Side effects उफ! साइड इफेक्ट में नरबलि तक

Side effects

Side effects up to human sacrifice हरिशंकर व्यास

Side effects up to human sacrifice सचमुच धार्मिकता के जलजले के साइड इफेक्ट में भारत तेजी से अंधविश्वासी होता हुआ है। जीवन के कष्टों के लिए जब व्यक्ति सरकार और शासन व्यवस्था की बजाए अपनी नियति को दोष देने लगे तो फिर वह उस दोष को दूर करने का प्रयास करता है। भारत में वहीं हो रहा है। लोग सरकार से सवाल पूछने की बजाय अपनी कुंडली के दोष दूर करने में लगे हैं।

वे अपने को अरक्षित महसूस कर रहे हैं। अंधविश्वास और कर्मकांडों में लोगों की आस्था बढ़ी है। उन्हें कुछ पाना है तो उसके लिए भी कर्मकांडों का भरोसा। तभी दिल्ली से लेकर देश के सबसे शिक्षित राज्य केरल में और गुजरात से लेकर पश्चिम बंगाल तक में लोग अपनी आहूति दे रहे हैं या दूसरों की बलि चढ़ा रहे हैं।

Side effects up to human sacrifice केरल में नरबलि का ताजा मामला मामूली नहीं है। वहां एक डॉक्टर दंपत्ति ने बारी बारी से दो महिलाओं की बलि चढ़ा दी। काले जादू के चक्कर में डॉक्टर परिवार ने इस भयावह घटना को अंजाम दिया। तांत्रिकों के कहने पर दो महिलाओं की बलि दी गई, उनका खून दीवारों पर छिडक़ा गया, उनके शव को 56 टुकड़ों में काटा गया। अब कहा जा रहा है कि डॉक्टर दंपत्ति ने उनका मांस पका कर खाया। ऐसा सिर्फ इसलिए किया गया क्योंकि तांत्रिक ने कहा था कि ऐसा करने से उनकी धन संपत्ति बढ़ेगी। अंध विश्वास तीन ही कारणों से बढ़ रहा है।

Side effects up to human sacrifice पहला लालच है और दूसरा असुरक्षा का भाव है और तीसरा चारो तरफ राजा द्वारा कर्मकांडों से विजयी होते जाने का प्रजा में विश्वास बनवाना है।

Side effects up to human sacrifice लालच में हुई बलि की दूसरी घटना गुजरात की है। गुजरात के गिर-सोमनाथ जिले में एक कारोबारी ने नवरात्रि के दौरान तीन अक्टूबर को अपनी 14 साल की सगी बेटी की बलि चढ़ा दी। गांव के लोगों का कहना है कि किसी तांत्रिक ने कारोबारी को समझाया था कि बेटी की बलि चढ़ाने से उसका पुनर्जन्म होगा। और संपत्ति में बढ़ोतरी होगी। तभी बलि के बाद शव चार दिन तक छिपा कर रखा गया। जब पुनर्जन्म नहीं हुआ तो उसे चुपचाप रात को खेत में उसे दफना दिया गया। लेकिन गांवों वालों की नजरों से यह भयावह घटना बच नहीं पाई। इसी तरह पश्चिम बंगाल के माल्दा जिले में बुधवार को आठ साल की एक बच्ची का शव मिला है।

Side effects up to human sacrifice उसका गला कटा हुआ था और माथे पर पूजा, पाठ, तिलक आदि के निशान थे। गांव के लोगों का कहना है कि तंत्र-मंत्र के चक्कर में लडक़ी की बलि दी गई। तीन अक्टूबर को ही राजधानी दिल्ली में पुलिस ने दो मजदूरों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने एक झुग्गी बस्ती से छह साल के एक बच्चे को अगवा किया। अफीम के नशे में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए गला काट कर बच्चे की बलि चढ़ा दी।

कोई चार साल पहले जून 2018 में दिल्ली के बुराड़ी इलाके में एक ही परिवार के 11 लोगों का शव मिला था। सभी लोग फांसी से लटके मिले थे। पुलिस इसे ‘सुसाइड पैक्ट’ यानी आत्महत्या का मामला मान रही है। यह केस अब भी अनसुलझा है लेकिन पहली नजर में ऐसा लगता है कि परिवार के लोगों ने किसी काले जादू के चक्कर में या तंत्र-मंत्र के चक्कर में अपनी जान गंवाई। पुलिस की जांच से पता चला कि सारे लोग यह उम्मीद कर रहे थे कि फांसी से लटकने के कुछ समय बाद सब लोग फिर जी उठेंगे और उनकी सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

Side effects up to human sacrifice सोचें, समाज में बनती इन आत्महंता आस्थाओं पर! लोग अपनी जान दांव पर लगा रहे हैं या दूसरे लोगों की जान ले रहे हैं। ऐसा नहीं है कि दिल्ली, केरल, गुजरात या पश्चिम बंगाल की घटनाएं अपवाद हैं। अगर लिखने बैठें तो अखबार के कई पन्ने भर जाएं ऐसी घटनाओं से। और वक्त जबकि 21वीं सदी का। भारत के लोगों की वैज्ञानिक चेतना लुप्त हो रही है। उसकी जगह अंधविश्वास फैल रहा हैं। इस तरह के अंधविश्वास और आत्महंता आस्थाएं किसी राजा और उसकी एक पार्टी को चुनाव जीताने में तो मददगार हो सकती हैं लेकिन एक सभ्य देश और समाज के नाते भारत जिस दिशा की और बढ़ते हुए है क्या उसका हिंदू समाज और धर्म को खतरा मालूम है?

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