Story of Struggle : भारत की वो खास महिला बैंडिट क्वीन जिसके नाम से सिहर उठते थे बड़े-बड़े लोग, जानिए उनके संघर्ष की कहानी
80 के दशक में चंबल के बिहड़ों में ‘बैंडिट क्वीन’Phoolan Devi के नाम का इतना खौफ था कि बड़े-बड़े लोगों की रूह कांपने लगती थी। बोला जाता था कि वह बहुत सख्त दिल वाली थी। हालांकि इसके पीछे बहुत बड़ी वजह थी।
Also read : https://jandhara24.com/news/107539/national-parents-day-is-celebrated-every-year-in-july-this-day/
जानकारों की मानें तो फूलन को परिस्थिति ने इतना कठोर बना दिया कि उन्होंने बहमई में सामूहिक हत्याकांड को अंजाम दिया। फूलन ने एक साथ कतार में खड़ा कर 22 ठाकुरों का क़त्ल कर दिया तथा उन्हें इसका जरा भी अफसोस नहीं हुआ।
चंबल के बीहड़ों से संसद पहुँचने वाली फूलन देवी पर ब्रिटेन में आउटलॉ नाम की एक पुस्तक प्रकाशित हुई है जिसमें उनके जीवन के कई पहलुओं पर बातचीत की गई है।
Phoolan Devi को प्राप्त हुई जेल की सजा के बारे में पढ़ने के लेखक रॉय मॉक्सहैम ने 1992 में उनसे पत्राचार आरम्भ किया। जब फूलन देवी ने उनकी चिट्ठी का जवाब दिया तो रॉय मॉक्सहैम भारत आए तथा उन्हें फूलन देवी को करीब से जानने का अवसर प्राप्त हुआ।
Phoolan Devi का जन्म यूपी के जालौन के पास बने एक गांव पूरवा में 10 अगस्त 1963 में हुआ था। इसी गांव से उसकी कहानी भी आरम्भ होती है। जहां वह अपने मां-बाप एवं बहनों के साथ रहती थी।
Also read :जाने today’s horoscope : मिथुन राशि में आज धन योग, देखे कितना फायदेमंद है आपके लिए
कानपुर के पास मौजूद इस गांव में फूलन के परिवार को मल्लाह होने के चलते ऊंची जातियों के लोग हेय दृष्टि से देखते थे।
इनके साथ गुलामों जैसा व्यवहार किया जाता था। फूलन के पिता की सारी जमीन उनके सगे भाई ने विवाद करके जबरन बैनामा कराकर छीन ली थी।
फूलन के पिता जो कुछ भी कमाते वो जमीन के विवाद के चलते अधिवक्ताओं की फीस में चला जाता। 25 जुलाई 2001 में सिर्फ 38 वर्ष की आयु में दिल्ली में घर के सामने ही फूलन देवी का क़त्ल कर दिया गया था।
स्वयं को राजपूत गौरव के लिए लड़ने वाला योद्धा बताने वाले शेर सिंह राणा ने फूलन के क़त्ल के बाद दावा किया था 1981 में मारे गए सवर्णों के क़त्ल का बदला लिया है।
फूलन दमघोंटू माहौल में पलती और बड़ी होती रही। उसके भीतर बदले की आग से जलने लगी। आग की इस जलन को सुलगाने में उसकी मां ने भी आग में घी का काम किया।
जब फूलन 11 वर्ष की हुई, तो उसके चचेरे भाई मायादिन ने उसको गांव से बाहर निकालने के लिए उसकी शादी पुत्ती लाल नाम के बूढ़े शख्स से करवा दी गई।
फूलन के पति ने शादी के तुरंत बाद ही उसका बलात्कार किया तथा उसे प्रताड़ित करने लगा। तंग आकर फूलन पति का घर छोड़कर वापस मां-बाप के पास जाकर रहने लगी।
बोला जाता था कि फूलन देवी का निशाना बड़ा अचूक था तथा उससे भी अधिक उनका दिल कठोर था। उनके जीवन पर कई फिल्में भी बनीं मगर पुलिस का डर उन्हें हमेशा बना रहता था।
विशेष रूप ठाकुरों से उनकी शत्रुता थी इसलिए उन्हें अपनी जान का खतरा हमेशा महसूस होता था। चंबल के बीहड़ों में पुलिस एवं ठाकुरों से बचते-बचते शायद वह थक गईं थी इसलिए उन्होंने हथियार डालने का मन बना लिया। इस तरह रही उनकी संघर्ष की कहानी