Shrimad Bhagwat : बांके बिहारी की अति कृपा से ही प्राप्त होती है भगवान की भक्ति

Shrimad Bhagwat :

Shrimad Bhagwat : श्रीमद् भागवत इस संसार का सर्वश्रेष्ठ सत्कर्म है

Shrimad Bhagwat :  सक्ती । श्रीमद् भागवत इस संसार का सर्वश्रेष्ठ सत्कर्म है जो केवल पुरुषार्थ के बल पर ही नहीं अपितु किसी व्यक्ति के भाग्य जागृत होने पर तथा पूर्वजों के आशीर्वाद और भगवान बांके बिहारी की अति कृपा होने पर ही प्राप्त होता है । श्रीमद् भागवत साक्षात भगवान श्री कृष्ण चंद्र जी महाराज का वांग्मय स्वरूप है !

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Shrimad Bhagwat : यह यथार्थ को कृतार्थ करने वाली परम औषधि भी है , यह उद्गार सक्ती नगर के हृदय स्थल हटरी चौक में फ़र्म श्री कनीराम मांगेराम अग्रवाल परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस कथा माहात्म्य का वर्णन करते हुए व्यासपीठ से आचार्य राजेंद्र महाराज ने प्रकट किया ।


Shrimad Bhagwat : श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ भव्य कलश शोभायात्रा के साथ महामाया मंदिर शक्ति की पूजा अर्चना के साथ हुआ । कलश यात्रा में आयोजक परिवार सहित नगर के सैकड़ों लोगों ने भाग लिया ।राधे राधे की जय घोष एवं भजन संकीर्तन से पूरे नगर का वातावरण भक्तिमय दिखाई दिया ।

आचार्य राजेंद्र जी महाराज द्वारा भक्ति देवी के दोनों पुत्र ज्ञान और वैराग्य की जरा अवस्था से मुक्ति तथा गोकर्ण प्रसंग और धुंधकारी मोक्ष की कथा श्रवण कराया गया ।

Shrimad Bhagwat : श्रीमद् भागवत इस संसार का सर्वश्रेष्ठ सत्कर्म है जो केवल पुरुषार्थ के बल पर ही नहीं अपितु किसी व्यक्ति के भाग्य जागृत होने पर तथा पूर्वजों के आशीर्वाद और भगवान बांके बिहारी की अति कृपा होने पर ही प्राप्त होता है ।

श्रीमद् भागवत साक्षात भगवान श्री कृष्ण चंद्र जी महाराज का वांग्मय स्वरूप है यह गतार्थ को कृतार्थ करने वाली परम औषधि भी है , यह उद्गार शक्ति नगर के हृदय स्थल हटरी चौक में फ़र्म श्री कनीराम मांगेराम अग्रवाल परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस कथा माहात्म्य का वर्णन करते हुए व्यासपीठ से आचार्य राजेंद्र महाराज ने प्रकट किया ।

श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ भव्य कलश शोभायात्रा के साथ महामाया मंदिर शक्ति की पूजा अर्चना के साथ हुआ । कलश यात्रा में आयोजक परिवार सहित नगर के सैकड़ों लोगों ने भाग लिया ।राधे राधे की जय घोष एवं भजन संकीर्तन से पूरे नगर का वातावरण भक्तिमय दिखाई दिया ।

आचार्य राजेंद्र जी महाराज द्वारा भक्ति देवी के दोनों पुत्र ज्ञान और वैराग्य की जरा अवस्था से मुक्ति तथा गोकर्ण प्रसंग और धुंधकारी मोक्ष की कथा श्रवण कराया गया ।

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आचार्य ने बताया कि कली काल में दोषों को मिटाने तथा पूर्वजों की सद्गति के लिए श्रीमद् भागवत कथा ही एकमात्र उपाय है , इसी कथा को आत्मसात कर राजा परीक्षित को भी सद्गति की प्राप्ति हुई थी ।

भागवत पुराणों का तिलक और वैष्णव का परम धन है , इसलिए इसे केवल सुनने के लिए ही नहीं सुनना चाहिए बल्कि अपने जीवन में उतारना भी जरूरी है ।

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