राजकुमार मल
Shri Ganesh : श्री गणेश ध्वनि प्रदूषण का… स्कूल और अस्पतालों के समीप भी बेधड़क
Shri Ganesh : भाटापारा- श्री गणेश ध्वनि प्रदूषण का। स्कूल और अस्पताल जैसे साइलेंट जोन हैं लेकिन इन्हीं जगहों पर सर्वाधिक ध्वनि प्रदूषण होता है। कहने के लिए निगरानी और कार्रवाई के लिए अपने यहां भी प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी है लेकिन इन्होंने अपने कान बंद कर रखें हैं। इसलिए ऐसी अवांछित गतिविधियों को खुली छूट मिली हुई है।
Shri Ganesh : श्री कृष्ण जन्माष्टमी के साथ पर्व और त्योहारों की शुरुआत हो चुकी है। यह दीपावली तक बनी रहेगी और बजते रहेंगे साउंड सिस्टम और परेशान होते रहेंगे आमजन।
कार्रवाई तो दूर शिकायत की सुनवाई कौन करेगा ? जैसे सवाल इसलिए उठाए जा सकते हैं क्योंकि कॉल रिसीव होते ही नहीं । इसलिए यह ज्यादती सहने के लिए खुद को तैयार कर लेना ही सही होगा क्योंकि गणेश पर्व और नवरात्रि के दिन ज्यादा दूर नहीं है।
यहां सर्वाधिक ध्वनि प्रदूषण
Shri Ganesh : बस स्टैंड, मंडी रोड, हटरी बाजार, सुभाष बाजार और सिविल अस्पताल तिराहा। यह ऐसी जगह हैं, जहां स्कूल और अस्पतालें हैं।
साइलेंट जोन एरिया माने जाते हैं यह क्षेत्र लेकिन इन्हीं जगह पर सर्वाधिक ध्वनि प्रदूषण देखा और महसूस किया जाता है। खासकर सुभाष बाजार क्षेत्र इस मामले में तो शीर्ष पर है।
जिम्मेदार हैं मौन
Shri Ganesh : स्थानीय प्रशासन और पुलिस महकमा। साइलेंट जोन में ऐसी अवांछित हरकतों पर लगाम लगाने के लिए सक्षम बनाए गए है।
लेकिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर देर रात यह गतिविधियां चलती रहीं। दोनों ने चुप्पी साध रखी थी। अब गणेश और नवरात्रि पर्व के दिन करीब आ रहे हैं। कार्रवाई तो दूर, सलाह जारी करने से भी बचा जा रहा है।
मानक से अधिक शोर
Shri Ganesh : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के नियमों के मुताबिक कामर्शियल इलाकों में ध्वनि का मानक 60 डेसीबल से अधिक नहीं होना चाहिए। रेजिडेंशियल एरिया में 45 डेसीबल तय है।
इंडस्ट्रियल इलाके में मानक का पैमाना 55 डेसीबल तय है। लेकिन किसी भी क्षेत्र में नियम का पालन नहीं होता।
यह कहा था सुप्रीम कोर्ट ने
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Shri Ganesh : सन 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जीने के अधिकार में यह शामिल है कि आप किसी शोर को सुनना चाहते हैं या नहीं ?
कोई भी व्यक्ति शोर के लिए संविधान के अनुच्छेद 19(1)-ए में दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ नहीं ले सकता। आप शिकायत कर सकते हैं।