Maharashtra : महाराष्ट्र के बुलढाना ज़िले की अर्चना की कहानी…
कर्म भूमी की दुनिया में, श्रम सभी को करना है…
भगवान सिर्फ लकीरें देता है, रंग हमें ही भरने है…
Maharashtra : अर्चना एक ऐसे गाँव से हैं जहां युवा, बुज़ुर्ग, महिलाएँ और बच्चे सभी स्वराज के मार्ग पर चलते हुए अपने गाँव “जयपुर” को आज इतना प्रसिद्ध कर चुके हैं कि यहाँ की प्रगति देखने देश के कोने कोने से लोग आने लगे हैं और अर्चना उन्हें ग्रामीणों के द्वारा श्रमदान और सहयोग से हुए कायाकल्प की जानकारी देती हैं।
अर्चना भले ही साधारण सी लड़की नज़र आ रही हैं लेकिन जब आप इनसे मिलेंगे इनकी कहानी जानेंगे… तो अचंभित अवश्य हो जाएँगे। इस गाँव में अर्चना जैसे ना जाने कितने युवा और हैं जो आज के आधुनिक दौर में भी साधारण सा जीवन चुनते हैं और देश को स्वराज की दिशा में ले जाने के लिए निरंतर निस्वार्थ भाव से कार्य करते रहते हैं।
जयपुर के ग्रामीणों ने जात पात और दलगत राजनीति से परे स्वराज को चुना है। आज से दस साल पहले इस गाँव की स्थिति ऐसी थी कि यहाँ लगातार भूमिगत जल का स्तर नीचे जा रहा था। खेती के लिए पानी की समस्या होने लगी थी। तब ग्रामीणों ने मिलकर श्रमदान द्वारा पूरे गाँव में पौधे लगाने शुरू किए। देखते देखते इस गाँव में लाखो पौधे अब पेड़ बन चुके हैं। उनके इस कार्य में “पानी फ़ाउंडेशन” ने प्रशिक्षण और निरंतर सहयोग किया है। इस गाँव की एकता और दूरदर्शिता को सलाम है।
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राजीव गांधी पंचायती राज संगठन की कार्यकर्ता प्रशिक्षण के दौरान हम “जयपुर” ग्राम दर्शन के लिए गये थे जहां मैं इस गाँव के युवाओं से इतनी प्रभावित हुई कि आप लोगों से साझा किए बिना नहीं रह पाई।
आपके आस पास ऐसी कोई कहानी हो तो ज़रूर साझा करें ।