Temperature तापमान से खुश है दीमक, मौका मिला आबादी बढ़ाने का

Temperature

राजकुमार मल

 

Temperature तापमान से खुश है दीमक, मौका मिला आबादी बढ़ाने का

 

 

Temperature  भाटापारा- खुश है दीमक जलवायु परिवर्तन के दौर में बढ़ते तापमान से। जीवाश्म ईंधन आधारित विकास मौका दे रहा है आबादी बढ़ने में। इसलिए यह छोटा सा कीड़ा, हर जगह मजबूत सेंध लगा चुका है।

जलवायु परिवर्तन और बढ़ता वैश्विक तापमान भले ही कई क्षेत्र और जीव जंतुओं के लिए परेशानी की वजह बना हुआ हो लेकिन उस छोटे से कीट के लिए बेहद मुफीद है, जो ऐसे ही तापमान में अपनी आबादी बढ़ाते हैंं। उष्ण और उष्णकटिबंधीय जैसे गर्म क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने वाले छोटे से कीड़े को दीमक के नाम से जाना जाता है। जो अब आबादी क्षेत्र ही नहीं, वन क्षेत्र को भी निशाना बना रहे हैं।

मिल रहा आदर्श तापमान

 

Temperature  उष्ण और उष्णकटिबंधीय जैसे गर्म क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने वाले दीमक के लिए जलवायु परिवर्तन और बढ़ता तापमान आदर्श माना जा रहा है। क्योंकि ऐसे ही तापमान में राजा और रानी दीमक अपना परिवार बढ़ाते हैं। यह दीमक जैसे हर कीट के लिए भी सही तापमान माना गया है।

मजबूत साथ इनका

 

 

Temperature  भू उपयोग में बदलाव, शहरीकरण, घनी आबादी और व्यस्त व्यापार जैसी स्थितियों की वजह से जीवाश्म ईंधन आधारित विकास, दीमकों की मुख्य आवाजाही का मौका दिए हुए हैं। ऐसे में दीमक की आक्रामक प्रजातियां भी दिखाई देने लगीं है, जो बड़े नुकसान की वजह बन रहीं है।

जानिए दीमक को

 

Temperature  बेहद छोटा आकार। मुंह की असाधारण बनावट इसे आसानी से लकड़ी में प्रवेश के लिए सहारा देती है। सेल्यूलोज मुख्य ऐसा आहार है, जो लकड़ियों, पेड़ पौधों, और घास में प्रचुर मात्रा में होता है। पेट में जाने के बाद इस सेल्यूलोज का सामना ऐसे तत्व से होता है जिससे मिलने के बाद जरूरी पोषक तत्व बनता है। यही वजह है कि दीमक अपना पहला घर लकड़ियों को बनाते हैं।

कुछ सालों में चट कर जाएंगे दुनिया भर की लकड़ी

 

Bilaspur Big News : अचानकमार टाइगर रिजर्व :डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और एटीआर प्रबंधन के बीच पांच साल के लिए अनुबंध

 

 

बढ़ता तापमान दीमको के विकास हेतु अनुकूल दशाएं प्रदान करता है। गर्म जगहों पर लकड़ी के नष्ट होने की रफ्तार, ठंडी जगह से कहीं ज्यादा होती है। गर्म जलवायु में यह ज्यादा आसानी से जिंदा रहते हैं। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, इनकी आबादी भी बढ़ेगी। इसके साथ ही स्वस्थ लड़कियों का खत्म होना भी बढ़ता जाएगा।

डॉ. अर्चना केरकेट्टा, असिस्टेंट प्रोफेसर (एंटोंमोलॉजी), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU