Shrimad Bhagwat Katha : भव्य कलश शोभायात्रा के साथ दीपका में शुभारंभ हुआ श्रीमद्भागवत कथा
Shrimad Bhagwat Katha : सक्ती दीपका कोरबा मे भव्य कलश शोभायात्रा के साथ दीपका में शुभारंभ हुआ श्रीमद्भागवत की कथा , यज्ञ के प्रथम दिन शक्ति नगर कॉलोनी के सैकड़ों महिलाओं एवं पुरुषों ने बड़े ही धर्म भाव के साथ कलश यात्रा में भाग लिया तथा शिव मंदिर में जाकर पुराण पूजन करते हुए जलकुंड से वरुण का आवाहन एवं पूजन कर व्यासपीठ में महापुराण की
Shrimad Bhagwat Katha : स्थापना की l भजन संकीर्तन एवं गाजे-बाजे के साथ कलश यात्रा की शोभा जन समूह के लिए बड़ा ही भव्य था भागवत कथा के पहले दिन वेद मंत्रोच्चार के साथ मंगलाचरण करते हुए छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध भागवत आचार्य राजेंद्र जी महाराज द्वारा
भागवत महातम कथा का विस्तार से वर्णन किया गया l आचार्य ने बताया कि श्रीमद् भागवत पुराणों का तिलक एवं वैष्णव का परम धन है यही साक्षात कृष्ण का ही वांग्मय स्वरूप है , भागवत को आत्मसात
करने से भक्ति ज्ञान वैराग्य और तब यह चारों ही चीजें श्रोताओं को प्राप्त होती है l
भागवत रूपी सत्कर्म का आश्रय लेकर के ही भक्ति देवी के दोनों बेटों ज्ञान और वैराग्य को तरुण अवस्था की प्राप्ति हुई थी l अकाल मृत्यु प्राप्त कर भयानक प्रेत योनि में पड़े धुंधकारी को सद्गति मिली थी l राजा परीक्षित को श्रृंगी ऋषि ने सातवें दिन तक्षक नाग के काटने से मृत्यु होने का श्राप दिया था , भागवत कथा श्रवण के पुण्य से ही हा राजा परीक्षित को ब्रह्म सायुज्य मिला था l
श्रीमद् भागवत वेद रूपी कल्पवृक्ष पर लगा हुआ एक ऐसा फल है जिसका ना तो छिलका है और ना ही कोई गुठली यह संपूर्ण रूप से रस ही रस से भरा हुआ परिपक्व अफल है जिसे एक तो तेरे अपना सोच लगाया है इसलिए यह सभी पुराणों की कथा से सरस और श्रेष्ठ है जो देव दुर्लभ भी है
l भागवत मृत्यु को भी मंगलमय बनाकर भावी जनों को सुधरती है l
श्रीमद्भागवत रूपी सत्कर्म सप्ताह यज्ञ मनुष्य को केवल उसके अर्जित पुण्य ओके कारण भाग्योदय से ही प्राप्त होता है यह केवल धनवान होने अथवा पुरुषार्थी बन जाने से ही प्राप्त नहीं होता , अपने पूर्वजों और माता पिता के आशीर्वाद से भागवत मिलते हैं ,
इस यज्ञ को करने से 21 पीढ़ियां भगवान की शरणागति प्राप्त करती है , संसार में होने वाले और भी यज्ञ अनुष्ठान इस महायज्ञ के 16वें अंश के समान भी नहीं है l श्रीमद् भागवत कथा का रसपान मनुष्य को अपने जीवन में बार-बार करना चाहिए और केवल इससे सुनने के लिए ही नहीं सुनना चाहिए l
प्रथम दिन की कथा का लाभ संकीर्तन एवं गायन करते हुए सैकड़ों श्रोताओं ने प्राप्त किया l इस यज्ञ के आयोजक बजरंग लाल एवं श्रीमती आशा रानी सोनी द्वारा प्रतिदिन अधिक से अधिक संख्या में कथा श्रवण करने हेतु आने का आग्रह किया गया है