BEO : बीइओ की लापरवाही से पंडो धनुहार के 40 बच्चों का भविष्य अंधेरे में

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BEO : एक शिक्षक, बच्चे ही करते है साफ – सफाई, पियून, स्वीपर दोनो नही है स्कूल में

BEO : स्कूल बीइओ के अनुमति से कर सकता है स्वीपर की नियुक्ति, बीइओ ने नही दिए है आदेश

BEO :  सुरजपुर/प्रेमनगर। प्रदेश के सीएम पंडो जनजाति के युवकों का बगैर वैकेंसी के ही शासकीय नॉकरी देने की योजना लागू कर रहे है तो वहीं दूसरी अति पिछड़ी जनजाति के पंडो, धनुहार के बच्चे पढ़ने वाले स्कूलों में खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा ध्यान नही दिया जा रहा है।

BEO : 40 बच्चों का बोझ एक शिक्षक पर है। साथ ही इस स्कूल का छप्पर गिर रहा है। स्वीपर का पद स्वीकृत होने के बाद भी नियुक्ति नही की गई है तो वहीं पियून भी स्कूल को नही दिया गया है ऊपर से शिक्षक को ऑफिसियल कार्य के लिए कार्यालय बुलाते रहते है और बच्चों का पढ़ाई भगवान भरोशे हैं।

BEO : जानकारी के मुताबिक सुरजपुर जिले के प्रेमनगर विकास खण्ड के ग्राम पंचायत केदारपुर के पूर्व माध्यमिक शाला धनुहारपारा में मिडिल स्कूल है।

BEO : ये स्कूल एकल शिक्षक स्कूल है। यहां पढ़ाने वाले शिक्षक का नाम कैलाश है। जो स्कूल के हेड मास्टर है। स्कूल कक्षा 6 – 8 वी तक का है। स्कूल में पंडो धनुहार के 40 बच्चे पढ़ रहे है।

स्कूल में छात्रों की दर्ज संख्या देखेंगे कि कक्षा 6 वी में 12, कक्षा 7 वी में 12 तो वहीं कक्षा 8 वी में 16 बच्चे अध्यन कर रहे है।

इन बच्चों को पढ़ाने के लिए कम से कम 2 शिक्षक अनिवार्य तौर पर होना चाहिए था किंतु प्रभारी विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी आलोक सिंह इस स्कूल में शिक्षक की उपलब्धता नही कराई है। बल्कि इस स्कूल में कोई स्वीपर, स्वीपर की भी उपलब्धता नही कराई है।

BEO : स्कूल में एक स्वीपर का पद है। जिसके लिए स्कूल खुद ही गाँव के ही व्यक्ति को नियुक्त कर सकता है। नियुक्ति के लिए शिक्षक को विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी से अनुमति लेनी होती है। किंतु बीइओ श्री सिंह ने स्वीपर नियुक्त करने का आदेश नही दिया है। इस स्कूल में एक पियून का पद भी रिक्त है।

BEO : शिक्षक कैलाश की जिम्मेदारी है कि वे स्वीपर, पियून का कार्य करे साथ ही बच्चों को पढ़ाऐ भी। जबकि स्कूल में बच्चों को पढ़ने लिखने में कोई रुचि दिखता नही है। बच्चे अच्छे से हिंदी की किताब नही पढ़ पा रहे है। स्कूल के कमरों में गंदगी पसरा हुआ है।

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साफ सफाई नही है। स्कूल में शासन से प्राप्त राशि का खर्च भी नही दिखता है। दिवालो में लगे क्रांतिकारियो की तस्वीर दीमक खा रहे है।

स्कूल का छप्पर गिर रहा है। स्कूल में पढ़ने के लिए भेजने वाले पालक को डर रहता है कि मेरा बच्चा पढ़ने जा रहा है सही सलामत वापस लौटे गा या स्कूल के छप्पर से कोई दुर्घटना का शिकार हो जाएगा स्कूल के शिक्षक कैलाश बताते है छप्पर पियून, स्वीपर के लिए कई दफा पत्र लिखा गया है।

इसके बाद भी कोई सुनता नही है। कई दफा मेरे द्वारा ऑफिशियल कार्य से स्कूल नही आने पर स्कूल में पढ़ाई लिखाई ठप हो जाता है। सभी कक्षा के बच्चों का परेड लेना बहुत मुश्किल होता है।

आगे बताते है कि कभी कोई अधिकारी मेरे स्कूल के दौरा नही किया है ना कभी डीईओ आये है और ना तो कभी बीईओ दौरा किये है।

सब कुछ भगवान भरोशे है। राजनीतिक पार्टियो के नेताओ का कहना है कि प्रभारी बीइओ के मत्थे प्रेमनगर विकास खण्ड है अनिमियता तो होना ही है।

प्रशासन तत्काल बीईओ को हटाकर राजपत्रित अधिकारी को खण्ड शिक्षा अधिकारी को जिमेदारी शौपे सब ठीक हो जाएगी।

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साथ ही बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि अति पिछड़ी जनजाति के ग्रामीणों के बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है एक शिक्षक के मत्थे 40 बच्चों की जवाबदेही है।

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