Shrimad Bhagwat Katha श्री कृष्ण ने बाल लीलाओं में माता यशोदा को दिखाया वैष्णवी माया
Shrimad Bhagwat Katha सक्ती। नगर के गेवाडीन कालोनी में फुलचन्द दुबल धनिया परिवार गया श्राद्ध के लिए आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन कथा व्यास पीठ से आचार्य मृदुल शास्त्री द्वारा द्वारा नंद उत्सव ,
श्री कृष्ण की बाल लीलाओं में नंद उत्सव तथा श्री कृष्ण की बाल लीलाओं मे माता यशोदा को वैष्णवी माया दिखाना ओखल बंधन लीला में कुबेर के दोनों पुत्रों को वृक्ष योनि के श्राप से मुक्त करना एवं माखन चोरी के लिए बाल सखा के साथ मंडली बनाकर गोपियों के घरों में जाकर माखन चोरी करना
श्री कृष्ण द्वारा बाबा वासुदेव से इंद्र की पूजा ना कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए बृज वासियों को मनाना एवं गोवर्धन पर्वत की पूजा करने पर इंद्र के प्रकोप से बचने के लिए गोवर्धन पर्वत धारण कर ब्रज वासियों का रक्षा कर गोवर्धन पर्वत की छप्पन भोग के साथ पुजा अर्चना एवं महारास की कथा का सरस वर्णन किया गया ।
Shrimad Bhagwat Katha आचार्य मृदुल शास्त्री ने श्रोताओं को बताया कि भगवान श्री कृष्ण साक्षात पूर्ण ब्रह्म परमेश्वर है 64 कलाओं के साथ उन्होंने इस धरती में अवतार लेकर अपनी लीलाओं से धरती का बोझ कम करने के लिए आसुरी शक्तियों का नाश किया , श्री कृष्ण की लीलाओं में मधुर्यता और विचित्रता दोनों ही है , श्रीमद् भागवत की कथा हमारे उन गौरवशाली अध्यात्मिक पौराणिक इतिहास का संस्मरण है !
श्री कृष्ण ने पूतना का वध कर यह प्रेरणा प्रदान किया कि बेटी और बेटे दोनों के लिए ही समाज में सम्मान हो , बेटी के जन्म लेने पर आह और बेटे के जन्म लेने पर वाह ना हो , बेटियां है तभी तो कल है ।
बेटे अगर भगवान के आशीर्वाद हैं तो बेटियां भगवान के दिव्य प्रसाद हैं आचार्य द्वारा कृष्ण भगवान द्वारा कालिया नाग दमन की लीला का तात्पर्य बताया कि भगवान 28 वें द्वापर में ही जल प्रदूषण को मुक्त करने का संकल्प लिए थे ,
उन्होंने कालिया नाग को यमुना से बाहर निकाल कर जल को निर्मल किया और गोवर्धन धारण की लीला करते हुए समस्त ब्रज वासियों को प्रकृति के प्रति प्रेम और रक्षा करने का संदेश देते हुए श्री कृष्ण ने बताया की धरती पर वर्षा धरती की हरियाली और पहाड़ पर्वतों के कारण होती है !
इसलिए आचार्य ने कहा कि मनुष्यों का यह कर्तव्य है कि वह हरियाली की रक्षा करें और भागवताचार्य मृदुल शास्त्री ने बताया कि भगवान के द्वारा गोपियों के साथ रासलीला किया जाना गोपी भाव को प्रकट करना है , गोपी अर्थात अपनी इंद्रियों से भगवान श्री कृष्ण के दिव्य आनंद को आत्मसात करना है !
Shrimad Bhagwat Katha कोई भी स्त्री या पुरुष भगवान के लिए गोपी बन सकते हैं । किसी भक्त और भगवान के बीच में अहंकार ही दीवार बन जाती है , भगवान को पाने के लिए अहंकार रूपी दिवार को गिराना जरूरी है । रासलीला में गोपियों के द्वारा अपनी सुंदरता दिव्यता और गुणों का अहंकार हो गया था
जिसके कारण भगवान श्री कृष्ण उन्हें छोड़कर अदृश्य हो गए थे । ब्रज की गोपियां बिरहा की अग्नि में जलने लगी , और अपना अहंकार त्याग कर भगवान के शरण में चली गई तब उन्हें श्री कृष्ण का दर्शन प्राप्त हुआ आचार्य ने कहा कि भागवत कथा ही एक ऐसी कथा है !
Shrimad Bhagwat Katha जिससे हमारे इस जन्म और उस जन्म का उद्धार होता है और मोक्ष प्राप्ति के लिए भागवत कथा ही सर्वोपरि है दुबल धनिया परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में प्रतिदिन दिव्य कथा प्रसंगों के साथ दृष्टांत एवं जीवंत झांकियां व संगीत का लाभ प्राप्त हो रहा है ।
Shrimad Bhagwat Katha पांचवें दिन की कथा में सक्ति नगर सहित छत्तीसगढ़ के अन्य जगहों के साथ ग्राम वासी नगर वासी महिला पुरुष भक्तगण कथा श्रवण करने के लिए सैकड़ों की संख्या में उपस्थित होकर श्रीमद् भागवत महापुराण का कथा सुनकर पुण्य का लाभ ले रहे हैं