(Shrimad Bhagwat Katha) भागवत की कथा मानव जीवन के लिए एक अद्भुत प्रेरणा

(Shrimad Bhagwat Katha)

(Shrimad Bhagwat Katha) भागवत की कथा मानव जीवन के लिए एक अद्भुत प्रेरणा

(Shrimad Bhagwat Katha) सक्ती। चांपा नगर में साहू परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कथावाचक आचार्य राजेंद्र शर्मा ने कहा कि मानव को जब भी समय मिले भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए भागवत कथा ही कली काल में साक्षात भगवान कृष्ण है जो मानव भागवत कथा का श्रवण करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है भगवान श्री कृष्ण दिनांनाम परी पालक कहलाते हैं , दिन दुखियों पर दया करना उनका स्वभाव है ।

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(Shrimad Bhagwat Katha) तभी तो आचार्य राजेंद्र ने कहा है की बांके बिहारी तेरे दरबार की अजब गजब तस्वीर देखी है , तुझे देते हुए तो नहीं देखा पर झोली सब की भरती हुई देखी है भगवान श्री कृष्ण द्वारकाधीश ने अपने बाल्यकाल के प्रिय सखा सुदामा जी महाराज को अपने जैसा ही ऐश्वर्य वान बना दिया था !

सच्चा मित्र वह होता है जो अमीर और गरीब में कोई फर्क नहीं समझता तभी तो ब्राह्मण को भी कृष्ण द्वारकाधीश राजा ने अपने सिहासन में बैठा कर उनका सम्मान बढ़ाया मित्र हो तो कृष्ण सुदामा जैसा हो। यह उद्गार चापां नगर में आयोजित विशाल श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के सातवें दिन व्यास पीठ से छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कथा वाचक राजेंद्र शर्मा ने प्रकट किया ।

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(Shrimad Bhagwat Katha) उन्होंने भक्तगण श्रोताओं को बताया कि श्री कृष्ण के सच्चे मित्र बाल्यकाल के सखा सुदामा जी थे , जो श्री कृष्ण के साथ सांदीपनि मुनि जी महाराज के आश्रम में बाल्यकाल से ही वेदों का अध्ययन कर दीक्षा भी प्राप्त किए थे शिक्षा दीक्षा के बाद सुदामा वेदाचार्य बन गए और ।

(Shrimad Bhagwat Katha) श्री कृष्ण तो द्वारिका के राजा द्वारिकाधीश बन गए किंतु सुदामा जी महाराज दान वृत्ति से अपना जीवन यापन करते थे , प्रिय सखा सुदामा जी अपनी पत्नी के कहने पर द्वारकाधीश भगवान श्री कृष्ण से मिलने गए वहां जाकर उन्होंने कृष्ण की मित्रता और कृष्ण के द्वारा जो उन्हें सम्मान के साथ अपनी मित्रता निभाते हुए भगवान कृष्ण की बड़ी कृपा हुई और वे धनधान्य से पूर्ण हुए ।

आचार्य राजेंद्र शर्मा ने श्रोताओं को विस्तार से वर्णन करते हुए बताया कि कली युग के सभी प्रकार के दोस कर्म और पाप को नाश करने का एक ही उपाय है भगवान नाम संकीर्तन । इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वे अपने जीवन में सत्संग करें और भगवान की भक्ति करें । भक्ति मार्ग का आश्रय लेकर के ही सद्गति या मुक्ति प्राप्त हो सकती है । राजा परीक्षित को भागवत रुपए सत्कर्म आत्मसात करने के कारण ही मोक्ष की प्राप्ति हुई ।

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(Shrimad Bhagwat Katha) भागवत की कथा मानव जीवन के लिए एक अद्भुत प्रेरणा

भागवत की कथा तो मनुष्य जीवन के लिए एक अद्भुत प्रेरणा है जिसे आत्मसात कर हम अपने जीवन को धन्य करते हुए समाज और राष्ट्र की सेवा के संकल्प के साथ विशिष्टता की ओर आगे बढ़ सकते हैं , नर सेवा नारायण सेवा ही मनुष्य जीवन का उद्देश्य है।
कथा विराम सातवें दिन की कथा का लाभ हजारों श्रोताओं ने उठाया और भक्ति पूर्ण वातावरण में कथा श्रवण तथा सत्संग लाभ प्राप्त किया !

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