Smart city fund से लगाए गए सिग्नल और खंभे होने जा रहा फिजूल साबित

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Smart city fund ट्रैफिक सर्वे पर उठा सवाल

Smart city fund रायपुर !  स्मार्ट सिटी के फंड से शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए 4 साल पहले ही लगाए गए सिग्नल और खंभे आज कई जगहों पर फिजूल साबित होने जा रहा हैं. सिग्नल की उपयोगिता नहीं रह जाने पर यातायात पुलिस इन जगहों पर रोटेटरी बनवा रही है रोटेटरी का प्रयोग सफल हुआ तो यहां सिगनल्स की उपयोगिता बंद कर दी जायेगी !

ये सिगनल्स और खंभों का आगे जर्जर होना तय है क्योंकि अब तक के पूरे हुए प्रोजेक्ट पर रख रखाव के मामले में ये फिसड्डी साबित हुई है और स्मार्ट सिटी के पास अब पुराने समय में लगाए गए सिस्टम का दोबारा इस्तेमाल करने कोई योजना ही नहीं बनी है। वही स्मार्ट सिटी द्वारा सर्वे कराकर लगाए गए सिग्नल आखिर अब फेल क्यों साबित हो रहे हैं?? ऐसे ही प्रोजेक्ट के चलते स्मार्ट सिटी के कार्य और प्लानिंग पर सवाल उठने लगा है देखिए खास रिपोर्ट!

बता दे राजधानी रायपुर में यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने स्मार्ट सिटी ने आईटीएमएस (इंटीग्रेटेड ट्रेफिक मैनेजमेंट सिस्टम)के तहत कैमरे लगाकर प्रयास किया। लेकिन अब ट्रैफिक पुलिस स्थिति सम्हालने अपने ट्रैफिक मैनेजमेंट के हिसाब से बदलाव करने सड़कों पर उतर गई है.

स्वदेश न्यूज़ की टीम ने महिला थाना चौक और मोती बाग चौक के पास बनाए गए रोटेटरी के बारे में जायजा लिया तो ट्रैफिक अफसरों ने बताया कि रोटरी सिस्टम कारगार होने पर अब यहां स्थाई रोटेटरी बनाएंगे यहां लगे सिग्नल से व्यवस्था संभालने के बजाय यातायात रोटेटरी के माध्यम से व्यवस्था बनाई जाएगी शहर के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह का सर्वे करने के बाद रोटेटरी बनाया जाएगा यातायात विभाग के इस व्यवस्था से कई बड़े चौराहों पर लगे सिगनल्स का अस्तित्व खत्म होना तय है इससे स्मार्ट सिटी की लाखों का नुकसान होगा और स्मार्ट सिटी के अधिकारी सिग्नल को आईटीएमएस के लिए आवश्यक बता रहे हैं वहीं दूसरी तरफ स्मार्ट सिटी के पास इन्हें हटाने या दूसरी जगह लगाने के लिए फंड भी नहीं है उनका दावा है कि यह सिग्नस बंद हुए तो पूरी तरह फिजूल हो जायेंगे।

वही सिग्नल लगाने से पहले स्मार्ट सिटी के द्वारा कराए गए सर्वे को लेकर सवाल करने पर स्मार्ट सिटी के जिम्मेदारों का कहना है जब सिग्नल्स लगाए गए उस समय की मौजूदा स्थिति को लेकर सर्वे कर लगाया गया था।समय समय पर जनसंख्या का घनत्व बढ़ता है,सड़को में यातायात का दबाव बढ़ने पर अलग अलग निर्णय लिया जाता है। अभी इस सिगनल्स को निकलने या सुरक्षित रखने तात्कालिक रूप से ऐसी कोई फंड स्मार्ट सिटी से नहीं मिल पाएगी।

वहीं नगर निगम के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों का मानना है कि रायपुर एक महानगर बनने जा रहा है कोई भी प्लान स्मार्ट सिटी कर रही तो 10 साल 20 साल चले ऐसी प्लानिंग करनी चाहिए ना कि दो चार साल बाद उसे फिर से तोड़फोड़ कर नया बनाया जाए और पैसे की फिजूलखर्ची किया जाए कहीं ना कहीं स्मार्ट सिटी कई प्रोजेक्ट ऐसे ही कम समय के प्लानिंग के चलते धराशाई होने के कगार पर है।

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राजधानी रायपुर में सरकारी पैसे का कैसे दुरुपयोग होता है इसके कई उदाहरण आपको देखने मिल जाएंगे कई प्रोजेक्ट जिसमें 2 विभागों का तालमेल ही नहीं होता और बाद में दोनों ही भाग आमने-सामने हो जाते हैं और कुल मिलाकर पैसे की बर्बादी होती है जिसका एक और उदाहरण देखिए।

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