(Shankaracharya) भगवान् को साधन नहीं, साध्य बनाएं-शंकराचार्य

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(Shankaracharya) भगवान् को साधन नहीं, साध्य बनाएं- ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती

(Shankaracharya) बेमेतरा। ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु श्रीश्री शंकराचार्य जी स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ‘1008’ अपने प्रवास के तृतीय दिवस दिन शनिवार को बेमेतरा के कृष्णा विहार स्थित निवास पर प्रातः भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर की पूजा कर दीक्षार्थियों को दीक्षा पश्चात दर्शन।

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(Shankaracharya) सुबह 8 बजे सड़क मार्ग से कवर्धा प्रस्थान किए जहा अतुल देशलहरा के नवदांपत्य पुत्र व पुत्रवधु द्वारा निज निवास पर पदुकापुजन सम्पन्न कर पुनः बेमेतरा प्रस्थान कर 1 बजे से श्रीमद्भागवत कथा प्रारम्भ। कथा का प्रारम्भ छाबड़ा परिवार द्वारा श्रीभागवत भगवान की आरती व पदुकापुजन कर तृतीया दिवस का कथा प्रारम्भ हुआ।

(Shankaracharya) शंकराचार्य ने व्यासपीठ से कहा लोग जब भगवान् से प्रार्थना करते हैं तो उनसे अपनी इच्छित वस्तु माॅग कर उस सर्वसमर्थ भगवान् को वस्तु प्राप्ति का केवल साधन समझ लेते हैं। उनको साधन नहीं बनाना चाहिए। भगवान् तो स्वयं साध्य हैं। इसलिए भगवान् को ही पाने का प्रयास करना चाहिए।

उक्त बातें ‘परमाराध्य’ परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज ने छत्तीसगढ के बेमेतरा जिले में आयोजित श्रीमद्भागवत सप्ताह कथा के प्रवचन में कही।

उन्होंने एक राजा की कथा सुनाते हुए कहा कि एक राजा ने अपनी सभी रानियो को उनकी इच्छित वस्तुएँ पहुॅचा दी और स्वयं उस रानी का पास गया जिसने राजा से किसी वस्तु की याचना नहीं की अपितु उसने राजा से राजा को ही माॅग लिया था।

ऐसे ही जब हम भगवान् से भगवान् को ही मांगेंगे तो वे हमें स्वयं मिल जाएंगे। नहीं तो मात्र इच्छित वस्तु ही मिलेगी, भगवान् नहीं मिलेंगे। यह हमारे ऊपर है कि हम भगवान् से क्या मांगते हैं।

बेमेतरा में एशिया का सबसे बड़ा शिव मंदिर, सवा लाख शिवलिंग के होंगे दर्शन, आशीष छाबड़ा विधायक ने की अपील

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छत्तीसगढ़ के बेमेतरा में एशिया का सबसे बड़ा शिव मंदिर बन रहा है। सलधा में बनने वाले शिव मंदिर की लागत 65 करोड़ रुपए है। मंदिर में एक साथ भक्तों को सवा लाख शिवलिंग के दर्शन होंगे।

वही, आज बेमेतरा विधायक आशीष छाबड़ा ने शंकराचार्य महाराज द्वारा किए जा रहे 07 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा में लोगो से एक बड़ी जानकारी साझा की। सर्वप्रथम उन्होंने कहां की शंकराचार्य जी का धन्यवाद, जिनके श्रीमुख से भागवत कथा श्रवण करने का पुण्य हम बेमेतरा वासियों को मिला।

वहीं उन्होंने भक्तों से अपील की है कि लक्षेश्वर सपाद (सवालाख शिवलिंग) जिसकी कल्पना गुरु जी ने की, उसमें सवा लाख शिवलिंग की स्थापना होने जा रही है। विधायक ने भक्तों से कहा कि परिवार के कम से कम 1 सदस्य द्वारा शिवलिंग की स्थापना की जा सकती है, जिसके लिए 5,100 की रसीद कटवाकर इस पुनीत काम में आहुति करिए।

