Singer Nitin Dubey :कभी चेहरा छुपाकर अपने ही पोस्टर चिपकाते थे,आज सिंगर नितिन दुबे की एक झलक पाने को लगती है भीड़

Singer Nitin Dubey : कभी चेहरा छुपाकर अपने ही पोस्टर चिपकाते थे,आज सिंगर नितिन दुबे की एक झलक पाने को लगती है भीड़

Singer Nitin Dubey : कभी चेहरा छुपाकर अपने ही पोस्टर चिपकाते थे,आज सिंगर नितिन दुबे की एक झलक पाने को लगती है भीड़

Success story of Singer Nitin Dubey

Singer Nitin Dubey :एक गायक के लिए कठोर संघर्ष एक बहुत बड़ा तप है । बिना तप के किसी भी तपस्वी को वरदान मिलना असम्भव है । वरदान के इच्छुक को कठोर तप करना ही होगा । तप का आशय मात्र रात दिन रियाज करना ही नहीं है बल्कि स्वयं की कला को जनता तक पहुँचाना भी है ।

सुप्रसिद्ध गायक नितिन दुबे के संगीत की यात्रा में ऐसे कठोर संघर्ष के दिन दर्ज हैं जो किसी को भी प्रेरित कर सकते हैं । 1988 से लेकर सन 2000 तक वे विभिन्न मंचो पर ऑर्केस्ट्रा प्रोग्राम में गाया करते थे। फिर सन् 2001 में उनका पहला

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गीत “मनमोहिनी हे गाँव के गोरिया” एलबम “तैं दीवानी मैं दीवाना” में रीलिज़ हुआ ये ब्रेक उन्हें छत्तीसगढ़ के उस दौर के सुप्रसिद्ध जसगीत गायक दिलीप षड़ंगी जी ने दिया। लेकिन नितिन दुबे को कोई खास पहचान नहीं मिल पाई हालांकि

Singer Nitin Dubey : कभी चेहरा छुपाकर अपने ही पोस्टर चिपकाते थे,आज सिंगर नितिन दुबे की एक झलक पाने को लगती है भीड़
Singer Nitin Dubey : कभी चेहरा छुपाकर अपने ही पोस्टर चिपकाते थे,आज सिंगर नितिन दुबे की एक झलक पाने को लगती है भीड़

2002 में रीलिज़ “हाय तोर बिंदिया” एलबम से थोड़ी बहुत पहचान उन्हें मिल गई लेकिन नितिन जैसा चाह रहे थे वैसी पहचान उन्हें नहीं मिल पा रही थी और ये दौर उनके संगीत जीवन का सबसे कठिन संघर्ष का दौर रहा । संघर्ष की तपिश

से कई लोग तो टूट भी जाते हैं । लेकिन यह उनको तोड़ ही नहीं पायी । मैदान छोड़कर भागे ही नहीं ।
उन दिनों आडियो टेप कैसेट का जमाना था । संगीत प्रेमियों के घरों में कैसेट प्लेयर हुआ करते थे । जिसमें वे गाने सुनते थे

,लेकिन इन गानों के चलने के लिए बड़ी म्यूजिक कम्पनी से एलबम रीलिज़ होना ज़रूरी था, तब मेलोडियस सिंगर के रूप में नितिन दुबे का थोड़ा बहुत नाम हो रहा था लेकिन नितिन दुबे की जिस प्रकार की आवाज़ थी और वे जिस प्रकार के गीत

Singer Nitin Dubey : कभी चेहरा छुपाकर अपने ही पोस्टर चिपकाते थे,आज सिंगर नितिन दुबे की एक झलक पाने को लगती है भीड़
Singer Nitin Dubey : कभी चेहरा छुपाकर अपने ही पोस्टर चिपकाते थे,आज सिंगर नितिन दुबे की एक झलक पाने को लगती है भीड़

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गाना चाहते थे वैसे गीत कोई भी आडियो म्युजिक कम्पनी नहीं गवाती थी । तब उन्होंने अपना एक सोलो एलबम निकालने का सोचा और तैयारी की और उन्होंने जितना भी पैसा प्रोग्राम करके कमाया था उन रुपयों से उन्होंने एलबम रिकॉर्ड किया

लेकिन जब उसे रीलिज कराने आडियो म्युजिक कम्पनी वालों के पास लेकर गये,तब किसी ने भी उस एलबम के गानों को पसन्द नहीं किया । रीलिज करने के लिए राजी ही नहीं हुए । उसके बाद नितिन दुबे ने मार्केट से रुपये उधार लिये । इधर

