Steel City Bhilai इस्पात नगरी में 4 दशक पहले चंद लोगों से शुरू हुआ था मिलादुन्नबी का जुलूस

Steel City Bhilai

रमेश गुप्ता ,अरशद अली

Steel City Bhilai पहले भिलाई स्टील प्लांट की ओर से होता था कव्वाली और नातिया मुशायरे का आयोजन

Steel City Bhilai बाद में बदला स्वरूप, अब पहले से भी भव्य निकलता है जुलूस

Steel City Bhilai भिलाई। इस्पात नगरी भिलाई में पैगम्बर हजरत मुहम्मद की यौमे पैदाइश (जन्मदिन) पर जश्न-ए-मिलादुन्नबी का स्वरूप बीते 65 साल में कई बार बदला है। कभी यहां भिलाई स्टील प्लांट अपनी सामाजिक गतिविधियों के तहत मिलादुन्नबी का आयोजन करता था लेकिन बाद के दौर में विभिन्न मुस्लिम संगठनों ने अपनी-अपनी अंजुमन बनाईं और 80 के दौर में गिनती की अंजुमनों के साथ ईद मिलादुन्नबी के जुलूस की शुरुआत हूुई।

Steel City Bhilai अब इस स्वरूप पहले से कहीं भव्य हुआ है। इस बार ईद मिलादुन्नबी 9 अक्टूबर को है। इसकी तैयारी काफी पहले से चल रही है और एक दिन पहले शनिवार को तैयारियां चरम पर पहुंच गई। कोरोना काल के 2 साल बाद यह पहला अवसर होगा, जब एक बार फिर आशिके रसूल शानदार जुलूस निकालेंगे। ईद के एक दिन पहले शनिवार को पुलिस कंट्रोल रूम में जिला व पुलिस प्रशासन के साथ मुस्लिम समुदाय की बैठक हुई, जिसमें जुलूस के रूट व समय को अंतिम रूप दिया गया।

बीएसपी का आयोजन होता था सेक्टर-1 में,आते थे कव्वाल और नातख्वा

Steel City Bhilai उल्लेखनीय है कि इस्पात नगरी की शुरूआत में करीब 20 साल तक ईद मिलादुन्नबी का आयोजन भिलाई स्टील प्लांट मैनेजमेंट की तरफ से होता था। तब बीएसपी मैनेजमेंट की विभिन्न धर्म व समुदाय के सार्वजनिक आयोजनों में भागीदारी हुआ करती थी। बीएसपी की तरफ से यह आयोजन सेक्टर-1 में नेहरू हाउस, इस्पात क्लब और इसके बीच के मैदान में मौसम के अनुकूल हुआ करता था।

Steel City Bhilai तब बीएसपी की ओर से देश के नामचीन कव्वाल ईद मिलादुन्नबी पर भिलाई बुलाए जाते थे और इनके बीच कव्वाली का शानदार मुकाबला होता था। वहीं नातिया मुशायरा भी मिलादुन्नबी पर आयोजित किया जाता था। इन आयोजनों में बीएसपी के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा विभिन्न धर्म व संप्रदाय के लोग बड़ी संख्या में शामिल होते थे।

1980-81 से शुरू हुआ जुलूस

Steel City Bhilai लेकिन बाद के दौर में इसका स्वरूप बदलता गया। 1975 के बाद भिलाई स्टील प्लांट का 40 लाख टन क्षमता का विस्तारीकरण शुरू हुआ और मैनेजमेंट का ध्यान सामाजिक गतिविधियों से ज्यादा उत्पादन और कारखाने की ओर रहा।

इस बीच भिलाई के मुसलमानों ने अन्य शहरों की तरह इस्पात नगरी में भी जुलूस निकालने की शुरुआत की। शुरुआत से अब तक ईद मिलादुन्नबी जुलूस का अहम हिस्सा रहे अंजुमन शहीदिया के प्रमुख हाजी एमएएच सिद्दीकी बताते हैं कि 1980-81 में तय किया गया कि जामा मस्जिद सेक्टर-6 की कयादत में जुलूस निकाला जाए।

Steel City Bhilai इसके बाद गिनती की अंजुमन के साथ जुलूस निकला। धीरे-धीरे शहर के अलग-अलग हिस्सो में अंजुमन बनती गई और ईद के जुलूस से जुड़ती गई। तब जामा मस्जिद सेक्टर-6 का संचालन करने वाली भिलाई नगर मस्जिद ट्रस्ट ने कुर्राह (लॉटरी) निकालने का फैसला किया। इसके बाद जुलूस की व्यवस्था बनाए रखने अंजुमनों का क्रम कुर्राह से तय किया जाने लगा। सभी अंजुमन के लोग अपने-अपने बैनर के साथ इस जुलूस में शामिल होते थे।

तब बगैर लंगर-सबील के निकलता था जुलूस

शुरुआती दौर में जुलूस के दौरान लंगर या शरबत-पानी की सबील का इंतजाम नहीं होता था। इस बीच सबसे पहले अंजुमन शहीदिया सुपेला ने सेक्टर-5 चौक पर लंगर व पानी का इंतजाम किया उसके बाद से लगातार सिद्दीकी बंधुओं व अंजुमन शहीदिया की ओर से सबील व लंगर का इंतजाम हर साल किया जा रहा है।