(Shankaracharya) बता दें कि सलधा में सवा लाख शिवलिंग स्थापित करने व भव्य मंदिर का निर्माण करने के लिए ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद महाराज व दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरनंद महाराज के सानिध्य में आधारशिला रखी गई। लगभग 65 करोड़ की लागत से बनने वाले मंदिर स्थल पर दंडी स्वामी ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भूमि पूजन भी किया था।

ग्राम सलधा बेमेतरा से 17 किमी दूर और देवरबीजा से 10 किमी की दूरी में शिवनाथ नदी के किनारे स्थित है। बनने वाला मंदिर एशिया का सबसे बड़ा शिव मंदिर माना जा रहा है।

दश महाविद्या पर आधारित धर्मग्रन्थ “महाविद्या-रत्नाकरः” विमोचन- शंकराचार्य द्वारा , बिलासपुर के धर्मभूषण पं. श्रीधर गौरहा द्वारा लिखित

दिनांक 28 जनवरी को बेमेतरा में आयोजित श्रीमद्भागवत महाकथा ज्ञानयज्ञ के तृतीय दिवस उत्तराम्नाय ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी महाराज के करकमलों से कथाज्ञानयज्ञ पूर्व महाविद्या ग्रन्थ का विमोचन किया गया।

इस अवसर पर ग्रन्थ की रचना करने वाले बिलासपुर के धर्मभूषण पं श्रीधर गौरहा ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए दश महाविद्याओं की महत्ता से अवगत कराते हुए बताया कि यह सारी विद्याएं गुरुपरम्परा से प्राप्त होती हैं और साधक और साध्य की एकरुपता साधना का परम लक्ष्य होता है। यन्त्ररुपी शरीर को साधते हुए तन्त्र रुपी सूक्ष्म शरीर को जागृत कर मन्त्र रुपी कारण शरीर को प्राप्त करना साधनायें सिखाती हैं।

(Shankaracharya) साधक को इन विद्याओं के माध्यम से लोकहित एवं राष्ट्रहित की भावना को ध्यान रखना चाहिए । इन शक्तियों की उपासना किसी भी प्रकार से स्वार्थ प्रेरित नहीं होनी चाहिए। विमोचित ग्रन्थ मे काली,तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, धूमावती, त्रिपुरभैरवी, बगलामुखी, मातंगी, कमला सहित गुरु, गणपति एवं भैरव की उपासना पद्धति तथा सभी के विविध स्तोत्र, स्तुति, कवच, सहस्रनाम इत्यादि का वृहद संकलन है।

महाविद्या-रत्नाकरः ग्रन्थ का प्रकाशन बीएफसी पब्लिकेशन लखनऊ से हुआ है और शीघ्र ही यह अमेजान एवं फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध हो जायेगा । इसका पीडीएफ गूगल के ईबुक पर उपलब्ध है। पूज्य शंकराचार्य जी महाराज ने श्री गौरहा को आशीष प्रदान किया।

(Shankaracharya) इस अवसर पर बेमेतरा विधायक आशीष छाबड़ा , लोरमी विधायक धर्मजीत सिंह, विनिष छाबड़ा, मोतीराम चन्द्रवंशी पूर्व विधायक, श्रीविद्यामठ केदारघाट काशी से पधारीं साध्वी शारदाम्बा एवं साध्वी पूर्णाम्बा, ब्रह्मचारी ब्रह्मविद्यानन्दजी, चन्द्रप्रकाश उपाध्याय ज्योतिर्मठ विशेष कार्याधिकारी, अशोक साहू शंकराचार्य मीडिया प्रभारी,

ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद, ब्रह्मचारी केशवंदन, ब्रह्मचारी हृदयानंद, ब्रह्मचारी परमात्मानंद, पंडित कृष्णा परासर, पंडित देवदत्त दुबे, उमंग पांडेय, सुश्री अद्विती पाण्डेय, श्रीमती शारदा गौरहा, श्रीमती चमेली पाण्डेय सहित अन्य विशिष्ट अतिथियों सहित बड़ी संख्या में जनमानस उपस्थित रहे।

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