उधर से जुगत भिड़ाये और इस एलबम को स्वयं ही रीलिज किया,लेकिन रीलिज़ के बाद समस्या ये थी कि इसे लोगों तक कैसे पहुचाएं क्योंकि पूंजी के अभाव मे नितिन जी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो किसी से मार्केटिंग करा सकें और उन्हें

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पेमेंट दे सकें ,तब उन्होंने बाइक से खुद ही पूरे छत्तीसगढ़ में इसकी मार्केंटिंग करने की ठानी और रोज़ अलग अलग शहरों में गांव में जिलों में जाकर छोटे से बड़े ऑडियो कैसेट के दुकानों में अपने एलबम को पहुंचाने लगे,लेकिन ये काम वो अपने

मुंह पर गमछा बांध कर किया करते थे क्योंकि ऑडियो कैसेट और पोस्टर के फोटो को कोई देखकर पहचान न ले कि सिंगर खुद अपने पोस्टर चिपका रहा है और कैसेट बेच रहा है, क्योंकि उन्हें इस कैसेट को बेचने के लिए इसकी तारीफ

करनी पड़ती थी और नितिन जी सोचते थे कि उन्हें किसी ने पहचान लिया कि ये तो खुद अपनी तारीफ कर रहा है और कैसेट ही नही खरीदे तो उन्हें नुकसान हो जाएगा इसलिए अपनी पहचान छुपाने के लिए वो ऐसा करते थे।बहरहाल उनकी

मेहनत रंग लाई और ये कैसेट देखते ही देखते सुपरहिट हो गया और उसके गीतों ने धूम मचा दिया । आप सभी को ये जानकर आश्चर्य होगा कि जिस एलबम को सभी म्यूजिक कम्पनी ने रिलिज़ करने से नकार दिया था उसी एलबम ने नितिन

Singer Nitin Dubey : कभी चेहरा छुपाकर अपने ही पोस्टर चिपकाते थे,आज सिंगर नितिन दुबे की एक झलक पाने को लगती है भीड़
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दुबे को स्टारडम प्रदान किया और ये एलबम थी 2005 में रिलिज़ “हाय मोर चाँदनी” जो आज भी युवा श्रोताओं के बीच काफी सुना जाता है । इस एल्बम इस अथक प्रयास से नितिन जी की खुद की आडियो म्युजिक कम्पनी भी अस्तित्व मे आ

गई। नितिन जी के टैलेंट के साथ उनके आत्मविश्वास और अथक कठिन संघर्ष ने उन्हें ये सफलता दिलाई है।

बदलते दौर के साथ ख़ुद को बदल लिया
नितिन दुबे ने न सिर्फ सफलता प्राप्त की बल्कि उसे आज तक कायम किए हुए हैं पिछले तीन दशक से संगीत के क्षेत्र में बने रहना अत्यंत कठिन कार्य है,क्योंकि सफलता प्राप्त करने से ज़्यादा कठिन सफलता को बरकरार रखना होता है, आज

नितिन जी ने बदलते वक्त के हिसाब से छत्तीसगढ़ी गीतों को आधुनिक रंग देकर अब अपने गीतों में एक्टिंग भी करने लगे हैं जिसे उनके फैंस ने बहुत प्यार दिया, हाय रे मोर कोचईपान, तोला प्यार होगे, रायगढ़ वाला राजा,हाय रे मोर मुनगाकाड़ी,

तोर बारात,दिल के धड़कन,हाय रे मोर नीलपरी में उन्होंने एक गायक और संगीतकार के साथ साथ एक्टर के रूप में भी सफलता हासिल की है,ऐसे बहुमुखी प्रतिभा के कलाकार नितिन जी की सफलता की कहानी आज नए कलाकारों के लिए

एक प्रेरणा श्रोत है, और आलम यह है कि कभी अपना चेहरा छुपाकर पोस्टर चिपकाने वाले गायक की आज एक झलक पाने को उनके स्टार नाईट में हज़ारों की संख्या में जनता की भीड़ उमड़ पड़ती है । जब तक नितिन मंच पर नहीं आ जाते

, तब तक जनता उनका घण्टों इंतजार करती है । नितिन दुबे आज की तारीख में छत्तीसगढ़ फ़िल्म एवं संगीत जगत में एक बहुत बड़ा नाम और मंच पर सबसे आकर्षण का केन्द्र बन चुके हैं ।

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