हाजी सिद्दीकी के मुताबिक लंगर व सबील के लिए बीएसपी फायर ब्रिगेड की ओर से अलग-अलग पंडालों में पानी भर कर दिया जाता रहा है। कुछ सालो के बाद सेक्टर-1 के सामने सीआईएसएफ की तरफ से भी सबील और लंगर का स्टॉल लगने लगा।

धीरे-धीरे जुलूस का स्वरूप भव्य होता गया। कैंप, खुर्सीपार, सुपेला व अन्य हिस्सों से भी अंजुमनों की भागीदारी बढ़ने लगी। जुलूस के साथ लंगर और सबील के लिए बड़े वाहन भी शामिल होने लगे और जनभागीदारी भी बढ़ने लगी।

शुरूआती दौर में जश्ने ईद मिलादुन्नबी जुलूस की पहल करने वालों में भिलाई नगर मस्जिद ट्रस्ट के मरहूम मोहम्मद इस्लाम, मरहूम हसन इमाम, मरहूम याह्या खान, मरहूम बशीर खान, मरहूम एमए सलीम,अंजुमन शहीदिया के हाजी एम एच सिद्दीकी , नजमुल हसन सिद्दीकी, जाकिर हुसैन सिद्दीकी,अमीर हसन, इलियास खान,मुख्तार उल हसन, मरहूम युसूफ मछली शहरी व अन्य शामिल हैं।

जुलूस में शामिल होने वाली शुरुआती दौर की अंजुमन

उस दौर में भिलाई नगर मस्जिद ट्रस्ट सेक्टर- 6 के बैनर के पीछे अंजुमन हुसैनिया जोन-2,अंजुमन शहीदिया सुपेला, मोहम्मदी मुस्लिम कमेटी कैंप-2, अंजुमन फरीदीया बाबा फरीद नगर, अंजुमन नूर ए रजा जोन-1, अंजुमन रजा ए मुस्तफा कैंप-2, अंजुमन निजामिया सेक्टर-6,

अंजुमन फिदा याने हुसैन कैंप-1, वैशाली नगर मुस्लिम कमेटी, अंजुमन फैजाने मुस्तफा कैंप-1, अंजुमन रहमानिया रिसाली ,अंजुमन रजा ए मुस्तफा सेक्टर-2, अंजुमन गौसिया भिलाई-3, अंजुमन सिमना मिशन हुडको, अंजुमन सिद्दीकीया कैंप-1,

अंजुमन इसहाकिया जोन-3, अंजुमन फैजाने मुस्तफा सेक्टर-7 के अलावा दिगर अंजुमन भी ईद मिलादुन्नबी के मौके पर शामिल हुआ करती थी। अभी अंजुमनों की तादाद भी बढ़ी है और जुलूस में लोगों की भागीदारी भी बढ़ी है।

जश्ने ईद मिलादुन्नबी का जुलूस रविवार 9 को, शामिल होंगे महमूद अशरफ

जश्ने ईद मिलादुन्नबी के मौके पर इस बार जुलूसे मुहम्मदी में किछौछा शरीफ से हजरत महमूद अशरफ शिरकत करेंगे। इस दौरान जुलूस ए मोहम्मदी 9 अक्टूबर इतवार को दोपहर 1:30 बजे गौसिया मस्जिद भिलाई से दारुल उलूम इस्लामिया यतीमखाना कैंप-2 नंदिनी रोड पावर हाउस से गुजरकर दोपहर बाद 3:30 बजे मुर्गा चौक पहुंचेगा।

यहां से सेंट्रल एवेन्यू होते हुए 5:15 बजे जामा मस्जिद सेक्टर 6 पहुंचेगा। ईद मिलादुन्नबी पर रहमते आलम कॉन्फ्रेंस 9 अक्टूबर इतवार की शाम बाद नमाज मगरिब जामा मस्जिद सेक्टर-6 में रखी गई है।

जिसमें मेहमाने खुसूसी आले नबी औलादे अली फर्जंद गौसे आजम सैयद मोहम्मद महमूद अशरफ अशरफी जिलानी सज्जादा नशीन आस्ताना-ए-आलिया -खानकाह अशरफिया किछौछा मुकद्दसा होंगे।
यह कॉन्फ्रेंस जामा मस्जिद सेक्टर-6 के साबिक इमाम सैयद मोहम्मद अजमलुद्दीन हैदर और मौजूदा इमामो खतीब इकबाल अंजुम हैदर की जेरे सरपरस्ती होगा।

वहीं शहर की तमाम मस्जिदों के इमामों-खतीब रौनके स्टेज होंगे। यह कॉन्फ्रेंस फरीदनगर के गुलाम मोहिउद्दीन अशरफी के जेरे निजामत होगा और नागपुर के नात ख्वां हामिद दानिश अपना कलाम पेश करेंगे।

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