Charama Village : डॉक्टर की लापरवाही के चलते 25 वर्षीय युवक की मौत….
Charama Village : चारामा ग्राम कुर्राटोला में टाईफाईट से एक 25 वर्षीय युवक की मौत हो गई। प्राईवेट डॉक्टर से करा रहा था ईलाज डॉक्टर की लापरवाही ने ले ली युवक की जान मिली जानकारी के अनुसार कुर्राटोला निवासी विप्लव भास्कर पिता सुरोतिलाल भास्कर 25 वर्षीय जो कि बीते कुछ दिनो से बीमार
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Charama Village : था और उसका इलाज घर पर ही प्राईवेट डॉक्टर के द्वारा किया जा रहा था। लगभग 10 दिन से अधिक समय तक युवक का इलाज घर पर ही जारी रहा। जबकि आश्चर्य की बात यह है कि कुर्रुटोला मे जिस जगह युवक का घर है उससे महज 100 मीटर की दूरी पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और
उपस्वास्थ्य केन्द्र स्थित है। बावजूद इसके युवक या उसके परिजनो ने उसका इलाज सरकारी अस्पताल की बजाय प्राईवेट नीजि डॉक्टर से कराया और कराते रहे। जब युवक की स्थिति रविवार 30 जुलाई को अचानक बिगड़ी तब उसे आनन फानन मे धमतरी गणपति अस्पताल ले जाया गया। लेकिन
अस्पताल मे ईलाज के पूर्व ही उसकी मृत्यु हो गई। हालाकि अभी तक उसकी जाँच रिपोर्ट सामने नही आई है कि मौत की वजह टाईफाइट है या अन्य कोई। लेकिन परिजनो ने मुखाग्र रूप से मौत की वजह टाईफाईट बताया। वही प्राईवेट डॉक्टर जिसकी द्वारा ईलाज किया जा रहा था, उसने भी 10
दिनो तक युवक का ईलाज किया। उसने युवक के बुखार, या गर्म शरीर या अन्य लक्षण की पहचान नही कर पाई। और डॉक्टर की लापरवाही ने युवक की जान ले ली। विकासखण्ड मे सप्ताह भर मे प्राईवेट डॉक्टर की लापरवाही से दुसरी मौत का मामला सामने आया है। ककालिन के 16 वर्षीय युवक
रंजित मडावी पिता संत राम मंडावी जिसकी मृत्यु 26 जुलाई की रात को चारामा अस्पताल मे मौत हो गई थी हालाकि युवक के अस्पताल मे भर्ती होने के 24 घंटे बाद सरकारी अस्पताल के डॉक्टरो की लापरवाही भी उसकी मौत का एक कारण था क्योकि जब युवक को 25 जुलाई की शाम
07 बजे को चारामा अस्पताल मे भर्ती किया गया था, तब वहाँ ड्युटी कर रही डॉक्टर के द्वारा युवक के लिए खुन जाँच लिखा गया था जिसके बाद रात्रि 08 बजे जिस डॉक्टर ने ड्यूटी सम्भाली उन्होने वो इमरजेंसी टेस्ट नही कराया, जबकि टेस्ट मे मलेरिया टेस्ट लिखा था. जो कि गंभीर बिमारी मे शामिल है, वही रात्रि 08 बजे
Charama Village
दुसरे दिन 26 जुलाई की सुबह 08 बजे तक ड्युटी करने के बाद सुबह 08 बजे से तीसरी डॉक्टर की ड्यूटी लगी। 09 बजे सब खुला लेकिन खुन की जाँच जो कि प्राथमिकता से कराया जाना था उसे युवक की स्थिति बिगड़ने के बाद 12 बजे के बाद किया गया। जिसकी रिपोर्ट आने मे शाम हो
गई। तब तक युवक की स्थिति बिगड़ती चली गई। और जब तक रिपोर्ट आई रिपोर्ट मे डेगु और मलेरिया की पुष्टि हुई, जब उसे काकेर मेडिकल हॉस्पिटल रिफर किया गया. तब तक उसकी मौत हो गई। जस पर परिजनो और रिश्तेदारो ने काफी हंगामा भी किया। जिला अधिकारी ने तत्काल इस
विषय पर सज्ञान लेकर पुरे मामले की जाँच के लिए तीन डॉक्टरो की टीम बनाकर जाँच करवाई जिसकी रिपोर्ट अभी आनी बाकि है लेकिन डॉक्टरों की इस आपरवाही का एक दुसरा पहलू यह भी है कि मृतक युवक की तबियत एक सप्ताह पहले से कुछ खराब थी, यानि उसे डेंगू और लेरिया सप्ताह भर
पहले ही हो चुका था, परिजनो के द्वारा जिसका इलाज एक निजी प्राईवेट डॉक्टर से कराया जा रहा गलगभर सप्ताह भर उस प्राईवेट डॉक्टर से ईलाज कराया गया। लेकिन युवक की स्थिति सुधरने की बजाय बिगड़ती चली ई. और जब युवक की स्थिति बहुत अधिक या कहे 80 प्रतिशत तक बिगड
गई। यानि मलेरिया डेगु पुरी तरह से शरीर में फैल या तब प्राईवेट डॉक्टर ने अपने हाथ खड़े कर दिये और परिजनो को उसे सरकारी अस्पताल ले जाने की सलाह दी। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. स्थिति काफी बिगड़ चुकी थी ऐसे मे अगर सरकारी अस्पताल मे तत्परता दिखाते हुए भर्ती लेने के
बाद तत्काल जॉच की गई होती और उसकी रिपोर्ट अगर दुसरे दिन सुबह तक मिल गई होती तो शायद युवक को जल्दी मेडिकल अस्पताल भेज दिया गया होता, और शायद उसका कुछ इलाज हो पाता लेकिन ये सभी घटना कम अब घटना तक सीमित रह गए है। यानि कुरुटोला हो या कंकालिन
मामला दोनो मामलो मे जवान युवको की मौत के पीछे प्राईवेट नीजि डॉक्टरो का ईलाज और गैर जिम्मेदाराना तरीका रहा है। अब प्रशासन इन गैर जिम्मेदार प्राईवेट डॉक्टरो पर क्या कार्यवाही करती है। यह कार्यवाही के बाद ही पता चलेगा।