Aaj kee janadhaara प्रधान संपादक सुभाष मिश्र की कलम से : खडग़े के सामने चुनौतियां अंदर और बाहर दोनों की

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Aaj kee janadhaara आज की जनधारा

Aaj kee janadhaara कांग्रेस को आज एक नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल गया है। मल्लिका अर्जुन खडग़े देश के सबसे पुरानी पार्टी के अध्यक्ष चुने गए हैं। खडग़े कर्नाटक से आते हैं और रेल मंत्री भी रह चुके हैं। संगठन के तौर पर देखें तो खडग़े गांधी परिवार के विश्वासपात्र नेताओं में शुमार हैं। खासतौर पर राहुल गांधी उन पर खासा भरोसा करते हैं।

80 साल के मल्लिका अर्जुन खडग़े में जोश और उत्साह की कोई कमी नहीं है। 21 जुलाई को अपने 80वें जन्मदिन के मौके पर भी महंगाई के मुद्दे पर केन्द्र सरकार के खिलाफ आंदोलन के लिए सड़क पर थे। खडग़े कांग्रेस के वफादार और जीवट नेता हैं। उम्र के इस पड़ाव में उनकी जो जिम्मेदारी है वो बहुत बड़ी है, वे किस तरह पार्टी में युवाओं को उत्साहित कर पाएंगे ये बड़ा सवाल है। इसके अलावा सही मायने वे कितना बदलाव ला पाएंगे ये भी बड़ा सवाल है।

Aaj kee janadhaara पार्टी अध्यक्ष के मामले में कांग्रेस का इतिहास बड़ा ही दिलचस्प है। पिछले सौ साल में ऐसे मौके कम आए हैं, जब अध्यक्ष का कद पार्टी के नेता से बड़ा दिखाई दिया हो। 1920 में बाल गंगाधर तिलक के निधन के बाद गांधीजी कांग्रेस के नेता के रूप में उभरे थे। दक्षिण अफ्रीका से लौटे मोहनदास करमचंद गांधी तेजी से भारतीय जनमानस पर अपनी पकड़ बना रहे थे। वे तब कांग्रेस के अध्यक्ष भी नहीं बने थे लेकिन उन्होंने पार्टी के सबसे बड़े नेता के तौर पर अपनी पहचान बना ली थी। देखा जाए तो वे सिर्फ एक बार 1924 में ही कांग्रेस अध्यक्ष बने, लेकिन उसके बाद 1948 तक कांग्रेस उनके पीछे खड़ी रही। कोई भी अध्यक्ष हो लेकिन वो कभी भी महात्मा गांधी से बड़ा चेहरा नहीं बन पाया।

यहां 1939 में गांधी के इच्छा के विरुद्ध अध्यक्ष बने सुभाषचंद बोस को अपना पद छोडऩा पड़ गया था। इसी तरह आजादी के बाद अध्यक्ष कोई भी हो लेकिन पार्टी का सर्वमान्य सबसे बड़ा नेता नेहरुजी रहे। उसके बाद के सालों में इंदिरा गांधी भी इसी तरह की तिलस्मी नेता के तौर पर उभरीं। उनके सामने कितने भी कांग्रेस अध्यक्ष बने लेकिन उनकी इच्छा के खिलाफ पार्टी में एक पत्ता भी नहीं हिला।

Aaj kee janadhaara रिकॉर्ड 24 साल तक कांग्रेस अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी भले ही स्वाभाविक रूप से राजनीतिज्ञ नहीं रही हों, लेकिन उनका मैनेजमेंट और सलाहकार समिति के फैसलों के बदौलत वे अध्यक्ष पद पर रहते हुए पार्टी के भीतर सबसे बड़ा नाम रही। उनके समय में पार्टी आलाकमान जितना शक्तिशाली रहा उतना बहुत कम अवसर पर नजर आया। यहां तक डॉ. मनमोहन सिंह लगातार दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे, लेकिन सुपर पॉवर सोनिया गांधी को माना गया।

Aaj kee janadhaara आमतौर पर खडग़े को गांधी परिवार की नजदीकी के चलते उनका ही उम्मीदवार मान जा रहा था। ऐसे में पार्टी को मजबूत करने और राहुल गांधी के लिए राह बनाने की जिम्मेदारी उनकी होगी। आंध्र प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि मैं अपनी और ना ही कांग्रेस के अध्यक्ष की भूमिका के बारे में कुछ कह सकता हूं। वह काम खडग़े साहब का है। मेरी भूमिका क्या होगी वह नए अध्यक्ष तय करेंगे। खडग़े के सामने बाहरी चुनौती के अलावा खुद की पार्टी के भीतर सामंजस्य बैठाना बड़ी चुनौती होगी।

Aaj kee janadhaara पार्टी में व्याप्त गुटबाज़ी से वे कैसे डील करते हैं ये उनकी कामयाबी को तय करेगी। ताज़ा उदाहरण राजस्थान का है, जहां अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच का झगड़ा कई दिनों तक सुर्खियां बटोरता रहा। इसी तरह सिब्बल औऱ आनंद शर्मा समेत कई वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी को खत्म करना। ऐसे में देखना होगा कि खडग़े पार्टी में बिना टूट-फूट के इन गुटबाजियों को कैसे दूर कर पाते हैं। खडग़े ने अपनी जीत के बाद पीसी लेते हुए भाजपा और मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला और अपने इरादे जता दिए कि वे आक्रमक राजनीति करेंगे। अब ये भविष्य ही तय करेगा कि पार्टी के बाहर औऱ भीतर की चुनौती से वे कैसे डील करते हैं। फिलहाल अंदाजा ये लगाया जा रहा है कि पार्टी के कामकाज औऱ फैसलों में कोई खास बदलाव नहीं आएगा।

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