हैं। इसलिए जंगल में चीते की दोबारा वापसी एक पारिस्थितिकीय गलती को सुधारने और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दुनिया को दिए गए ‘मिशन लाइफ’ मंत्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में उठाया गया कदम है।

मिशन लाइफ का उद्देश्य वास्तव में एक समावेशी दुनिया का निर्माण करना है, जहां मनुष्य का लालच हमारी वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के अस्तित्व की जरूरत को नहीं लांघता, अपितु जहां मनुष्य, जीव-जंतुओं सहित प्रकृति के साथ सद्भाव से रहते हैं।

Countdown for Cheetah's return
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Countdown for Cheetah’s return विकास के पश्चिमी मॉडल ने इस धारणा को जन्म दिया कि मानव सर्वोच्च है और प्रौद्योगिकी की शक्ति से युक्त यह ‘सर्वोच्च मानव’ हर उस चीज को हासिल कर सकता है, जिस पर वह अपना दावा करता है।

Countdown for Cheetah’s return  जब इस मॉडल को व्यवहार में लाया गया, तो मानव कहीं खो गए और इसके साथ ही उनके द्वारा अस्थायी रूप से अर्जित की गई समृद्धि की भावना भी गुम हो गई। इस मॉडल ने न केवल अनेक प्रजातियों को खतरे में डाला, बल्कि पृथ्वी ग्रह के अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया है।

युगों से भारत में हम ‘प्रकृति रक्षति रक्षिता’ पर विश्वास करते आए हैं। हमारी आजादी के बाद से देश ने केवल एक विशाल जंगली स्तनधारी को खोया है।

Countdown for Cheetah’s return  हम अपनी आबादी के आकार और विकास संबंधी जरूरतों के बावजूद बाघ, शेर, एशियाई हाथी, घडिय़ाल और एक सींग वाले गैंडे सहित कई महत्वपूर्ण प्रजातियों व उनके पारिस्थितिक तंत्रों को संरक्षित करने में सक्षम रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट लायन और प्रोजेक्ट एलीफेंट के साथ इन बेहद महत्वपूर्ण प्रजातियों की तादाद बढ़ाने में भी समर्थ रहा है।

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Countdown for Cheetah’s return जहां एक ओर बाघ वन प्रणालियों की एक प्रमुख अग्रणी प्रजाति का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं चीता खुले जंगलों, घास के मैदानों और चारागाहों के शून्य को भर देगा। चीता की वापसी धरती के टिकाऊ पर्यावरण के निर्माण की दिशा में एक महत्वाकांक्षी कदम है,क्योंकि एक शीर्ष परभक्षी की वापसी ऐतिहासिक विकासवादी संतुलन को बहाल करती है जो उनके पर्यावास की बहाली और शिकार के आधार के संरक्षण पर व्यापक प्रभाव डालती है।

चीता उस विकासवादी स्वभाविक चयन प्रक्रिया का हिस्सा रहा है जिसके कारण हिरण और चिंकारा जैसी प्रजातियों में उच्च गति से अनुकूलन हुआ है। चीते की वापसी लुप्तप्राय प्रजातियों और खुले वन पारिस्थितिकी तंत्र सहित उसके शिकार-आधार की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगी, जो कि कुछ हिस्सों में विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं।

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Countdown for Cheetah’s return भारत में चीते की वापसी की उलटी गिनती शुरू

प्रोजेक्ट चीता उपेक्षित पर्यावासों को बहाल करने के लिए संसाधन लाएगा, जिससे उनकी जैव विविधता का संरक्षण होगा, उनके पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं और कार्बन को जब्त करने की उनकी अधिकतम क्षमता का उपयोग हो सकेगा। स्थानीय समुदाय को भी बड़े पैमाने पर लाभ होगा, क्योंकि चीते के लिए जिज्ञासा और सरोकारों के परिणामस्वरूप उत्पन्न पारिस्थितिक तंत्र से उनकी आजीविका के विकल्पों को बढ़ावा मिलेगा और उनके रहन-सहन की स्थिति में सुधार लाने में मदद मिलेगी।

आज पूरी दुनिया विशाल मांसाहारी पशुओं और उनके पारिस्थितिकी तंत्रों को संरक्षित किए जाने की आवश्यकता के प्रति जागरूक हो चुकी है। विशाल मांसाहारी पशुओं की संख्या में हो रही गिरावट के क्रम को रोकने या उलटने के लिए दुनिया भर में उनके पुन: प्रवेश और संरक्षण/स्थानांतरण का उपयोग किया जा रहा है।

चूंकि भारत, ग्रह के संरक्षक के रूप में अपनी आने वाली पीढिय़ों के लिए टिकाऊ भविष्य का निर्माण करने के अपने वादे को पूरा करने के लिए पूरे दिल से आगे बढ़ रहा है, इसलिए उसने भी चीते की वापसी का विकल्प चुना है, ताकि वह शीर्ष परभक्षी के रूप में चीते की वापसी के साथ उसके पारिस्थितिकी तंत्र की गिरावट का रुख पलट सके।

यूं तो चीते की पुन: वापसी कुनो में हो रही है, लेकिन उसकी तादाद में संभावित वृद्धि होने पर चीते को गुजरात,राजस्थान, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों में प्रवेश कराया जा सकता है। इससे वन्यजीवन के अन्य रूपों और संबद्ध पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के साथ-साथ भारत की खोई हुई विरासत को पूरी तरह बहाल करने में मदद करेगी।
(लेखक केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन और श्रम एवं रोजगार मंत्री हैं)

 

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