0 रंग श्रीकांत नाट्य श्रृंखला का आयोजन
रायपुर। श्रीकांत वर्मा की कविता और कहानी पर आधारित नाटक का जीवंत मंचन किया गया। रायपुर के पुरातत्व व संस्कृति विभाग के सभागार में सोमवार को रंग श्रीकांत नाट्य श्रृंखला का आयोजन किया गया। साहित्य अकादमी, श्रीकांत वर्मा पीठ, छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वाधान आयोजित किया गया। इसके तहत श्रीकांत वर्मा की कविताओं की दृश्य प्रस्तुति और उनकी कहानी दोपहर का नाट्य प्रस्तुति की गई। साथ ही श्रीकांत वर्मा की राजनाओं में नाटक के तत्व पर भी प्रकाश डाला गया। इस पर नाटककार राजकमल नायक ने अपनी बात रखी। उन्होंने खा की श्रीकांत वर्मा की कहानी और कविताओं ने नाटक के तत्व बहुतायत मात्रा में है लेकिन उनको पढऩे और परखने के साथ नाटय तत्व ढूढऩे का नजरिया चाहिए. जिन्होंने यह कर दिखाया वे आज उनकी कहानी और कविता पर नाटक कर रहे हैं।
इस अवसर पर श्रीकांत वर्मा के कविताओं पर नाटक की प्रस्तुति हुई जिनका निर्देशन रचना मिश्रा, छत्तीसगढ़ फिल्म एवं विजुअल आर्ट सोसाइटी, रायपुर ने किया। नाटक में जनता के दर्द के साथ इस दौर में किस प्रकार लोग व्यवस्था से परेशां है उनकी झलकियां देखने को मिली। नाटक दुपहर प्रस्तुत किया गया जिनका निर्देशन शौरभ अनंत, विहान ड्रामा वक्र्स भोपाल ने किया। यह नाटक दो छात्र के इर्द-गिर्द घूमता है नाटक
बिगुल और कप्तान दो लड़के हैं जो स्कूल से छुट्टी मारकर भाग निकले हैं। कप्तान एक ऐसा लड़का है जो पाँचवी कक्षा में दो बार फेल हो चुका है। उससे कम उम्र का बिगुल अब उसकी कक्षा में आ गया है। कप्तान उसका असली नाम नहीं है। वह सबसे पीछे की पंक्ति में बैठता है। वह निडर है, उद्दंड भी उसका मन हमेशा स्कूल के बाहर ही भागता है। उसे हर शिक्षक से डाँट और मार पड़ती है, मगर वह रोता बिल्कुल नहीं। इसीलिए उसके सहपाठी उसे कप्तान पुकारते हैं। बिगुल भी कप्तान को अपना हीरो मानता है। वह कप्तान से दोस्ती करना चाहता है। आज कप्तान बिगुल को स्कूल से भगाकर ले आया है। बिगुल में बहुत सारी झिझक और डर है। उसने स्कूल से आगे की दुनिया कभी देखी ही नहीं। यही वजह है कि उसे कप्तान का साथ अच्छा लगता है और उसमें आत्मविश्वास भर उठता है। बिगुल नदी देखना चाहता है। कप्तान उसे खेतों, टीलों, मंदिरों और क़ब्रिस्तान के रास्ते नदी तक ले जाता है। बिगुल के सामने अब एक नदी है, जिसे जीवन में पहली बार वह देख रहा है। धीमे धीमे बहती, गुनगुनाती, हवा के संग खेलती नदी । वह मंत्रमुग्ध सा खड़ा उसे देखता रह जाता है। तभी कप्तान पानी में कूद पड़ता है। बिगुल उसे पुकारता रहता है। जैसे वह ख़ुद को ही पुकार रहा हो। यह कहानी बचपन और किशोरावस्था की मन:स्थितियों के रोचक अनुभव दिखा है।
रचना मिश्रा के बारे में
रचना मिश्रा छत्तीसगढ़ में इस समय सबसे सक्रिय महिला रंग निर्देशिका हैं। वे जनमंच के माध्यम से लगातार नाट्य मंचन कर रही है । पिछले एक दशक में उन्होंने बीस से अधिक नाटकों का निर्देशन किया है। रचना मिश्रा ने अपने पति सुभाष मिश्र के सानिध्य में रहकर बहुत सारी साहित्यिक, सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लिया । नेपथ्य में रहकर मुक्तिबोध नाट्य समारोह , हबीब तनवीर नाट्य समारोह में अहम भूमिका निभाई । बॉटनी में रूस्ष्ट रचना मिश्रा बहुत अच्छी गायिका भी हैं । गायन से गहरा लगाव होने के कारण इन्होंने बक़ायदा संगीत महाविद्यालय से संगीत की शिक्षा ली ।राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय हृस्ष्ठ सहित बहुत सी संस्थाओं और नाट्य निर्देशकों की वर्कशॉप में भाग लेते हुए इन्होंने पहले छत्तीसगढ़ आफिसर्स लेडीज़ क्लब के लिए नाटक तैयार कर उनका निर्देशन किया। इसके पश्चात हबीब तनवीर , हरिशंकर परसाई , मंटो , मुंशी प्रेमचंद , असगऱ वजाहत आदि लेखकों की रचनाओं पर आधारित नाटकों का निर्देशन किया । छत्तीसगढ़ फि़ल्म एंड विज़ुअल आर्ट सोसाइटी की ओर से रंग रचना नाम से रचना मिश्रा द्वारा निर्देशित छ :नाटकों चरणदास चोर , मोर नाँव दमाद गाँव के नाँव ससुरार , प्रेमचंद के फटे जूते, लॉंछन, बादशाहत का ख़ात्मा , बीमार का मंचन समारोह आयोजित कर किया गया। इधर के कुछ सालो में देश के सुप्रसिद्ध कवियों की कविताओं का दृश्य मंचन , कविता समय के नाम से बहुत सी कविताओं का मंचन किया है । अभी हॉल ही में छत्तीसगढ़ के शहीद वीरनारायण सिंह
शहीद गैंदसिंह के जीवन संघर्ष पर आधारित नाटक के लेखन और मंचन किया। हरिशंकर परसाई की बहुचर्चित कहानी एक लड़की पाँच दीवाने का नाट्य मंचन किया वे लगातार सक्रिय रहकर नाटकों का निर्देशन कर रही हैं।
पात्र परिचय : दुपहर
1. कप्तान : शुभम कटियार
2. बिगुल : रुद्राक्ष भायरे
गिटारिस्ट : स्नेह विश्वकर्मा
गीत, गायक व संगीत निर्देशन : निरंजन कार्तिक
तकनीकी सहायक व प्रस्तुति व्यवस्थापक : अंकित पारोचे
अभिनय प्रशिक्षण व सहायक निर्देशक : श्वेता केतकर
प्रकाश परिकल्पना, नाट्य रूपांतरण व निर्देशक : सौरभ अनंत
प्रस्तुति : विहान ड्रामा वक्र्स भोपाल