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Tharoor return चुनाव होगा या थरूर की नाम वापसी?

Tharoor return चुनाव होगा या थरूर की नाम वापसी?

Tharoor return चुनाव होगा या थरूर की नाम वापसी?

Tharoor return कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव का मैदान सज गया है। सोनिया और राहुल गांधी के अघोषित समर्थन के साथ मल्लिकार्जुन खडग़े ने परचा भरा है तो बदलाव की अपील करते हुए शशि थरूर ने नामांकन किया है। एक तीसरे उम्मीदवार भी हैं, झारखंड के केएन त्रिपाठी, जिन्होंने अपने को किसान का बेटा और सोनियाजी का बेटा बताते हुए नामांकन दाखिल किया है। इन तीनों ने नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन यानी 30 सितंबर को परचा भरा। अब आठ अक्टूबर तक नाम वापसी का समय है। अगर आठ अक्टूबर के बाद भी एक से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में रहते हैं तो 17 अक्टूबर को मतदान होगा। कांग्रेस के करीब नौ हजार डेलिगेट्स अध्यक्ष पद के लिए मतदान करेंगे।

Tharoor return अब सवाल है कि कांग्रेस अध्यक्ष का मामला 17 अक्टूबर तक जाएगा या आठ अक्टूबर के पहले निपट जाएगा? यानी चुनाव होगा या थरूर और त्रिपाठी नाम वापस लेंगे, जिसके बाद मल्लिकार्जुन खडग़े को आम सहमति से निर्वाचित घोषित किया जाएगा? यह सवाल इसलिए है क्योंकि पार्टी के नेताओं का एक बड़ा समूह ऐसा है, जो आम सहमति से कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव का समर्थन कर रहा है। बदलाव की मांग करने वाले जी 23 समूह के नेता भी चाह रहे हैं कि खडग़े जैसे वरिष्ठ नेता के साथ चुनाव की नौबत नहीं आनी चाहिए। वैसे उनका बड़े अंतर से जीतना तय है फिर भी नेता चाह रहे हैं कि ज्यादा सम्मानजनक यह होगा कि वे निर्विरोध चुनाव जीतें।

Tharoor return पर मुश्किल यह है कि शशि थरूर इसके लिए तैयार नहीं हैं। वे चुनाव लडऩे पर अड़े हैं। उन्होंने खुल कर कहा है कि मल्लिकार्जुन खडग़े कांग्रेस के भीष्म पितामह की तरह हैं लेकिन वे यथास्थितिवाद के साथ हैं। उनका कहना है कि अगर खडग़े अध्यक्ष बनेंगे तो कुछ भी नहीं बदलेगा। उन्होंने अपने को बदलाव का समर्थक बताते हुए चुनाव लडऩे को जस्टिफाई किया है। इसलिए उनसे नाम वापस कराना आसान नहीं होगा।

Tharoor return वैसे भी थरूर को अब जी 23 के नेताओं से सरोकार नहीं है क्योंकि उन सभी नेताओं ने थरूर का साथ छोड़ दिया। जी 23 के नेताओं ने मौजूदा नेतृत्व को चुनौती दी थी और बदलाव की मांग की थी। लेकिन जब मौका आया तो उन्होंने नेतृत्व का ही साथ देने का फैसला किया। उस समूह के किसी नेता ने थरूर का साथ नहीं दिया। तभी वे उनके दबाव में नहीं आएंगे। लेकिन उनके अलावा पार्टी के कुछ बड़े नेता भी थरूर से संपर्क कर सकते हैं। उन पर नाम वापसी का दबाव बनाया जा सकता है। इस बीच एक थ्योरी यह भी चलाई जा रही है कि थरूर भी पार्टी आलाकमान के ग्रैंड प्लान का पार्ट हैं और आठ अक्टूबर से पहले वे भी थरूर की वरिष्ठता और उनके अनुभव का हवाला देते हुए नाम वापस ले लेंगे।

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