South East Central Railway : मिस्टिंग मशीन चल रही ना पंखे, गर्मी से यात्री बेहाल
South East Central Railway : बिलासपुर। जोनल स्टेशन में यात्रियों का गर्मी से हाल बेहाल है। उन्हें यहां ना तो पंखे की हवा मिल रही और ना मिस्टिंग मशीन की ठंडकता। गुरुवार को दोपहर में गर्मी से बचाव की यह दोनों सुविधाएं बंद रही। इसके चलते यात्रियों को परेशानी हुई। वह इस अव्यवस्था को लेकर नाराज भी दिखे। उनका कहना था कि रेलवे किराया लेकर बेहतर सुविधा देने में नाकाम साबित हो रही है।
South East Central Railway : बिलासपुर जोनल मुख्यालय का स्टेशन है। लेकिन, स्तर के हिसाब से यहां यात्रियों की सुविधाएं नहीं मिल पातीं। यहां कई तरह की दिक्कतों से यात्रियों को जूझना पड़ता है। गर्मी से बचाव के लिए स्टेशन में मिस्टिंग मशीन लगाई गई। इस सुविधा के तहत प्लेटफार्म के ऊपरी हिस्से में पतली पाइप लाइन बिछाई गई है, जिनमें बीच-बीच में छोटी-छोटी छेद है। जहां से पानी फौव्वारे की तरह निकलते हैं। इससे स्टेशन का वातारण ठंडा रहता है।
यात्रियों को इस सुविधा से काफी राहत मिलती है। लेकिन, रेलवे इस सुविधा को यात्रियों को बेहतर ढंग से उपलब्ध नहीं करा पा रही है। गुरुवार को तो यह पूरे समय बंद रही। इतना ही नहीं पंखे भी बंद कर दिए गए थे। इसके कारण प्लेटफार्म गर्म हो गया। स्थिति यह थी कि यात्री कुर्सी पर बैठ नहीं पा रहे थे। गर्मी से बेचैन यात्री इधर-उधर चहल-कदमी करते नजर आए।
South East Central Railway : कुछ यात्रियों ने इसकी शिकायत भी की। लेकिन, उनकी सुनवाई नहीं हुई। घंटों मिस्टिंग मशीन व पंखे बंद ही रहे। एक तो गर्मी ऊपर से ट्रेनों की लतीफी ने यात्रियों की परेशानी बढ़ा दी थी। इस अव्यवस्था को लेकर यात्रियों में नाराजगी थी और हैरान भी थे कि रेलवे को यात्रियों की दिक्कत आखिर नजर क्यो नहीं आती। ठंडा पानी भी नहीं मिल रहा है। चौतरफा परेशानी से जुझ रहे यात्रियों का कहना था कि रेल प्रशासन की सारी व्यवस्थाएं ठप पड़ी हुई है। उन्हें यात्रियों की जरा भी चिंता नहीं है। यदि चिंता रहती तो यात्रियों को स्टेशन में गर्मी से परेशान नहीं होना पड़ा।
अक्षिता में पसरा सन्नाटा
गर्मी से यात्री कितने परेशान थे। इसका अंदाजा जोनल स्टेशन के प्लेटफार्म एक पर बनाए गए अक्षिता (महिला यात्री प्रतीक्षालय) की स्थिति देखकर लगाया जा सकता है। महिलाओं के बैठने के लिए बनाए गए इस सुरक्षित स्थान में एक भी महिला यात्री नहीं थे। कुर्सियां खाली थी और सन्नाटा पसरा हुआ था।